बहराइच के त्रिमुहानी श्मशान में लकड़ियां हो चुकी हैं खत्म

बहराइच के त्रिमुहानी श्मशान में लकड़ियां हो चुकी हैं खत्म
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यहां अंतिम संस्कार के लिए जगह नहीं बची है। जो जहां पा रहा है लाशों को जला रहा है। लकड़ियां खत्म हो गई है ऐसे में लाश पहुंचाने के बाद लकड़ी भी खोजना पड़ रहा है।

बहराइच: कोरोना वायरस सिर्फ बहराइच शहर में हर घंटे किसी न किसी की जान ले रहा है। 1 दिन में औसतन 25 शवों का अंतिम संस्कार सरयू तट स्थित त्रिमुहानी शमशान घाट पर हो रहा है। लेकिन हालात यह है कि यहां अंतिम संस्कार के लिए जगह नहीं बची है। जो जहां पा रहा है लाशों को जला रहा है। लकड़ियां खत्म हो गई है ऐसे में लाश पहुंचाने के बाद लकड़ी भी खोजना पड़ रहा है।

त्रिमुहानी घाट पर सैनिटाइजेशन की कोई व्यवस्था नहीं है। कोरोना संक्रमित लाशों को लेकर पहुंचने वाले पीपीई किट और ग्लब्स इधर-उधर फेंक रहे हैं जिससे संक्रमण का खतरा और बढ़ गया है। इस मामले में जिम्मेदार भी चुप्पी साधे हुए हैं।

कोरोना संक्रमण से त्राहि-त्राहि मची हुई है। मौतों का सिलसिला थम नहीं रहा। इससे भी खराब स्थिति यह है कि कोरोना संक्रमण से दम तोड़ने लोगों के शवों का अंतिम संस्कार करने में परिवारी जनों को पसीने छूट रहे हैं। बहराइच शहर के शवों के अंतिम संस्कार के लिए सरयू तट स्थित त्रिमुहानी घाट पर श्मशान घाट स्थित है।

यहां पर एक साथ अधिकतम 5 से 6 शव जलाने की व्यवस्था है। लेकिन बीते 4 दिनों से क्षमता से 5 गुना शव प्रतिदिन श्मशान घाट पहुंच रहे हैं। ऐसे में क्रिया कर्म के लिए निर्धारित चबूतरे के अलावा जमीन पर भी शवों को जलाया जा रहा है। अब लकड़ी की किल्लत भी उत्पन्न हो गई है। लाश लेकर पहुंचने वाले लोगों को क्रिया कर्म के लिए लकड़ी के प्रबंध के लिए भटकना पड़ रहा है।

लोग जैसे तैसे लकड़ी की व्यवस्था कर रहे हैं लेकिन कोरोना संक्रमित लाशों के साथ जाने वाले कर्मचारी पीपीई किट और ग्लब्स शव को जलाने के बाद इधर-उधर फेंक दे रहे हैं। ऐसे में संक्रमण का प्रसार और तेज होने की आशंका बढ़ गई है। यहां पर सैनिटाइजेशन की कोई व्यवस्था नहीं है। सब कुछ भगवान भरोसे ही चल रहा है।

2 घंटे लकड़ी के लिए भटके परिजन

शहर के मोहल्ला कानूनगो पुरा निवासी सुरेंद्र सिंह का बुधवार रात को कोरोना संक्रमण से निधन हुआ। गुरुवार को परिवारी जन शव लेकर श्मशान घाट त्रिमुहानी पहुंचे। यहां पर ठेकेदार ने बताया लकड़ी नहीं है स्वयं व्यवस्था कीजिए। ऐसे पिता की मौत से आहत स्वर्गीय सुरेंद्र के पुत्र मोहित 2 घंटे तक लकड़ी के इंतजाम के लिए भटके तब अंतिम संस्कार हो सका। यही हाल जो सियापुरा निवासी दम तोड़ने वाली महिमा श्रीवास्तव के परिवारी जनों के साथ हुआ। पुत्र नितिन ने बताया कि लकड़ी के इंतजाम में बड़ी दिक्कत हुई। यह तो बानगी भर है इसी तरह अन्य लोगों को दिक्कतें उठानी पड़ रही है।

जमीन में जलाने पर उछलते हैं शव

एक परिचित के अंतिम संस्कार में शामिल होने गए शहर के चौक बाजार निवासी व्यवसाई व समाजसेवी अनुराग गुप्ता ने बताया कि शमशान घाट में व्यवस्थाएं बदहाल है। जमीन पर चलाए जाने पर जमीन गर्म होती है जिससे तो ऊपर उछलते हैं लकड़िया बिखर जाती है। वहां पर सुनने वाला कोई नहीं है।

वर्जन

त्रिमुहानी श्मशान घाट पर सामान्य दिनों में एक या दो शव प्रतिदिन आते थे। लेकिन अचानक लाशों की संख्या 10 से 15 गुनी बढ़ गई है। पंचायत चुनाव के चलते लकड़ी की दिक्कत है। फिर भी निरंतर लकड़ी का इंतजाम करवाया जा रहा है। एक सरदार जी ने दो ट्राली लकड़ी पहुंचाई है। अब चुनाव खत्म हुआ है और लकड़ी का इंतजाम शीघ्र करवाएंगे। सदर विधायक के पति, एसडीएम, सिटी मजिस्ट्रेट को भी लकड़ी की कमी के बारे में बता चुका हूं। चुनाव के पहले सैनिटाइजेशन हुआ था। सीएमओ साहब से बात हुई है आज या कल में पुनः सैनिटाइजेशन होगा। संक्रमण न फैले इसका ध्यान रखा जा रहा है। - शीतल प्रसाद अग्रवाल, व्यवस्थापक, त्रिमुहानी श्मशान घाट सेवा समिति

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