80 घाट बताएगा 84 घाटों की गाथा, राजघाट से दिखेगा गंगा के घाटों का वैभव

80 घाट बताएगा 84 घाटों की गाथा, राजघाट से दिखेगा गंगा के घाटों का वैभव
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पर्यटक जान सकेंगे घाटों की आपस में दूरी और जानकारी, योगी सरकार लगवा रही है कल्चरल साइनेज

वाराणसी/वेब डेस्क। काशी के हर घाट की अपनी विशेषता है। 84 घाटों की श्रृंखला में हर घाट की अपनी पौराणिक मान्यताएं है। घाटों के अपने ऐतिहासिक महत्व भी है। इन घाटों पर विशेष धार्मिक आयोजनों से लेकर पारंपरिक, सांस्कृतिक कार्यक्रम व लोक कलाएं देखने को मिलती है। पक्के घाटों पर खड़ी धरोहरें अपनी प्राचीनता खुद बयां करती है। परंपराओं की थाती समेटे हुए काशी हमेशा से पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र रही है। योगी सरकार पर्यटकों की सुविधा के लिए घाटों पर कल्चरल साइनेज लगा रही है। जिससे पर्यटकों को एक ही घाट से अन्य घाटों पर होने वाले आयोजन, उनके पौराणिक महत्व व घाटों के आपस में एक दूसरे से दूरी की जानकारी मिल सके। दुनिया की सबसे प्राचीनतम व जीवंत शहर काशी में आने वाला हर पर्यटक घाटों की ओर रुख जरूर करता है। सुबह-ए-बनारस और शाम की गंगा आरती में शिरकत भी करता है। इसके अलावा अन्य घाटों तथा धरोहरों के महत्व को भी देखना व समझना चाहता है। लेकिन घाटों पर कहीं भी सही जानकारी अंकित न होने से पर्यटक मायूस होते है और अपने को ठगा महसूस करते है। जिससे उनकी यात्रा अधूरी रह जाती है लेकिन अब ऐसा नहीं होगा । यूपी की योगी सरकार दो घाटों पर कल्चरल साइनेज लगाने जा रही है। इस साइनेज की कई विशेषताएं है । ये साइनेज हर घाट पर होने वाली धार्मिक व सांस्कृतिक आयोजनों के बारे में जानकारी देगी। घाटों पर खड़े सदियों पुराने धरोहरों के बारे में बताएगी। इतना ही नहीं हर एक घाटों के बीच की सटीक दूरियां भी पर्यटकों को इस साइनेज के माध्यम से पता चल सकेगा। वाराणसी स्मार्ट सिटी के जनरल मैनेजर डॉ डी. वासुदेवन ने बताया कि साइनेज में घाटो का नक्शा एवं घाटों पर होने वाली पारंपरिक व कलात्मक लोक कलाओं को ग्राफिक्स के फॉर्म में अंकित किया गया है । पर्यटकों के आवागमन को देखते हुए कल्चरल इंस्टॉलेशन को अस्सी घाट व राजघाट पर लगाया जाएगा। पर्यटक इसी दोनों घाटों पर लगे साइनेज को देख कर एक ही घाट से सभी घाटों के कार्यक्रम व महत्व के बारे में जान सकेंगे। इस साइनेज पर जो जानकारियां अंकित होंगी वह इस तरह से है।

अस्सी घाट सुबह -ए -बनारस व प्रातः सांस्कृतिक आयोजन।

तुलसी घाट पर नाग नथैया।

महानिर्वाणी घाट पर कुंभ के बाद नागा साधु आते है।

मानमहल घाट यहाँ मानमहल में आभासी संग्रहालय है।

बाला जी घाट जहाँ भारत रत्न उस्ताद बिस्मिलाह खां शहनाई पर रियाज़ करते थे।

पंच गंगा घाट यहाँ देवदीपावली पर हज़ारा जलता है।

अक्सर देखा गया है कि अवैध गाइड व घाट के आस पास के लोग पर्यटकों को गलत जानकारियां दे देते है। जिससे देश की सांस्कृतिक तथा धार्मिक विरासत के संबंध में दुनिया में गलत जानकारियां व संदेश जाता है लेकिन इस कल्चरल साइनेज के लग जाने से अब देशी व विदेशी पर्यटक भारत की थाती की सही जानकारी अपने साथ समेट कर ले जाएंगे। ये साइनेज ख़ास मटेरियल कोर्टन स्टील, कंक्रीट से बना है। इसपर गंगा का जलस्तर बढ़ने पर भी पानी का कोई असर नहीं होगा।और हर मौषम को झेलने में सक्षम है।

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