सोलर चरखे से सूत कातने वाली महिलाओं के जीवन में हो रहा आर्थिक संचार, 1 महिला 35 किलो से अधिक बना रही धागे

सोलर चरखे से सूत कातने वाली महिलाओं के जीवन में हो रहा आर्थिक संचार, 1 महिला 35 किलो से अधिक बना रही धागे
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पिछले वित्तीय वर्ष में वाराणसी मंडल में सोलर कपड़ों का एक करोड़ 36 लाख का था कारोबार

वाराणसी। पीएम मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की ओर से प्रदेश के बुनकरों के लिए चलाई जा रही योजनाओं से उनकी जिंदगी में नये बदलाव आ रहे हैं। वह आर्थिक रूप से मजबूत होने के साथ खादी के परिधानों को भी नया प्लेटफॉर्म दे रहे हैं। सोलर चरखा जहां बुनकरों की जिंदगी को मजबूत धागे के रूप में पिरोकर उनके जीवन को नई मज़बूती दे रहा है। तो वहीं सोलर लूम उनके सपनों को बुनकर कपड़ों के रूप में आर्थिक सम्बल प्रदान कर रहा है।

सोलर चरखे से बने कपड़ों के कारोबार की बात करें तो वाराणसी मंडल में पिछले वित्तीय वर्ष में यह करीब 1.36 करोड़ था। वाराणसी में सोलर चरखे से सूत कातने वाली महिलाएं करीब 10 प्रतिशत हैं। यहां की खादी संस्थाओं को रूरल इलेक्ट्रिफिकेशन कारपोरेशन लिमिटेड ने सीएसआर फंड से सोलर चरखा और सोलर लूम निशुल्क उपलब्ध कराया है। भाजपा की डबल इंजन की सरकार सूत कातने वाले लोगों के जीवन में एक बड़ा बदलाव ला रही है। हाई-टेक सोलर चरखे से सूत कातने से समय बचने के साथ उनकी आमदनी में बढ़ोत्तरी हो रही है। जिससे उनके जीवन में नई आर्थिक ऊर्जा का संचार हो रहा है।

खादी और ग्रामोद्योग आयोग के उप निदेशक एवं प्रभारी रितेश कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि एक महीने में एक महिला सोलर चरखे से करीब 30 से 35 किलो धागा बना लेती है। जिससे उनकी आमदनी 4500- 5000 रुपए तक हो जाती है। यही धागे सोलर लूम पर जाकर कपड़े का रूप लेते हैं। मंडलीय कार्यालय वाराणसी के आकड़ों के मुताबिक वाराणसी में इन सोलर कपड़ों का उत्पादन 1.15 करोड़ का था। जबकि सोलर कपड़ों का व्यवसाय वाराणसी मंडल के 12 जिलों में पिछले वित्तीय वर्ष 2021-22 में 1.36 करोड़ का था। रितेश कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि एक अप्रैल से अगस्त तक 41 लाख के कपडे़ बिक चुके हैं और गांधी जयंती से लेकर आने वाले त्योहारों में खादी के कपड़ों की बिक्री लगभग तीन गुना होने की सम्भावना है। वाराणसी में 500 सोलर चरखा और 55 सोलर लूम निशुल्क उपलब्ध कराए गए हैं। वाराणसी मंडल में 141 खादी संस्थाए हैं। जो खादी ग्रामोद्योग आयोग एवं खादी तथा ग्रामोद्योग बोर्ड से वित्त पोषित हैं। संस्थाएं कच्चा माल (पूनी ) आयोग द्वारा संचालित केंद्रीय पूनी प्लांट रायबरेली से खरीदती हैं।

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