वाराणसी में गंगा ने दिखाया रौद्र रूप, काशी विश्वनाथ धाम में भरा बाढ़ का पानी
वाराणसी। गंगा की लहरें रौद्र रूप धारण कर श्री काशी विश्वनाथ धाम में प्रवेश कर गई है। देर रात विश्वनाथ कारिडोर में घुटने के उपर तक पानी भर गया है। जिस तरह गंगा के जलस्तर में बढ़ाव हो रहा है। माना जा रहा है कि गंगा श्री काशी विश्वनाथ दरबार में पहुंच जायेगी।
काशी विश्वनाथ धाम में गंगा की लहरों को देखकर लोग हर-हर महादेव, हर हर गंगे का गगनभेदी उद्घोष कर रहे है। लोगों का कहना है कि मां गंगा बाबा का अभिषेक कर ही वापस लौटेंगी। सोमवार अपरान्ह दो बजे तक गंगा का जलस्तर 72.07 मीटर दर्ज किया गया। केन्द्रीय जल आयोग के अनुसार गंगा के जलस्तर में लगभग एक सेमी प्रति घंटे बढ़ाव हो रहा है। गंगा केे जलस्तर में लगातार बढ़ाव से अब सामने घाट और गंगा के तटवर्ती क्षेत्र में स्थित कालोनियों और बस्तियां जलमग्न हो गई हैं। तटवर्ती बाढ़ क्षेत्र के लोगों की दुश्वारियां बढ़ रही हैं। लोगों के सामने खाने पीने के साथ कई और संकट भी खड़ा हो गया है। लोग सुरक्षित स्थानों के साथ बाढ़ राहत शिविर में रह रहे है।
शहर के कई हिस्सों के गलियों और कालोनियों में राहत और बचाव कार्य के लिए लगातार जलपुलिस और एनडीआरएफ के साथ पीएसी का जलसुरक्षा दस्ता लगातार गश्त कर रहा है। भाजपा के साथ सामाजिक संगठनों ने भी बाढ़ राहत सामग्री का वितरण भी प्रभावित इलाकों में शुरू कर दिया है। वाराणसी में बाढ़ से दो लाख लोग प्रभावित हुए हैं।जिला प्रशासन के अफसरों के अनुसार बाढ़ से जनपद में 20 वार्ड, 104 ग्राम सभा सहित 124 ग्राम सभा एवं वार्ड के करीब 20101 लोग बाढ़ से प्रभावित हैं। 19 राहत चौकी स्थापित की गई हैं। बाढ़ प्रभावित क्षेत्र से सुरक्षित स्थान पर राहत शिविर के अतिरिक्त रिश्तेदार, पड़ोस व अन्य स्थान पर 3481, राहत शिविर में 3567 सहित कुल 7048 बाढ़ प्रभावितों को विस्थापित किया है। लगभग 370.02 हेक्टेयर फसल प्रभावित हुई है। इस प्रकार सदर तहसील के नगरीय के 20 वार्ड,76 ग्राम सभा सहित कुल 96 ग्राम के 19874 लोग प्रभावित हुए है।
उधर, गंगा के रौद्र रूप धारण करने पर लोग उन्हें शांत करने के लिए पूजा पाठ भी कर रहे है। मां गंगा से पुनः अपने फेटे में लौटने के लिए गुहार लगाने के साथ उनकी आराधना भी कर रहे है। ग्रामीण अंचल में किसानों के धान और सब्जियों के खेतों में कई फीट उपर पानी बह रहा है। पूरी फसल बर्बाद हो गई है। बाढ़ क्षेत्र में प्रभावित इलाकोें में पशुओं के चारे की समस्या भी मुंह बाये खड़ी है। रामनगर राल्हूपुर में स्थित बंदरगाह भी लहरों में समा गया है।
राजघाट स्थित मालवीय पुल पर से ट्रेन 10 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से गुजर रही है। अस्सी-नगवां मार्ग पर बाढ़ को देख रास्ता बंद कर दिया गया है। सामने घाट-रामनगर और सामने घाट, मारुतिनगर मार्ग पर कमर से ऊपर पानी भर गया है। गंगा में आई भयावह बाढ़ से वाराणसी के करीब डेढ़ हजार से ज्यादा नाविक और मल्लाहों की रोजी-रोटी ठप है। गंगाघाटों पर पूजन, हवन, कर्मकांड कराने वाले कर्मकांडी ब्राम्हण, चुनरी, फूल-माला बेचने वालों के सामने रोजी-रोटी की समस्या गहराने लगी हैं। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में संक्रामक बीमारियों का खतरा बना हुआ है। ऐसे में लोगों से साफ सफाई के साथ ही उन्हें पानी में कम से कम आने जाने की सलाह दी जा रही है।
उधर, जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा ने बताया कि गंगा के जलस्तर में धीमी बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है। प्रयागराज में भी पानी स्थिर हो चला है। बाढ़ राहत शिविरों में सुरक्षा के साथ-साथ खाने-पीने के मुकमल बंदोबस्त किए गए हैं। लगभग 40 बाढ़ राहत शिविर क्रियाशील है जिसमें सेक्टर व जोनल मजिस्ट्रेट लगातार भ्रमण कर लोगों की परेशानियों को दूर करने का प्रयास कर रहे हैं। गांव में भी पशुओं के चारे के साथ साथ लोगों को बाढ़ राहत सामग्री वितरित की जा रही है जिसमें कि जिले के सारे अधिकारी लगे हुए हैं जो लोग अपने घरों से नहीं निकल पाए और छतों पर शरण लिए हैं उनको एक हफ्ते की सामग्री जिसमें कि संपूर्ण खाद्य सामग्री है वितरित की गई हैं।