ज्ञानवापी केस में ओवैसी-अखिलेश यादव पर मुकदमा दर्ज करने के लिए लगी याचिका, 2 अगस्त को होगी सुनवाई
वाराणसी।ज्ञानवापी स्थित वजू स्थल पर गंदगी करने और धार्मिक भावनाएं भड़काने के मामले में एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी, समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव सहित दो हजार लोगों पर मुकदमा दर्ज करने संबंधी याचिका पर शुक्रवार को एसीजेएम पंचम उज्ज्वल उपाध्याय की अदालत में सुनवाई हुई। वादी पक्ष के अधिवक्ता के अनुरोध के बाद इस मामले में अब दो अगस्त को सुनवाई होगी।
वादी हरिशंकर पांडेय के अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह और घनश्याम मिश्र ने आवेदन देकर कहा कि इस मामले से जुड़े सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता आरपी शुक्ला गंभीर रूप से बीमार हैं। उनका दिल्ली में डायलिसिस चल रहा है। इसलिए सुनवाई की अगली तिथि दी जाए।
बता दे कि अदालत में दिए गए आवेदन में कहा गया कि ज्ञानवापी सर्वे के दौरान वजू स्थल के पास शिवलिंग मिलने के दावे के बीच आराध्य देव के स्थान पर थूकने खखारने से हिंदुओ की भावना आहत हुई। अखिलेश यादव ने कहा था की पीपल के पेड़ के नीचे पत्थर रख दो झंडा लगा दो वही मन्दिर बन जायेगा जबकि सांसद ओवैसी ने शिवलिंग को फौवारा बताकर हिंदुओ की भावना से खिलवाड़ किया साथ ही ज्ञानवापी के पास लगभग दो हजार लोगो ने हिन्दू भावनाओ को उकसाने वाली नारेबाजी की जिससे हिंदू सम्प्रदाय मर्माहत है, अदालत से इन परिस्थितियों में आरोपियो पर समुचित धाराओं में मुकदमा दर्ज किए जाने का अनुरोध किया गया।
ज्ञानवापी केस में सुनवाई -
ज्ञानवापी-शृंगार गौरी प्रकरण में लगातार चौथे दिन शुक्रवार को भी जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत में सुनवाई हुई। वादी पक्ष के वरिष्ठ अधिवक्ता हरिशंकर जैन ने जोरदार बहस कर श्री काशी विश्वनाथ एक्ट का विस्तार से उल्लेख किया। न्यायालय ने वादी पक्ष की दलीलों को सुनने के बाद अगली सुनवाई की तिथि 18 जुलाई मुकर्रर कर दी। चौथे दिन वादी संख्या 2 से 5 तक तक की बहस पूरी हो गई। अब वादी संख्या 1 राखी सिंह के अधिवक्ता सोमवार को बहस करेंगे। सुनवाई के दौरान वादी पक्ष के अधिवक्ता ने कहा कि ज्ञानवापी मामले में प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट (स्पेशल प्रॉविजंस), 1991 लागू नही होता। शृंगार गौरी का मुकदमा हर हाल में सुनवाई योग्य है। ज्ञानवापी को वफ्फ बोर्ड की सम्पत्ति प्रतिवादी पक्ष के बताए जाने के दलील को नकारते हुए वादी पक्ष के अधिवक्ता ने कहा कि अंजुमन इंतजामिया मसाजिद की ओर से सम्बंधित अभिलेख आज तक न्यायालय में प्रस्तुत नहीं किए गये। उन्होंने कहा कि यदि प्रॉपर्टी नॉन हिंदू है तो उस पर वक्फ बोर्ड का कानून लागू नहीं हो सकता है । ज्ञानवापी मामले में न प्लेसेज ऑफ़ वर्शिप एक्ट लागू होता है और न ही वक्फ एक्ट लागू होता है।
इसके पहले तीसरे दिन की सुनवाई में वादी पक्ष के अधिवक्ता ने आर्डर-एक रूल-8 के मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का नजीर दी। उन्होंने बहस करते हुए कहा कि कोई जरूरी नहीं है कि सिविल वाद दायर करने से पहले कोर्ट से अनुमति ली जाये। वाद की प्रकृति के ऊपर वाद को सीधे न्यायालय में दायर किया जा सकता है। अधिवक्ता ने दीन मोहम्मद के केस में हुए आदेश का जिक्र कर कहा कि इस फैसले में हिन्दू पक्ष की ओर से कोई पार्टी नहीं थी। इसलिए काशी विश्वनाथ एक्ट-1983 के सेक्शन 2 के तहत जो भी आदेश या फैसला आएगा, उसे निरस्त माना जाएगा। इस एक्ट में आराजी न. 9130 की सारी प्रॉपर्टी देवता में निहित है। वर्ष 1937 में दीन मोहम्मद के केस में सरकार ने जो गवाही कराई थी, उसमें 15 हिन्दू भी शामिल थे। उन्होंने न्यायालय को बताया था कि ऊपर मस्जिद है और नीचे मंडपयुक्त मंदिर है। गवाहों ने तहखाने का जिक्र करते हुए विग्रहों को पूजन होने की बात कही थी। गवाहों ने लिखित रूप से गवाही दी थी कि नीचे हिन्दू कई वर्षों से पूजा कर रहे हैं। सेक्शन-13 के एवीडेंस एक्ट के तहत पुराने केस की गवाही को इस मामले में शामिल किया जा सकता है। उनकी गवाही साबित करती है कि 1947 का स्वरूप हिन्दू मंदिर का था। इसलिए यहां प्लेसेज वर्शिप एक्ट हिंदू पक्ष में होगा