योगी सरकार वाराणसी में शुरू कर रही है सिल्क एक्सचेंज, जानिए क्या है, कैसे होगा लाभ

योगी सरकार वाराणसी में शुरू कर रही है सिल्क एक्सचेंज, जानिए क्या है, कैसे होगा लाभ
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प्रदेश के रेशम कारोबारियों का भविष्य भी संवरेगा

वाराणसी। प्रदेश की योगी सरकार अपने दूसरे कार्यकाल में पारंपरिक रेशम उद्योग से जुड़े हुए कारीगरों के हुनर और हौसलों को परवाज देने के लिए संजीदा है। कारीगरों के हूनर को एक नई उड़ान देने के लिए सरकार व्यापारियों और बुनकरों को उचित दर पर गुणवत्तायुक्त रेशम सिल्क एक्सचेंज से उपलब्ध कराने की तैयारी में है। इसके लिए सरकार वाराणसी में सिल्क एक्सचेंज बनाने के लिए तैयारी कर रही है। एक्सचेंज से बनारसी सिल्क की लागत में कमी आएगी और इसका उत्पादन भी बढ़ेगा। सरकार अपने पहले कार्यकाल में भी पारंपरिक उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए कदम उठाती रही है। सरकार बुनकरों को कच्चा रेशम उपलब्ध कराने के लिए सिल्क एक्सचेंज में कर्नाटक सिल्क मार्केटिंग बोर्ड (केएसएमबी) कार्यालय खोलने जा रही है।

इसके पीछे सरकार की सोच है कि बुनकरों को अच्छी क्वालिटी का 'कच्चा सामग्री' उचित मूल्य पर मिले। इससे रेशम व्यापारियों और विनिर्माण इकाइयों के लिए लागत भी कम हो जाएगी। अगले छह महीने में क्षेत्र के बुनकरों को सिल्क एक्सचेंज से भी जोड़ने की योजना है। सरकार ओडीओपी योजना में सिल्क एक्सचेंज के डिजिटाइजेशन पर भी कार्य कर रही है। सिल्क एक्सचेंज से बुनकरों, सूत बनाने वाली इकाइयों और सिल्क एक्सचेंज को डिजिटलीकरण के जरिए एक ही प्लेटफॉर्म पर लाया जाएगा। इससे बुनकरों के तैयार रेशम उत्पादों की बिक्री और प्रदर्शनी के लिए बड़ा अवसर मिलेगा।

जानिए क्या है सिल्क एक्सचेंज -

राज्य के भीतर उत्पादित कच्चे रेशम के विपणन की सुविधा के लिए योगी सरकार सिल्क एक्सचेंज की स्थापना कर रही है। उत्तर प्रदेश के बुनकर उत्पादित रेशम को बिक्री के लिए सिल्क एक्सचेंज में लाएंगे। इस तरह से लाए गए सभी रेशम की गुणवत्ता के लिए पहले परीक्षण किया जाएगा और फिर प्रत्येक लॉट का फ्लोर प्राइस राज्य में औसत रेशम मूल्य और विशेष लॉट की गुणवत्ता के आधार पर तय किया जाएगा। फिर रेशम के लॉट को नीलामी के लिए रखा जाता है। एक्सचेंज बुनकरों को तुरंत भुगतान भी सुनिश्चित करेगा। सिल्क एक्सचेंज का संचालन रेशम उद्योग को स्थिर करेगा और निजी उद्यमियों द्वारा उद्योग में अधिक निवेश को प्रोत्साहित करेगा। इससे फाइनेंसरों और कमीशन एजेंटों के बजाय रेशम के उत्पादकों और उपभोक्ताओं के बीच सीधा संबंध विकसित होगा। वस्त्र उत्पादकों को जब रेशम उत्पादन से जोड़ा जाएगा, तो उन्हें भी अच्छी किस्म का रेशम आसानी से मिल सकेगा।

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