वाराणसी: गंगा किनारे बनाया अस्थायी शवदाह स्थल, विरोध में उतरे स्थानीय लोग
वाराणसी: गंगा किनारे बुधवार को अस्थायी शवदाह स्थल शुरू कर दिया गया। दोपहर तक ही करीब 14 शवों की अंत्येष्टि के साथ आसपास के इलाकों में धुंआ भरने से लोगों ने विरोध शुरू कर दिया। मौके पर पहुंची पुलिस ने किसी तरह लोगों को समझाया। लोगों द्वारा जिलाधिकारी के माध्यम से ज्ञापन सौंपा गया।
लोगों का आरोप है कि शवदाह स्थल बस्ती से दूर बनाने की बात हुई थी। लेकिन ऐसी जगह पर बना दिया गया जहां बड़ी संख्या में लोगों के मकान बने हुए हैं। वाराणसी के महाश्मशान मणिकर्णिका और हरिश्चंद्रघाट पर शवों की कतार के कारण जिला प्रशासन ने गंगा किनारे अस्थायी शवदाह स्थल बनाने का फैसला किया था। इसके लिए तय हुआ था कि सामने घाट और राजघाट के बाद नए शवदाह स्थल बनाए जाएंगे।
जिला प्रशासन के निर्देश पर बुधवार को सामने घाट के पास मलहिया, मदेरवा और रमना के बीच शवदाह शुरू करा दिया गया। अत्येंष्टि से उठने वाले धुएं को देखकर आसपास के लोग लामबंद हो गए और विरोध शुरू कर दिया। लोगों ने आरोप लगाया कि शवदाह स्थल सामनेघाट इलाके में बनाने का निर्देश नगर निगम के अधिकारियों को मिला था। सामने घाट में शवदाह स्थल बनवाने की जगह मलहिया में बनवा दिया गया। बस्ती के करीब होने से दाहसंस्कार से उठने वाले धुएं से संक्रमण फैलने का डर बन गया है।
लोगों के हंगामे की सूचना पर पहुंचे इंस्पेक्टर लंका को ग्रामीणों ने जिलाधिकारी के नाम पत्रक देकर दाहसंस्कार बस्ती से दो से पांच सौ मीटर की दूरी पर झाड़ी वाले स्थान पर कराने की मांग की। मलहिया सहित आसपास के इलाके में कई कॉलोनी और स्कूल के साथ ही गढ़वाघाट आश्रम और अपना घर आश्रम है। शवदाह शुरू होने के बाद से पूरे इलाके में धुआं दिखाई पड़ने लगा। इससे लोगों के भीतर संक्रमण फैलने का डर सताने लगा।
जिस स्थान पर शवदाह किया जा रहा हैं उसके दो सौ मीटर की दूरी में पूरा धुआं धुआं हो जा रहा है। मौके पर पुलिस की मौजूदगी में शवदाह शुरू हुआ। रमना के निवर्तमान प्रधान पति अमित पटेल ने इंस्पेक्टर लंका से मांग की है कि जिलाधिकारी से बातचीत कर शवदाह बस्ती से दूर कराया जाए। ऐसा नहीं होने पर ग्रामीणों के साथ जिलाधिकारी से मिलकर शवदाह स्थल बदलने की मांग की जाएगी। बगल के कॉलोनी और बस्ती में रहने वाले लोगों को डर है कि इंफेक्शन हवा के द्वारा फैल सकता है।