योगी आदित्यनाथ बोले - गौरवशाली इतिहास को विस्मृत करना समाज के लिए त्रिशंकु जैसी स्थिति

योगी आदित्यनाथ बोले - गौरवशाली इतिहास को विस्मृत करना समाज के लिए त्रिशंकु जैसी स्थिति
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वाराणसी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गुरुवार को काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के स्वतंत्रता भवन सभागार में भारत अध्ययन केन्द्र की ओर से आयोजित दो दिवसीय अन्तर राष्ट्रीय संगोष्ठी "गुप्तवंशैक वीरः स्कन्दगुप्त विक्रमादित्य का ऐतिहासिक पुनः स्मरण एवं भारत राष्ट्र का राजनीतिक भविष्य" के उद्घाटन सत्र को बतौर विशिष्ट अतिथि सम्बोधित करते हुए कहा कि कोई समाज अपने गौरवशाली इतिहास को विस्मृत करता है, तो उसकी स्थिति त्रिशंकु वाली हो जाती है। हमें अतीत के गौरवशाली क्षणों की ओर जाने का प्रयास करना चाहिए।

गृहमंत्री अमित शाह की खास मौजूदगी में उन्होंने कहा कि 2000 वर्षों के भारतीय इतिहास को तोड़मोड़ कर प्रस्तुत किया गया। यह किसी छल और द्रोह से कम नहीं है। भारत के वासी अपने गौरवशाली इतिहास को जान न पाये इसके लिए साजिश के तहत प्रयास किया गया। मुख्यमंत्री ने केरल के एक विद्यान के लिखे लेख का जिक्र कर कहा कि जब इस देश में साम्यवादी आन्दोलन प्रारम्भ हुआ तो भारत को अलग-अलग राष्ट्रीयता का समूह बताया गया।

देश के आजादी के दौर में मुस्लिम लीग, साम्यवादी विचारकों ने भी देश को उसी रूप में प्रस्तुत किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने जब देश का भ्रमण किया तो पता चला कि केरल की धरती से ही आदि शंकराचार्य है। केरल से निकले संयासी ने देश के चार कोनों में चार पीठ की स्थापना की। चारों पीठ उत्तर से दक्षिण, पूरब से पश्चिम सांस्कृतिक एकता के प्रतीक है। देश के तीर्थ स्थल केवल उपासना की नही वरन राष्ट्रीय एकात्मकता के केन्द्र है।

उन्होंने कहा कि महाभारत के युद्ध के बाद देश जब क्षीण हो रहा था तो मौर्य और गुप्त काल ने देश को फिर स्वर्णिम दौर दिया। विदेशी आक्रांताओं ने भारतीय सभ्यता, संस्कृति को नष्ट करना चाहा लेकिन वे सफल नहीं हुए। तब भारत के महान वीर स्कंदगुप्त विक्रमादित्य ने बर्बर हूणों को पराजित कर देश को समृद्ध बनाया था। गाजीपुर के सैदपुर भीतरी में मिले स्तम्भ (लाट) में यह सब देखने को मिला। भारत के इतिहासकार इस गौरवशाली परम्परा को नये सिरे से लिखे।

मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व की सराहना करने के बाद कहा कि प्रधानमंत्री और गृहमंत्री अमित शाह देश को प्राचीन वैभवशाली परम्परा की ओर ले जा रहे है। पांच माह में ही देश ने इसे देखा और महसूस भी किया। मुख्यमंत्री ने जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने का उल्लेख कर कहा कि आजादी के बाद का यह ऐतिहासिक और सबसे साहसिक निर्णय है। सरदार पटेल के सपने को साकार कर गृहमंत्री ने भारतीय इतिहास के गौरवशाली पक्ष को अपने कृतित्व से दिखाई है। अब कश्मीर भी विकास की प्रकिया में एक भारत श्रेष्ठ भारत की ओर बढ़ रहा है। मुख्यमंत्री ने गृहमंत्री बनने के बाद पहली बार वाराणसी आने पर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह का आभार भी जताया।

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