वाहन की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए समय-समय पर टायरों को समय पर बदलना बहुत जरुरी है।
टायरों में समय के साथ ट्रेड डेप्थ कम हो जाती है। जब तक डीप ट्रेड के 1/17 इंच होने तक स्थिति गंभीर नहीं होती।
अलाइनमेंट की के कारण टायरों में अनियमित घिसाव आ जाता है। जोकि खतरनाक स्थिति है।
घिसे-पिटे सस्पेंशन और गलत इंफ्लेशन प्रेशर के कारण टायरों में ये खराबी समय के साथ आती है।
टायरों की उम्र 6 से 7 साल होती है, कंपनियां भी निश्चित अवधि के बाद टायर बदलने की सलाह देती है।
टायर पुराना होने पर टूट जाता है और रबर सड़ने लगती है, जिसके कारण गंभीर दुर्घटना हो सकती है।
टायर के किनारों पर घिसावट नजर आए बल्जेज दिखाई दें तो समझ लीजिए खराब हो गए हैं।
खराब टायरों के साथ गाड़ी चलाना बेहद खतरनाक होता है।