हाल में सरकार ने मोटर व्हीकल एक्ट में बदलाव किए हैं। इनमें सबसे बड़े बदलाव टायर और उनकी डिजाइन को लेकर किए गए हैं।
देशभर में 1 अक्टूबर 2022 से नए डिजाइन के टायर मिलेंगे।
1 अप्रैल 2023 से सभी गाड़ियों में नए डिजाइन के टायर लगाना जरूरी होगा।
भारत में बिकने वाले टायर की क्वालिटी के लिए BIS, यानी ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड नियम हैं, लेकिन लोगों को इसकी जानकारी नहीं है
मोटे तौर पर 3 कैटेगरी के टायर होते हैं C1, C2 और C3
C1 कैटेगरी टायर पैसेंजर कार में होते हैं। C2 कैटेगरी छोटी कमर्शियल गाड़ी में होते हैं। C3 कैटेगरी टायर हैवी कमर्शियल गाड़ी में होते हैं।
रोलिंग रेजिस्टेंस- कोई गोल चीज जमीन पर लुढ़कती है, तो उस पर लगने वाले घर्षण यानी फ्रिक्शन को रोलिंग रेजिस्टेंस कहते हैं।
वेट ग्रिप- बारिश के दौरान या कभी भी अगर सड़क गीली रहती है तो गाड़ियों के टायर फिसलने लगते हैं और रोड एक्सीडेंट बढ़ जाते हैं।
रोलिंग साउंड एमिशन्स- गाड़ी चलाते वक्त कई बार टायर से कुछ आवाज आती है। इससे लोग कन्फ्यूज हो जाते हैं कि कहीं गाड़ी खराब तो नहीं हो रही है। इसका ध्यान रखा जाएगा
कार की सर्विसिंग– ताकि कार के पार्ट्स में पानी जाने की वजह से उसे स्टार्ट करने में दिक्कत न आए।