टोयोटा किर्लोस्कर मोटर भारत में निरंतर उपलब्ध होने वाले जैव ईंधन इथेनॉल के उपयोग को बढ़ावा देगी।
सरकार ने कृषि अपशिष्ट (पराली ) जैसे कृषि अवशेषों से इथेनॉल के उत्पादन के लिए दूसरी पीढ़ी की तकनीक पेश की है।
टोयोटा किर्लोस्कर मोटर (TKM) ने भारत में जैव ईंधन के रूप में इथेनॉल को बढ़ावा देने इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन के साथ एमओयू किया है।
टोयोटा ने अपने फ्लेक्सी-फ्यूल स्ट्रॉन्ग हाइब्रिड इलेक्ट्रिक कार के साथ-साथ इसका अनुभव लेने के लिए एक ड्राइव का भी प्रदर्शन किया।
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देश में भारत सरकार और सुगर इंडस्ट्री के बीच का इंटरफेस आईएसएमए इथेनॉल के उत्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
MoU के माध्यम से टोयोटा और आईएसएमए का लक्ष्य स्वदेशी वैकल्पिक स्वच्छ ईंधन के रूप में इथेनॉल को अपनाने में तेजी लाना है।
भारत सरकार जैव ईंधन के रूप में इथेनॉल के उपयोग को बढ़ावा देती है और 2025 तक गैसोलिन में 20% इथेनॉल मिलाने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया है।
टोयोटा ग्रीन टेक्नॉलजी के साथ-साथ ऊर्जा आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने वाले विभिन्न उन्नत पावरट्रेन इंजन बनाने लगातार अध्ययन कर रहा है।
2025-2026 तक 86 मिलियन बैरल गैसोलिन 20 पर्सेंट इथेनॉल से मिलाया जाएगा। इससे भारत की लगभग 30,000 करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा की बचत होगी।
इथेनॉल भारत के ऊर्जा मिश्रण का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और ऊर्जा में आत्मनिर्भरता हासिल करने एक स्वच्छ, हरे-भरे पर्यावरण में योगदान देने के लिए लंबा रास्ता तय करेगा।