21 जुलाई को देशभर में गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया जा रहा है। आज से आषाढ़ माह का समापन हो जाएगा और सावन माह शुरू हो जाएगा इसलिए इसे आषाढ़ी पूर्णिमा भी कहा जाता है।
गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। सनातन धर्म में गुरु को भगवान से भी ऊंचा दर्जा दिया गया है।
गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु और शिष्य के बीच के पवित्र बंधन का सम्मान किया जाता है। इस दिन लोग अपने गुरुओं के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
महर्षि वेदव्यास को महाभारत, पुराणों, वेद, उपनिषदों और अनेक अन्य हिन्दू ग्रंथों का रचयिता माना जाता है। उन्हें ज्ञान, पवित्रता और आत्मज्ञान का प्रतीक माना जाता है। भगवान बुद्ध ने भी आज के दिन ही अपने पहले पांच शिष्यों को उपदेश दिया था।
सनातन धर्म में पूर्णिमा के दिन हमेशा ब्रह्म मुहूर्त में ही स्नान करने का योग बताया गया है। 21 जुलाई को स्नान दान का शुभ मुहूर्त 4 बजकर 13 मिनट से शुरू हो गया है जोकि 4 बजकर 50 मिनट तक था।
देश भर में गुरुपूर्णिमा के चलते प्रयागराज संगम, कानपूर और उत्तरखंड में श्रद्धालु गंगा में स्नान करने पहुंचे हैं।