क्या पेंडुलम हिंदुत्व की ओर बढ़ रही है शिवसेना ?
नागरिकता बिल पर हां और ना में उलझी शिवसेना
वेब संपादकीय। नागरिकता संशोधन बिल को कल मोदी सरकार द्वारा लोकसभा में पेश किया गया जिसे लंबी चर्चा के दौरान विपक्ष द्वारा उठाये गये सभी सवालों का गृहमंत्री अमित शाह ने विस्तार से जवाब दिया। देर रात 12 बजे ध्वनिमत से 311 वोट ( बिल के पक्ष में) बनाम 80 वोट (बिल के विरोध में) से पास करा लिया गया। दूसरे दिन आज सुबह देखा की नागरिकता संसोधन बिल पर दो तरह का माहौल देश में बन रहा है एक पक्ष में और दूसरा विपक्ष में जैसा की होता भी है। भाजपा वाले कह रहे है की बिल लोकसभा के पटल पर लाना और उसे पास करना एक ऐतिहासिक कदम है। तो वहीं इस बिल का विरोध करने वाली पार्टियाँ इसको लोकतंत्र और संविधान की हत्या करना बता रहीं है।
इस बिल पर सांसदों / पार्टियों का समर्थन और विरोध की दिशा में हवा का रूख काफी तेज हो गया है यह देखते हुए लोकसभा में समर्थन करने वाली एक पार्टी ऐसी भी है जिसने लोकसभा में तो बिना किसी किन्तु परन्तु के बिल का समर्थन कर दिया है। लेकिन अब बिल कल राज्यसभा में लाया जाएगा तो समर्थन देने के बदले विस्तृत स्पष्टीकरण मांग रही है... वो पार्टी है "शिवसेना"
The #CAB is an attack on the Indian constitution. Anyone who supports it is attacking and attempting to destroy the foundation of our nation.
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) December 10, 2019
अब सोशल मीडिया पर इसकी चर्चाएँ जोर सोर से चल रही है की शिवसेना जैसे कट्टर हिंदुत्ववादी पार्टी को आखिर क्या हो गया है की कांग्रेस नेता राहुल गांधी के एक ट्वीट के 10 मिनिट बाद ही महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और शिवसेना नेता उद्धव ठाकरे को कहना पड़ा की राज्यसभा सभा में नागरिकता संशोधन बिल को समर्थन देंगे जब केंद्र सरकार धर्म विशेष को नागरिकता और अन्य सवालों की स्थिति को स्पष्ट नहीं कर देती ।
Is this a U turn or double U turn? #CitizenshipAmendmentBill2019 https://t.co/qIptWCLwVz
— nikhil wagle (@waglenikhil) December 10, 2019
शिवसेना के बदले विचार पर टिपण्णी करते हुए भाजपा नेता देवेंद्र फड़नवीस ने कहा की केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह स्पष्ट कर चुके हैं कि यह विधेयक किसी भी धर्म या व्यक्ति विशेष के खिलाफ नहीं है। इसी आधार पर शिवसेना ने लोकसभा में इस विधेयक का समर्थन किया था। कांग्रेस के दबाव डालने के बाद शिवसेना ने अपना निर्णय बदल दिया। उन्होंने शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे से अपने निर्णय पर फिर से विचार करने की अपील की है।
ज्ञातव्य है की महाराष्ट्र में कांग्रेस और रांकपा के सहयोग से मुख्यमंत्री बने उद्धव ठाकरे क्या केंद्र सरकार पर दवाब बनाने को ऐसा बोल रहे हैं या अपना मुख्यमंत्री पद बचाने के लिए विचारों से समझौता कर राज्यसभा में अडंगा लगाने की तैयारी में है ? संकेत साफ है की सत्ता में बने रहने के लिए कांग्रेस जिस तरह सॉफ्ट हिंदुत्व का सहारा लेती है तो क्या शिवसेना भी विचारों से समझौता कर " पेंडुलम हिंदुत्व " की ओर बढ़ रही है ?