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शहीद दिवस पर ममता बनर्जी ने किया शक्ति प्रदर्शन, कहा - 2024 में न्यू इंडिया का जन्म होगा
कोलकाता। धर्मतल्ला में शहीद दिवस कार्यक्रम के लिए राज्य भर से एकत्रित हुए कार्यकर्ताओं के समक्ष शुक्रवार को तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी ने केंद्र पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा है कि वह चुनौती स्वीकार करने वाली महिला है़ं। उन्होंने दावा किया कि 2024 में न्यू इंडिया का जन्म होगा।
केंद्र सरकार पर केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि हमें डराने-धमकाने और झुकाने की कोशिशें हो रही हैं लेकिन हम ना डरेंगे, ना झुकेंगे और ना ही रुकेंगे। मैं चुनौती स्वीकार करने वाली महिला हूं।
अपने फंड से 100 दिनों का रोजगार जारी रखेगी सरकार
इसके अलावा मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने यह भी घोषणा की कि केंद्र सरकार ने 100 दिनों की रोजगार गारंटी योजना का फंड रोक रखा है। इससे बंगाल के मजदूर वर्ग बेहद परेशानी में है। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार अपने फंड से 100 दिनों की रोजगार गारंटी योजना का काम जारी रखेगी। इसे नए नाम से चलाया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस नई परियोजना का नाम होगा "खेला होबे"।
पंचायत चुनाव में भारी हिंसा को लेकर विपक्ष के आरोपों पर पलटवार करते हुए ममता ने कहा कि पंचायत चुनाव में 71 हजार मतदान केंद्रों पर वोटिंग हुई है लेकिन केवल तीन जगह हिंसा की घटना हुई भांगड़, डोमकल और इस्लामपुर। सबसे अधिक तृणमूल कार्यकर्ताओं को ही मौत के घाट उतारा गया है। एक बार फिर मुख्यमंत्री ने दोहराया कि पंचायत चुनाव में जो लोग भी मारे गए हैं उनके परिजनों को वित्तीय मदद और परिवार के एक सदस्य को नौकरी दी जाएगी।मणिपुर हिंसा को लेकर ममता बनर्जी ने कहा कि जो लोग बेटी बचाओ का ढोंग करते हैं उनके राज में क्या हो रहा है? बिटिया जल रही हैं। उनके कपड़े उतार कर परेड करवाया जा रहा है।
केंद्र के खिलाफ बड़े आंदोलन की घोषणा
इसके अलावा मुख्यमंत्री ने यह भी घोषणा की कि 100 दिनों की रोजगार गारंटी योजना का फंड रिलीज करवाने के लिए दो अक्टूबर यानी महात्मा गांधी की जयंती वाले दिन से बड़ा आंदोलन होगा। उस दिन पार्टी का दिल्ली चलो अभियान होगा। ममता बनर्जी के संबोधन से पहले उनके भतीजे अभिषेक बनर्जी ने संबोधन के दौरान यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि लाखों लोग दिल्ली जाकर आंदोलन करेंगे। उन्होंने यह भी बताया कि आगामी पांच अगस्त को राज्य में भाजपा नेताओं के घरों का घेराव किया जाएगा।------
ममता क्यों मनाती हैं शहीद दिवस
90 के दशक में ममता बनर्जी कांग्रेस की युवा इकाई की अध्यक्ष थीं। तब साफ-सुथरी और पारदर्शी चुनाव प्रक्रिया के लिए "मतदाता पहचान पत्र" बनाने की मांग पर उन्होंने व्यापक आंदोलन किया था। उस समय राज्य में वाम मोर्चा की सरकार थी और ज्योति बसु मुख्यमंत्री थे। कोलकाता के राइटर्स बिल्डिंग में राज्य का सचिवालय हुआ करता था। ग्रामीण क्षेत्र के गरीबों मजदूरों, किसानों, बेरोजगारों, युवाओं के लिए मतदाता पहचान पत्र बनाने हेतु ममता ने सचिवालय घेराव का आह्वान किया और उनके एक बुलावे पर राज्य भर से हजारों लोग कोलकाता में राइटर्स बिल्डिंग का घेराव करने के लिए पहुंच गए। सचिवालय की ओर बढ़ रहे लोगों की भीड़ का नेतृत्व ममता बनर्जी कर रही थीं। उसी समय एक दूसरी भीड़ भी दूसरी ओर से सचिवालय की ओर बढ़ने लगी। मुख्यमंत्री ज्योति बसु ने उन्हें सचिवालय तक पहुंचने से रोकने के लिए सख्ती बरतने का निर्देश पुलिस को दे दिया। बैरिकेडिंग की गई, पुलिस ने भी मानव चेन बनाकर ममता के पीछे भीड़ को आगे बढ़ने से रोकने की कोशिश की लेकिन सफलता नहीं मिली तो लाठी चार्ज करनी पड़ी। फिर भी सचिवालय की ओर बढ़ रही भीड़ को बलपूर्वक रोकने में पुलिस नाकाम रही तो लाल बाजार स्थित कोलकाता पुलिस मुख्यालय में तत्कालीन उपायुक्त ने फायरिंग का आदेश दे दिया। पुलिस की बंदूकें गरज पड़ीं। जब शोर थमा तो 13 निहत्थे लोग पुलिस की गोली का शिकार होकर मारे जा चुके थे जबकि हजारों अन्य घायल हुए थे। उसके बाद से लेकर हर साल ममता बनर्जी उनकी याद में शहीद दिवस मनाती हैं। कांग्रेस छोड़ कर उन्होंने तृणमूल का गठन कर लिया। उसके बाद भी उन शहीदों की याद में हर साल कोलकाता में शहीद दिवस का आयोजन करती हैं जो उनका शक्ति प्रदर्शन का सबसे बड़ा जरिया होता है। हर साल मंच पर शहीदों के परिजन मौजूद रहते हैं।
तृणमूल का दावा है कि शहीद दिवस कार्यक्रम में कम से कम पांच लाख लोग एकत्रित हुए हैं। इसमें राजधानी कोलकाता, हावड़ा, हुगली, उत्तर और दक्षिण 24 परगना के साथ-साथ दक्षिण और उत्तर बंगाल के विस्तृत इलाके से तृणमूल कार्यकर्ताओं को एकत्रित किया गया है। शुक्रवार को सारा दिन हावड़ा, सियालदह और कोलकाता स्टेशनों पर लोगों का तांता लगा रहा।
महानगर में ठप रही यातायात व्यवस्था, परेशान हुए लोग
शहीद दिवस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए कोलकाता में आठ जगहों से जुलूस निकला। श्याम बाजार, हावड़ा, सियालदह, गिरीश पार्क, बिड़ला तारामंडल, मिलन मेला और हाजरा से जुलूस जब रवाना हुआ तो पूरे कोलकाता की यातायात व्यवस्था थम गई थी। जो लोग बसों में बैठे थे वे दो-दो घंटे तक फंसे रहे। स्थानीय स्तर पर सुबह नौ बजे से ही जुलूस निकलना शुरू हो गया था, जो इन आठ केंद्रों तक पहुंचा।