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बंगाल में अनुसूचित जाति वर्ग के बीच डर और दहशत का माहौल : विजय सांपला
कोलकाता। पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के बाद हिंसा के बीच दो दिवसीय बंगाल दौरे के बाद राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के चेयरमैन विजय सांपला ने कहा कि बंगाल में अनुसूचित जाति के लोगों में डर और दहशत का माहौल है। उन पर होते अत्याचार में पुलिस दंगाइयों के साथ खड़ी है। जिला प्रशासन आंखें मूंदे बैठा है।
दो दिवसीय दौरे के दौरान विजय सांपला ने राज्य के हिंसा प्रभावित इलाकों का दौरा किया। इस दौरान लगभग 1000 शिकायती पत्र जमा हुए हैं। दिल्ली लौटने के बाद वह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को रिपोर्ट सौंपेंगे।दक्षिण 24 परगना के पीड़ित परिवार से मुलाकात के बाद मीडिया से मुखातिब विजय सांपला ने कहा, "1947 की जो दर्दनाक भयावह आपबीती बुजुर्गों से हम सुनते थे, तस्वीरें देखते थे, उसका प्रत्यक्ष अहसास मुझे गांव मिल्कीपाड़ा में दौरे के समय हुआ, जहां एक ही लाइन में 12 दुकाने तोड़ी गईं, लूटी गईं। बंगाल पुलिस दंगाइयों के साथ खड़ी है और यही कारण है कि बर्दवान के गांव नवग्राम और जिला दक्षिण 24 परगना के गांव नबासन में पीड़ित दलित परिवार घर छोड़कर भाग गए और दंगाई सरेआम घूम रहे हैं।"
घरों पर आक्रमण -
उन्होंने कहा कि बर्दवान शहर के अंदर घरों पर आक्रमण कर घर जलाए गए। तोड़े गए, लूटे गए। डर के मारे पूरे के पूरे मोहल्ले खाली हो गए हैं। बंगाल पुलिस आंखें कान बंद कर बैठी है। सांपला ने आगे कहा कि अनुसूचित जाति अत्याचार निवारण अधिनियम की धाराओं के तहत पुलिस कार्रवाई नहीं कर रही, क्योंकि इसके तहत शिकायत आने पर, पहले प्राथमिकी करनी होती है, फिर सीधा आरोपितों को गिरफ्तार करना होता है और बाद में इन्वेस्टिगेशन होती है। उन्होंने कहा कि इतना ही नहीं अनुसूचित जाति अत्याचार निवारण अधिनियम की धाराओं के तहत प्रशासनिक अधिकारी कार्रवाई नहीं कर रहे, क्योंकि अब तक पीड़ित दलित परिवारों को क्षतिपूर्ति (कंपनशेसन) नहीं मिला है।
अनुसूचित जाति अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत कार्यवाही -
उन्होंने कहा कि मुआवजा तो छोड़ों, पीड़ितों की तो जिला प्रशासन द्वारा ना तो सूची बनाई गई है, ना उनके नुकसान का अंदाजा लगाया गया है और ना ही उन्हें अब तक कोई मुआवजा दिया गया है। जब तक उनका पुनर्वास नहीं हो जाता, तब-तक प्रशासन को उनको तीनों समय का भोजन के लिए राशन और रहने के लिए जगह देनी होती है। वह भी बंगाल प्रशासन अब तक नहीं कर पाया। सांपला ने बंगाल सरकार को कहा कि तुरंत अनुसूचित जाति अत्याचार निवारण अधिनियम की धाराओं के तहत कारवाई ना करने के दोषी पुलिस अधिकारियों को सस्पेंड किया जाए और उन पर कानूनी कार्रवाई शुरू की जाए।