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कानपुर देहात ने देश को दिया पहला ऑप्टिकल टेलिस्कोपी

कानपुर देहात ने देश को दिया पहला ऑप्टिकल टेलिस्कोपी
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-कानपुर देहात के युवा खगोल वैज्ञानिक ने साइंस जर्नल में बनाई जगह

कानपुर देहात। उत्तर प्रदेश के छोटे से जनपद से कई प्रतिभाएं सामने आई हैं। बीते कुछ महीने पहले ही जनपद के एक लाल ने देश का राष्ट्रपति बन कानपुर देहात का नाम रोशन किया। अभी इसकी खुशी देश और दुनिया भूली भी नहीं थी कि देश की पहली ऑप्टिकल टेलीस्कोप का डिजाइन तैयार करने वाले रूरा के एक युवक की उपलब्धि साइंस जर्नल में दर्ज हो गई। साइंस जर्नल में जगह पाने वाला यह युवक यूपी का पहला खगोल वैज्ञानिक बन गया है। यह सम्मान उन्हें 3.6 मीटर मिरर रेंज की टेलीस्कोप डिजाइन करने के लिए मिला है। अब उन्होंने 10 मीटर रेंज की टेलीस्कोप बनाने की प्लानिंग शुरू की है।

रूरा कस्बे के रहने वाले डा. अमितेष ओमर ने आईआईटी करने के बाद नैनीताल के ’आर्यभट्ठ रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ आब्जर्वेशन साइंस’ में बतौर खगोल वैज्ञानिक कार्य शुरू कर दिया और अभी भी वहां कार्यरत हैं। खगोल के क्षेत्र में शोध के लिए उन्होंने एक ऐसी टेलीस्कोप का प्रोजेक्ट तैयार किया जिससे खगोलीय रहस्यों के बारे में आसानी से पता लगाया जा सके। उन्होंने करीब दस साल तक इस प्रोजेक्ट पर काम किया। ऐरीज से प्रोजेक्ट को मंजूरी मिलने के बाद अमितेष ने 3.6 मीटर मिरर रेंज की टेलीस्कोप का डिजायन तैयार किया। बेल्जियम ने भी इस प्रोजेक्ट की सराहना की है यही नहीं इसमें अपनी भागीदारी भी दी है।

कड़ी मेहनत और लगन के बाद डा. अमितेष और उनके सहयोगी महेश्वर गोपीनाथन, राम सागर और डा. बृजेश कुमार ने टेलीस्कोप के इंस्टालेशन का काम शुरू कराया। बीते साल 31 मार्च को पीएम नरेंद्र मोदी ने बेल्जियम के ब्रसेल्स में टेलीस्कोप की शुरुआत की थी। यहां उत्तराखंड के देवस्थल स्थित शोध केंद्र में केंद्रीय मंत्री डा. हर्षवर्धन के साथ डा. अमितेष और अन्य वैज्ञानिकों ने एक्टीवेशन का काम पूरा किया। अब इस एक्टीवेटेड टेलीस्कोप ने खगोलीय जानकारियां मुहैया कराना शुरू भी कर दिया है। अगर हम टेलीस्कोप की खासियत के बारे में बात करें तो इसको बनाने के लिए करीब डेढ़ सौ करोड़ रुपए खर्च हुए हैं और ये इंडो-बेल्जियम को-प्रोजेक्ट से बनी टेलीस्कोप है। इसकी ऊंचाई करीब 13 मीटर है। इस टेलिस्कोप के जरिये खगोल विज्ञान की राह आसान होगी। इसके द्वारा अंतरिक्ष में सामान्य तारा मंडल के अलावा आकाश गंगा पर भी शोध हो सकेगा। इस दूरबीन से तारों की गति, उनके जीवन चक्र और आयु के संबन्ध में जानना आसान हो जायेगा। दुनिया भर की बड़ी उपलब्धियां बताने वाले साइंस जर्नल में टेलीस्कोप के डिजायनर डा. अमितेष की कामयाबी को प्रमुखता से लिखा है।

Updated : 11 Oct 2017 12:00 AM GMT
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