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कितना सार्थक होगा ऑड-ईवन फार्मूला?

कितना सार्थक होगा ऑड-ईवन फार्मूला?
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- सुधांशु द्विवेदी

देश की राजधानी दिल्ली में निरंतर बढ़ते प्रदूषण की समस्या पर लगाम लगाने के लिए प्रदेश की केजरीवाल सरकार ने फिर से ऑड-ईवन फार्मूला लागू करने का निर्णय लिया है। प्रदेश सरकार द्वारा यह स्कीम पिछले साल भी लागू की गई थी, जिसका राजनीतिक तौर पर भले ही विरोध करते हुए सवाल उठाए गये रहे हों लेकिन दिल्ली के जनमानस ने इसका समर्थन करने के साथ ही अपेक्षित सहयोग भी किया था। इसमें दिल्ली की ट्रैफिक पुलिस ने भी काफी अग्रणी भूमिका निभाई थी। वैसे दिल्ली में प्रदूषण का स्तर खतरनाक स्तर तक बढ़ गया है। इसके घातक नतीजे आने की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता । ऐसे में प्रदेश में बढ़ते प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए ठोस एवं प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता बड़ी सिद्दत से महसूस की जा रही है। वैसे दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण के लिये सिर्फ सडक़ों पर दौड़ती गाडिय़ां ही जिम्मेदार नहीं हैं। इसके लिये पेड़ों की कटाई और अनियोजित शहरी विकास भी प्रमुखता के साथ जिम्मेदार है। बढ़ती जनसंख्या के साथ मानवीय आवश्यकताओं की पूर्ति के नाम पर जब यत्र-तत्र कल कारखाने स्थापित किये जाएंगे तथा पर्यावरणीय मापदंडों का उल्लंघन करते हुए गैर जरूरी निर्माण कार्यों व स्वलाभ की भावना से प्रेरित होकर सिर्फ औद्योगिकीकरण पर ही जोर दिया जायेगा तो फिर प्रदूषण के विकराल होने और समस्या का कोई भी समाधान नजर न आने की स्थिति तो निर्मित होगी ही। इसके लिए राजनेता, नौकरशाह, उद्योगपति तथा विलासितावादी लोग सब के सब प्रमुखता के साथ जिम्मेदार हैं।

इन्होंने मानवीय सरोकारों एवं पर्यावरणीय मापदंडों के पालन में अपनी अपेक्षित जिम्मेदारी सही ढंग से नहीं निभाई। सिर्फ जिम्मेदारियां दूसरों पर टालने और स्थिति के अधिक भयावह होने का इंतजार किया जाता रहा। अब दिल्ली में धुंध और प्रदूषण की समस्या इतनी विकराल हो गई है कि राजधानी के स्कूलों को ही कुछ दिन के लिए बंद कर देना पड़ा है। प्रदेश की केजरीवाल सरकार प्रदेश में एक बार पुन: ऑड-ईवन फार्मूला लागू करने जा रही है। यह स्कीम 13 से 17 नवंबर तक चलेगी। यह स्कीम दिल्ली और दूसरे राज्यों के वाहनों पर भी लागू की जाएगी। ऑड-ईवन फार्मूला सुबह 8 बजे से रात 8 बजे तक लागू रहेगा। जैसा कि विदित है कि दिल्ली में तीसरी बार यह फार्मूला लागू होने जा रहा है। इससे पहले 2016 में 1-15 जनवरी और 15-30 अप्रैल के बीच 2 बार इस स्कीम को लागू किया गया था। प्रदेश के परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत का कहना है कि इस बार ऑड-ईवन की तैयारी के लिए काफी कम समय मिला है, इसलिए पिछली बार के फार्मूले के अंतर्गत जिन कैटिगरी को छूट मिली थी, वह इस बार भी मिलेगी।

प्रदूषण के चलते वैसे तो 11 नवंबर तक स्कूल बंद हैं लेकिन ऑड-ईवन के दौरान स्कूल बंद रहेंगे या नहीं, इस बारे में अभी कोई फैसला नहीं किया गया है। वैसे राजधानी में परिवहन व्यवस्था सुचारु रखने की भी व्यवस्था की गई है। आईजीएल के 23 स्टेशनों पर सीएनजी गाडिय़ों के लिए स्टिकर मिलेंगे, जो हर जिले में 2-2 स्टेशनों पर उपलब्ध होंगे। पिछली बार दिए गए सीएनजी स्टिकर इस बार भी मान्य किये जाएंगे। जिन लोगों की गाड़ी में सीएनजी किट लगा है, लेकिन आरसी पर सीएनजी का जिक्र नहीं है, उन्हें स्टिकर नहीं मिलेगा। उधर स्टाफ की कमी को देखते हुए ट्रैफिक पुलिस ने दिल्ली सरकार से कुछ वॉलंटियर्स मुहैया कराने की मांग की है, ताकि चौराहों पर ऑड-ईवन के नियमों को तोड़ रही गाडिय़ों की पहचान करने में आसानी हो सके। इसके अलावा लोगों में ऑड-ईवर के नियमों के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए भी ट्रैफिक पुलिस को वॉलंटियर्स की आवश्यकता भी जताई गई है।

दिल्ली के परिवहन मंत्री की तरफ से यह भी बताया गया है कि डीटीसी को प्राइवेट कॉन्ट्रैक्ट कैरिज की 500 और डीएमआरसी को 100 छोटी बसों का इंतजाम करने को कहा गया है। पहले ऑड-ईवन के समय जब स्कूलों में छुट्टियां थी तो करीब 1200 एक्सट्रा बसें आई थी। दूसरे ऑड-ईवन में भी 500 से ज्यादा बसें थीं। इस बार सबसे बड़ी चुनौती यह है कि परिवहन व्यवस्था में प्राइवेट कॉन्ट्रैक्ट कैरिज की बसें कैसे जुड़ेंगी? इस प्रकार यह सब समस्याएं तो हैं ही, साथ ही दिल्ली सरकार इस स्कीम को एक बार फिर लागू करने के प्रति दृढ़प्रतिज्ञ नजर आ रही है। ऐसे में सवाल यह उठ रहा है कि यह फार्मूला किस हद तक सार्थक साबित होगा। क्यों कि पर्यावरण की सुरक्षा एवं इसके अपेक्षित मापदंडों का पालन सभी की जिम्मेदारी है। फिर भी पर्यावरणीय मापदंडों का उल्लंघन लगातार जारी है। ऐसे में समस्या के समाधान में सभी को अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी।

Updated : 11 Nov 2017 12:00 AM GMT
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