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अब पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचाएगा प्लास्टिक

अब पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचाएगा प्लास्टिक
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-वैज्ञानिकों ने खोजी नई प्रणाली
नई दिल्ली। प्लास्टिक को पर्यावरण के लिए काफी नुकसानदेह माना जाता है। लेकिन वैज्ञानिकों ने अब एक ऐसी विधि विकसित कर ली है जो प्रकाश संश्लेषण की तरह क्रिया करती है और एथिलीन गैस के उत्पादन के लिए सूर्य की रोशनी, पानी और कार्बन डाई आॅक्साइड का उपयोग करती है। पॉली एथिलीन बनाने में अहम भूमिका निभाने वाली एथिलीन गैस का उपयोग प्लास्टिक, रबड़ और फाइबर बनाने में किया जाता है। वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि नई प्रणाली से प्लास्टिक का खतरा कम हो सकेगा, साथ ही कार्बन डाई आॅक्साइड की मात्रा को भी कम करने में मदद मिलेगी। इसके जरिए एथिलीन से बनने वाली चीजें ईको फ्रेंडली होंगी, यानी ग्रीन प्लास्टिक आदि। नेशनल यूनिवर्सिटी आॅफ सिंगापुर (एनयूएस) के शोधार्थियों द्वारा की गई इस खोज से एथिलीन उत्पादन की वर्तमान विधि का पर्यावरण के अनुकूल और टिकाऊ विकल्प मिलने की उम्मीद जगी है।

क्या कहते हैं आंकड़े

साल 2015 में दुनियाभर में 17 करोड़ टन से अधिक एथिलीन का उत्पादन किया गया। साल 2020 तक इसकी वैश्विक मांग बढ़कर 22 करोड़ टन होने का अनुमान है।

यह है विधि

वैज्ञानिकों ने एक ऐसा कॉपर उत्प्रेरक तैयार किया, जो आसानी से उपलब्ध पानी और कार्बन डाई आॅक्साइड को विद्युत की उपस्थिति में एथिलीन में बदल सकता है। बाद में इस कॉपर उत्प्रेरक को कृत्रिम प्रकाश संश्लेषण प्रक्रिया में प्रयोग किया गया, जिसमें सौर ऊर्जा के जरिए कार्बन डाई आॅक्साइड और पानी को एथिलीन में बदला गया।

इस तरह पहुंचेगा प्रकृति को लाभ

एनयूएस के जेसन येओ बून सियांग के मुताबिक, वर्तमान में मानवीय गतिविधियों के कारण वातावरण में कार्बन डाई आॅक्साइड की मात्रा में तेजी से इजाफा हो रहा है। ग्लोबल वार्मिंग के लिए यह सबसे ज्यादा जिम्मेदार है। हमारे द्वारा तैयार यह विधि न केवल पूरी तरह से नवीनीकरण ऊर्जा का स्रोत बनेगी, बल्कि कार्बन डाई आॅक्साइड को ग्रीनहाउस गैस में परिवर्तित कर देगी, जो उपयोगी है।

एथिलीन के उत्पादन में प्रकृति पर असर

वर्तमान में एथिलीन के औद्योगिक उत्पादन में जीवाश्म ईंधन को 750 से 950 डिग्री सेल्सियस के बीच गर्म करके भाप बनाना पड़ता है। इस प्रक्रिया में अत्याधिक मात्रा में ऊर्जा की आवश्यकता पड़ती है, जिसका असर प्राकृतिक ईंधन पर पड़ता है। इसके अलावा एथिलीन बनाने के वर्तमान तरीके का एक और नुकसान यह है कि इससे काफी मात्रा में कार्बन तत्व निकलते हैं।


Updated : 28 Nov 2017 12:00 AM GMT
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