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उम्दा हाईवे के लिए इंजीनियरों की होगी ट्रेनिंग

उम्दा हाईवे के लिए इंजीनियरों की होगी ट्रेनिंग
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नई दिल्ली। केन्द्रीय सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी सड़क दुर्घटना रोकने तथा उम्दा सड़क निर्माण के लिए देश के 5,500 हाईवे इंजीनियरों (टेक्नोक्रेट्स) को तकनीकी त्रुटि से बचने का गुर सिखाएंगे। देश में पहली बार अंतरराष्ट्रीय स्तर की शीर्ष संस्था से सड़क सुरक्षा व सड़क सुरक्षा आॅडिट का प्रशिक्षण दिलाने का फैसला लिया गया है। यह प्रशिक्षण दो चरणों में 27 नंवबर से एक दिसंबर व चार से आठ दिसंबर के बीच दिया जाएगा।

विश्व बैंक पोषित इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में केंद्र व राज्य सरकार के टेक्नोक्रेट्स शामिल किए जाएंगे। सरकार पेशवरों की मदद से देशभर में त्रुटिपूर्ण हाइवे की तकनीकी खामियों को दूर करेगी। वहीं हाइवे पर होने वाली सड़क दुर्घटनाओं का आॅडिट भी कराया जाएगा।

सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय ने एक नवंबर को सभी राज्य सरकारों व हाइवे निर्माण से जुड़े विभागों को पत्र लिखा है। इसमें सड़क सुरक्षा व सड़क सुरक्षा आॅडिट के पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में हाइवे इंजीनियरों के नाम भेजने को कहा गया है। पत्र में कहा गाय है कि देश में सड़क सुरक्षा के पेशवरों व गुणवत्तापरक सड़क सुरक्षा प्रशिक्षण का भारी अभाव है। इसी कारण प्रतिदिन 400 लोगों की जान सड़क हादसों में जा रही है। सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय अंतरराष्ट्रीय स्तर की शीर्ष संस्था एशियन इंस्टीट्यूट आॅफ ट्रांसपोर्ट डेवलपमेंट (एआईटीडी) में केंद्र व राज्य सरकार के 5,500 टेक्नोक्रेट्स को प्रशिक्षण दिलाएगा। इसमें 4,000 को सड़क सुरक्षा व 1,500 टेक्नोक्रेट्स को सड़क सुरक्षा आॅडिट का प्रशिक्षण दिया जाएगा। एआईटीडी में दो चरणों 27 नंवबर से एक दिसंबर व चार दिसंबर से आठ दिसंबर के बीच प्रशिक्षण दिया जाएगा।

केंद्र सरकार सड़क सुरक्षा आॅडिट संबंधी नए निर्देश जारी कर दिए हैं। इसमें नए राष्ट्रीय राजमार्गों पर रोड सेफ्टी आॅडिट कराना अनिवार्य है। तैयार राजमार्ग पर आॅडिर की मंजूरी के बाद ही वाहन चलने का प्रावधान है। इसके अलावा सरकार ने मौजूदा राष्ट्रीय राजमार्गों का रोड सेफ्टी आॅडिट कराने का फैसला किया है। इसमें विश्व बैंक के तय दिशा निदेर्शो का पालन किया जाएगा। इसमें प्रमुख रूप से राजमार्गो पर चलने वाले वाहनों की संख्या, दो वाहन, चार पहिया, निजी वाहन, व्यवसायिक वाहन, भारी व ओवर साइज के व्यवसायिक वाहनों की गणना की जाएगी।

इसके अलावा अगले 30 साल में उक्त राजमार्ग पर यातायात की संभावित वृद्धि की जानकारी भी देगा। हाईवे की तकनीकी त्रुटियां दूर करने के लिए बाई पास, फ्लाईओवर, इंटरचेंज, गे्रड सेपरेटर, अंडरपास आदि बनाने बनाए जाते हैं। जिससे दुर्घटनाएं नहीं होंगी और कंजेशन से यातायात जाम की समस्या नहीं पैदा होंगी। निर्माण कंपनियां राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजना की डीपीआर में ट्रैफिक सर्वे नहीं कराती है। किसी भी परियोजना का रोड सेफ्टी आॅडिट नहीं हो पाता है।

Updated : 7 Nov 2017 12:00 AM GMT
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