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गुटखा नहीं छोड़ पाया उप्र का एक अधिकारी छोड़ रहा है नौकरी

गुटखा नहीं छोड़ पाया उप्र का एक अधिकारी छोड़ रहा है नौकरी
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हमारे देश में लोग सरकारी नौकरी पाने के लिए कुछ भी करने को तैयार रहते हैं लेकिन गुटखे के लिए सरकारी नौकरी छोड़ने का एक अनोखा मामला सामने आया है। दरअसल, पानसिंह यादव जी उप्र के सिंचाई विभाग में एक बड़े अधिकारी हैं और वे खेतों की सिंचाई करने की बजाय गुटखा खाकर दीवारों की सिंचाई ज्यादा करते हैं। उनके आॅफिस की सभी दीवारें लाल-लाल नजर आती हैं जबकि उन दीवारों को इसी दीपावली में सफेद रंग से पोता गया था। आज दीवारों पर सफेद रंग का नामोनिशान तक नहीं है। भला हो पानसिंह जी की पिचकारी मारने की आदत का जिसकी बदौलत आॅफिस की दीवारें भी बोल उठीं हैं।

लेकिन जब से योगी जी ने सरकारी दफ्तरों में गुटखा-खैनी पर बैन लगाया है, तब से यादव जी अपनी नौकरी बचाने के लिए गुटखा छोड़ने की भरसक कोशिश कर रहे हैं। लेकिन एक सप्ताह तक जी-तोड़ कोशिश करने के बाद वो इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि गुटखा छोड़ना उनके बस की बात नहीं है, इसलिए नौकरी को ही छोड़ दिया जाए। उन्होंने बताया कि जवानी के दिनों में तो मैं 20-25 पैकेट गुटखा चबा के थूक देता था लेकिन अब भी 15 पैकेट तो चबा ही लेता हूँ। ये जो दीवारों पे आप निशान देख रहे हैं ना! ये सब मेरी ही मेहनत का नतीजा है। वैसे, मेहनती तो हम बचपन से ही थे साब! योगी जी कहते हैं गुटखा छोड़ दो! अरे ऐसे कैसे छोड़ दें। हम नौकरी छोड़ेंगे।

लेकिन अब आप करेंगे क्या? ऐसा पूछे जाने पर वे बोले, अब इस नौकरी में रक्खा ही क्या है? इनका कुछ भरोसा नहीं है, कल को दफ्तर में चाय पीने पर भी बैन लगा सकते हैं। इससे अच्छा है अभी से यहाँ से निकल लो। गर्मी का मौसम है आइसक्रीम बेचकर गुजारा कर लेंगे पर गुटखा नहीं छोड़ेंगे। हालाँकि कुछ लोग पानसिंह के इस निर्णय की आलोचना भी कर रहे हैं। उनका कहना है कि सरकारी नौकरी किस्मत से मिलती है, इसे गुटखा के लिए छोड़ना ठीक नहीं है। इस पर पानसिंह का कहना है कि जान है तो जहान है साब! और मेरी जान है गुटखा में। वहीं, इस शुभ काम में वे अकेले नहीं हैं, बल्कि दूसरे अधिकारी भी अब नौकरी छोड़ने के बारे में विचार कर रहे हैं।े

Updated : 28 March 2017 12:00 AM GMT
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