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किसानों द्वारा फसलों के अवशेष जलाने पर पूर्णत: प्रतिबंध

एनजीटी ने दिया आदेश, उल्लंघन पर वसूला जाएगा जुर्माना

आगरा। राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण द्वारा हाल ही में पर्यावरणीय क्षति को कम करने हेतु अपने आदेश में कृषि अपशिष्टों जैसे फसलों के अवशेष, डंठलों या भूसा को जलाये जाने पर पूर्ण प्रतिबन्ध लगा दिया है। अगर एनजीटी के आदेशों का उल्लंघन किया जाता है तो प्रशासन ऐसे किसानों पर दंडात्मक कार्रवाही करेगा। एनजीटी के आदेशों के अनुसार ऐसे किसानों पर 2500 रू. से लेकर 15 हजार रू. तक का जुर्माना वसुला जाएगा। साथ ही ऐसा करने वाले किसान को बीज एवं उन्नतशील कृषि यन्त्रों पर दी जाने वाली सब्सिडी से भी वंचित किया जा सकता है। मंगलवार को यह जानकारी जिलाधिकारी गौरव दयाल ने दी।

जिलाधिकारी ने बताया कि कृषि अपशिष्टों को जलाये जाने से वायुमण्डल में कार्बन डाई ऑक्साइड गैस की मात्रा बढाती है, जिससे वायुमण्डलीय के साथ-साथ मृदा तापक्रम भी बढ जाता है। उन्होंने कहा कि एनजीटी ने फसल अवशेषों को जलाये जाने से रोकने हेतु कम्बाइन हारवेस्टर स्टाऊॅ रीपर विद बाइन्डर का प्रयोग अनिवार्य कर दिया है। कोई भी कृषक बगैर स्टाऊॅ रीपर के कम्बाइन हारवेस्टर का प्रयोग नहीं करेगा। किसान भाई मनरेगा योजनान्तर्गत अपने खेत में गड्ढे की खुदाई कराकर तथा कृषि अवशेषों को उसमें डालकर कम्पोस्ट खाद का निर्माण कर सकते हैं जिससे किसान भाई मृदा की उर्वरा शक्ति को बढाने के साथ-साथ पर्यावरण को भी स्वच्छ रख सकते हैं।

Updated : 26 April 2017 12:00 AM GMT
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