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मानसून व जीएसटी से सीमेंट के दाम गिरेंगे

मानसून व जीएसटी से सीमेंट के दाम गिरेंगे
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नई दिल्ली| दक्षिण-पश्चिम मॉनसून, श्रमिकों की कमी और जी.एस.टी. पर बनी अनिश्चितता से आने वाले महीनों में सीमेंट की कीमतें कमजोर रह सकती हैं। हालांकि देश के पश्चिमी और पूर्वी हिस्से में कीमतों में तेजी से पूरी तरह इनकार नहीं किया जा सकता है।

सीमेंट उद्योग पर नजर रखने वाले लोगों के अनुसार मॉनूसन और इस दौरान जी.एस.टी. लागू होने से सीमेंट की मांग में कमी आने की आशंका है। एक विश्लेषक ने कहा, सीमेंट की कीमतों पर असर कई गुना होगा। सबसे पहले तो मॉनूसन में मांग कम रह सकती है, जिसका सीधा असर कीमतों पर पड़ेगा। इसके अलावा जी.एस.टी. लागू होने के बाद सीमेंट डीलरों को भी नई कर प्रणाली से तालमेल बैठाने में कुछ समय लगेगा। विश्लेषकों और सीमेंट क्षेत्र के कुछ लोगों का मानना है कि वैसे तो औसत मूल्य में लगातार कमी नहीं आएगी, लेकिन कीमतें कमजोर जरूर रहेंगी। उत्तरी भारत और आंध्र प्रदेश-तेलंगाना के सीमेंट डीलरों का कहना है कि अप्रैल में बढ़ी सीमेंट की कीमतें मध्य मई से कम होने लगी हैं।


कुछ डीलरों ने संकेत दिए कि जी.एस.टी. लागू होने के दौरान वे अपने पास सीमेंट का अधिक भंडार जमा नहीं करेंगे। इससे जून में बिक्री प्रभावित होगी। पूरे देश में अप्रैल 2017 के दौरान सीमेंट की कीमतें सात प्रतिशत बढ़कर 340 रुपए प्रति बोरा (मासिक आधार पर) हो गईं। उत्तरी, पूर्वी और पश्चिम क्षेत्रों का इसमें अहम योगदान रहा था। हालांकि पिछले दो महीने से सीमेंट कीमतों में अचानक आई तेजी से बिक्री पर असर पड़ना शुरू हो गया है क्योंकि ऊंची कीमतों के कारण लोग खरीदारी फिलहाल टालने लगे हैं। सीमेंट उद्योग के लोगों के अनुसार कीमतें बढ़ने से अप्रैल के मुकाबले मई में सीमेंट की मांग कम होने लगी। रेत और मजदूरों की किल्लत से भी सीमेंट की मांग कमजोर हुई है। वैसे तो सीमेंट कंपनियों का कहना है कि मांग में कमी का सीमेंट क्षेत्र पर असर का सही अंदाजा जी.एस.टी. लागू होने के बाद ही चल पाएगा।

Updated : 13 Jun 2017 12:00 AM GMT
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