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ग्वालियर शहर जल व्यवस्था : वर्ष 2046 तक नहीं होगी पेयजल की समस्या

ग्वालियर शहर जल व्यवस्था  : वर्ष 2046 तक नहीं होगी पेयजल की समस्या
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- तिघरा, ककेटो, पेहसारी और अपर ककेटो में पर्याप्त जल
- शासन ने उच्च न्यायालय में पेश किया जवाब



ग्वालियर, न.सं.। शहर में पेयजल आपूर्ति करने वाले तिघरा, ककेटो, पेहसारी और अपर ककेटो जल स्त्रोतों में कुल 234.34 मिलियन घन मीटर जल मौजूद है। मुख्य न्यायाधिपति हेमंत गुप्ता एवं न्यायाधीश संजय यादव की युगलपीठ के समक्ष शासन पक्ष ने मंगलवार को शपथ पत्र प्रस्तुत करते हुए कहा कि मैनुअल आॅन वॉटर सप्लाई एण्ड ट्रीटमेंट के अनुसार इन सभी जलाशयों में वर्ष 2046 तक शहरवासियों की प्यास बुझाने के लिए पर्याप्त जल उपलब्ध है। इसके बाद भी आवश्यकता पड़ने पर 2050 तक अतिरिक्त जल की आपूर्ति हरसी बांध से की जा सकती है। नगरीय विकास एवं आवास विभाग के प्रमुख सचिव मलय श्रीवास्तव, जल संसाधन विभाग के प्रमुख सचिव पंकज अग्रवाल, नगरीय प्रशासन विभाग के प्रमुख सचिव प्रभाकांत कटारे सहित लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के प्रमुख सचिव मनोज गोविल ने युगलपीठ को यह जानकारी दी। उच्च न्यायालय की युगलपीठ में प्रमुख विभागों के प्रमुख सचिवों की मौजूदगी में ग्वालियर शहर में जल वितरण को लेकर शपथ पत्र में निर्णय लिया गया।

किसानों को सिंचाई के लिए भी पानी

शपथ पत्र में दिए गए जवाब में कहा गया है कि शहर के साथ ही किसानों को उनकी फसलों के लिए सिंचाई के लिए भी जल वितरण किया जाता है। जवाब में यह भी कहा गया है कि सतही पेयजल परियोजनाएं बारिश पर निर्भर बांधों के जल भंडारण क्षमता को ध्यान में रखते हुए तैयार की जाती हैं और पानी पर निर्भर रहती हैं। जवाब में बताया गया है कि शहरी विकास मंत्रालय के लोक स्वास्थ्य विभाग एवं पर्यावरण इंजीनियरिंग संगठन द्वारा मई 1999 में प्रकाशित मैनुअल आॅन वॉटर सप्लाई एण्ड ट्रीटमेंट के अनुसार 90 प्रतिशत निर्भरता के आधार पर पेयजल स्त्रोत में कितना जल मौजूद है। इसकी गणना होना चाहिए। इसी के अनुसार जल उपलब्धता की गणना फिर से की गई तो इन सभी जलाशयों में वर्ष 2050 तक जल मौजूद है। जवाब में यह भी गया है कि शहर में वर्तमान में स्वीकृत सीवरेज परियोजना में 25 प्रतिशत उपचारित जल के पुन: प्रयोग का प्रावधान किया गया है।

प्रत्येक दस वर्ष बाद होगा अध्ययन

उच्च न्यायालय को दिए गए जवाब में शासन ने कहा है कि भारत सरकार की अमृत योजना के अंतर्गत जल आवर्धन योजना के पूरे होने पर प्रत्येक दस साल में बारिश और शहर की आबादी का अध्ययन किया जाएगा। वहीं पीने के पानी की कमी पाई जाती है तो इसकी कमी पूरी करने के लिए हरसी बांध से अतिरिक्त जल की आपूर्ति की जाएगी।

Updated : 28 Jun 2017 12:00 AM GMT
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