बायोफार्मा के क्षेत्र में भारत का बड़ा कदम
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नई दिल्ली। भारत में बायोफार्मास्यूटिकल्स के विकास को गति देने के लिए अब तक के पहले औद्योगिकी-शैक्षणिक मिशन की औपचारिक रूप से नई दिल्ली में 30 जून को केन्द्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, भू-विज्ञान, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन शुरूआत करेंगे।
भारत में नवाचार (आई-3) नाम से शुरू हो रहे इस कार्यक्रम में 25 करोड़ अमेरीकी डॉलर का निवेश होगा। इसमें 12.5 करोड़ डॉलर का विश्व बैंक कर्ज देगा। यह अनुमान लगाया जा रहा है कि भारतीय बायोफार्मास्यूटिकल्स उद्योग में इससे बड़ा बदलाव आएगा। इससे उद्यमिता और स्वदेशी विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक परितंत्र का भी निर्माण होगा।
भारत फार्मास्यूटिकल उद्योग में काफी सक्रिय रहा है और जीवन रक्षक दवाओं के निर्माण और जरूरतमंदों के लिए कम कीमत वाले फार्मास्यूटिकल उत्पादों में भारत का वैश्विक स्तर पर अहम योगदान रहा है। चाहे वह रोटा वायरस के टीके हों या हार्ट वाल्व प्रोस्थेसिस या फिर सस्ते इंसुलिन, भारत इनमें और कई दूसरी दवाओं के निर्माण में अग्रणी रहा है। इसके बावजूद भारत विकसित देशों की तुलना में फार्मास्यूटिकल उद्योग में 10-15 साल पीछे है और इसे चीन, कोरिया और अन्य देशों से चुनौती मिल रही है। इसकी वजह उत्कृष्टता केन्द्रों में जुड़ाव, खोजपरक अनुसंधान और उचित कोष की कमी है। इस क्षेत्र में समेकित नवाचार सुनिश्चित करने के लिए उत्पाद खोज, अनुसंधान और शुरूआती विनिर्माण को बढ़ावा देने की जरूरत है।
भारत में नवाचार आई-3 इन कमियों को दूर करेगी और भारत को प्रभावी बायोफार्मास्यूटिकल उत्पादों के क्षेत्र में डिजाइन और विकास का केन्द्र बनायेगा। इस मिशन को जैव प्रौद्योगिकी विभाग के तहत सार्वजनिक क्षेत्र की इकाई, जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायक परिषद (बीआईआरएसी) लागू करेगी