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चम्बल नदी में अवैध खनन की याचिका एनजीटी में स्थानांतरित

चम्बल नदी में अवैध खनन की याचिका एनजीटी में स्थानांतरित
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उच्च न्यायालय ने कहा-ऐसे मामलों के लिए ही है एनजीटी

ग्वालियर। चम्बल नदी में अवैध रेत खनन को लेकर उच्च न्यायालय में चार वर्ष से लम्बित याचिका की सुनवाई अब राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) में होगी। शुक्रवार को न्यायाधीश संजय यादव एवं सुशील कुमार अवस्थी की युगलपीठ ने इस याचिका को एनजीटी में स्थानांतरित कर दिया है।

इस याचिका पर सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता डॉ. राखी शर्मा के अधिवक्ता राजू शर्मा ने सुनवाई के दौरान बताया कि यह याचिका पिछले चार वर्ष से ज्यादा समय से उच्च न्यायालय में चल रही है। न्यायालय द्वारा दिए गए दिशा-निर्देशों का ही यह परिणाम रहा है कि इन निर्देशों के बाद शासन ने चम्बल नदी में अवैध उत्खनन रोकने को लेकर जो सकारात्मक कदम उठाए हैं, उसके प्रभाव से चम्बल नदी में जलीय जीवों की संख्या में वृद्धि हुई है। वहीं इससे पहले चम्बल नदी में अवैध उत्खनन से जलीय जीवों के अस्तित्व पर गहरा संकट व्याप्त हो गया था। उच्च न्यायालय के निर्देश पर यहां नो व्हीकल जोन परिक्षेत्र घोषित किया गया है। इससे यहां पर अवैध उत्खनन पर कुछ हद तक रोक लगी है।

राजनैतिक प्रभाव से पूरी तरह से रोक नहीं :- न्यायालय में अधिवक्ता ने बताया कि चम्बल नदी पर अभी पूरी तरह से अवैध उत्खनन पर रोक नहीं लग सकी है। इसका कारण राजनैतिक और अधिकारियों का प्रश्रय मिलना है। कई बार अवैध उत्खनन रेत माफिया द्वारा किया जाता है तो उन्हें सबसे ज्यादा राजनैतिक संरक्षण प्राप्त हो जाता है। अवैध उत्खनन को लेकर पहले की याचिकाओं को राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) में स्थानांतरित किया गया है।

युगल पीठ ने सभी पक्षों की सुनी दलीलें

इस याचिका की सुनवाई में शासन का कहना था कि ऐसी याचिकाओं के लिए राष्ट्रीय हरित अधिकरण का गठन किया गया है, इसलिए इस याचिका को एनजीटी में स्थानांतरित किया जाए। युगलपीठ ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद प्रकरण को एनजीटी में स्थानांतरित करते हुए कहा कि ऐसे मामलों के लिए एनजीटी का गठन हुआ है। इस कारण इसे वहीं भेजना उचित होगा।

Updated : 15 July 2017 12:00 AM GMT
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