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'संस्कृति व अर्थनीति के संगम वाला भारत एकलौता देश'

संस्कृति व अर्थनीति के संगम वाला भारत एकलौता देश
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नई दिल्ली। पूर्व राज्यसभा सांसद एवं एकात्म मानव दर्शन अनुसंधान विकास संस्थान अध्यक्ष डॉ. महेश चंद्र शर्मा ने कहा कि दुनिया में केवल भारत ही एक ऐसा देश है जहाँ संस्कृति और अर्थनीति का संगम देखा गया है। हम सामूहिक जीवन और सबके लिए जीते हैं। केवल अपने लिए नहीं, महाराजा अग्रसेन ने सहकार से व्यापार करना सिखाया।

शर्मा ने कहा, 'संस्कृति व्यापक अवधारणा है जिसमें सब कुछ समाहित है। विकास की पश्चिमी ज्ञान परंपरा ने मुखर घोषणा नहीं की थी की इससे पर्यावरण का ह्रास होगा किन्तु मौन घोषणा अवश्य की थी।' भाऊराव देवरस सेवा न्यास द्वारा एन.डी.एम.सी. कन्वेंशन सेंटर में 24वां भाऊराव देवरस स्मृति व्याख्यान 'संस्कृति और अर्थनीति के संगम की उभरती विकास ज्ञान परंपरा' विषय पर आयोजित किया गया।

इस अवसर पर महेश चंद्र शर्मा ने कहा कि हम पश्चिम की जिस अर्थनीति पर पिछले कई दशकों से चले, वह संस्कारों से रिक्त और विकारों से युक्त है। पूर्व में उनके साम्राज्यवादी प्रभुत्व के कारण देश और दुनिया में आर्थिक असंतुलन पैदा हुआ है। उन्होंने चिंता प्रकट करते हुए बताया कि बेरोजगारी आज विश्वव्यापक समस्या है। आजादी के 70 साल बाद भी भारत आयात निर्भर देश है।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि भाजपा सांसद डॉ. सुब्रह्मण्यम स्वामी ने भाऊराव देवरस को श्रद्धांजलि देते हुए आपात काल के दौरान उनके साथ अपनी स्मृतियाँ साझा की। उन्होंने कहा कि दुनिया में भारत ही एक ऐसा देश है जहाँ वास्तविक सुख और मानसिक शांति मिलती है। जिसे तलाशने अमेरिका व पश्चिम के सर्वाधिक अर्थ संपन्न लोग भारत के आश्रमों में दिनचर्या व यहाँ के अनुशासन का पालन कर रहे हैं।

Updated : 3 July 2017 12:00 AM GMT
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