Home > Archived > यूपी में ट्रेनें जर्जर ट्रैक पर दौड़ रहीं

यूपी में ट्रेनें जर्जर ट्रैक पर दौड़ रहीं

यूपी में ट्रेनें जर्जर ट्रैक पर दौड़ रहीं
X

कानपुर। बार-बार हो रहे रेल हादसों के बाद भी रेलवे नहीं चेता। कानपुर-लखनऊ अौर कानपुर-दिल्ली के जर्जर रेलवे ट्रैकों पर बेखौफ ट्रेनें दौड़ाई जा रही हैं। रेलवे की अपनी जांच रिपोर्ट में भी दो प्रमुख रेल मार्गों की पटरियों को जर्जर माना गया लेकिन इन्हें बदलने का कोई प्रोजेक्ट तैयार नहीं हुआ। पुखरायां रेल हादसे की सीआरएस जांच में साफ हो गया था कि जंग लगी रेल पटरियों से ट्रेनें दौड़ाई जा रही हैं। सीआरएस ने कई सुझाव भी दिए थे लेकिन किसी पर अमल नहीं हुआ। नतीजतन रोज रेल फ्रैक्चर (पटरियों के चटखने) की घटनाएं हो रही हैं। पटरियों को ठोंक पीटकर ट्रेनें पास कराने का सिलसिला जारी है।

आपको बता दें कि नवंबर से जनवरी के बीच पुखरायां, रूरा और शुक्लागंज में हुई तीन बड़ी रेल दुर्घटनाओं के बाद रेलवे ने कई स्तर से जांच कराई। कानपुर-लखनऊ रेलवे ट्रैक को ओवरलोड माना गया। 52 केजी के ट्रैक पर 100 से अधिक ट्रेनें रोजाना दौड़ाई जा रही हैं। जबकि अब 62 केजी के ट्रैक लगाए जा रहे हैं। ट्रैक बदलने का सुझाव दिया गया लेकिन कुछ नहीं हुआ। पुखरायां में दुर्घटना के बाद कानपुर से झांसी तक के ट्रैक की जांच हुई। पता चला कि 30 स्थानों पर रेलवे ट्रैक खतरनाक स्थिति में हैं। सभी स्टेशनों को सूचना दी गई कि इन स्थानों से ट्रेनें कॉशन (चेतावनी) के सहारे पास कराई जाएं। अभी तक यह सिलसिला जारी है। ट्रेन चालक को कानपुर में ही चेतावनी पत्र देकर रवाना कर दिया जाता है। शनिवार रात मलासा और पुखरायां के बीच प्रतापगढ़-भोपाल एक्सप्रेस के चालक ने झटके महसूस किए। रेलवे कंट्रोल को सूचना दी तो इंजीनियरिंग विभाग सक्रिय हुआ। जांच हुई तो पता चला कि पटरियां चटखी थी। मरम्मत कर ट्रेनों का संचालन शुरू कर दिया गया।

20 नवंबर 2016 को पुखरायां स्टेशन के पास कानपुर आ रही इंदौर-पटना एक्सप्रेस (19321) दुर्घटनाग्रस्त हुई थी। इसमें 152 यात्रियों की मौतें हुई थीं। घटना के दूसरे दिन मुख्य संरक्षा आयुक्त (सीआरएस) ने भीमसेन से झांसी तक ट्रैक का निरीक्षण किया था। इसके बाद उत्तर पूर्व रेलवे (एनसीआर) के महाप्रबंधक (जीएम) को लिखा था कि पूरी पटरियों में जंग लगा है। इस कारण ट्रैक जर्जर है। इस पर ट्रेनों को कॉशन देकर चलाया जाए। इसके बाद भीमसेन से झांसी तक 18 प्वाइंटों पर 10 से 30 किमी. प्रति घंटा का कॉशन लगाया गया था। इसकी वजह से आज भी ट्रेनें झांसी से कानपुर की दूरी चार घंटे या इससे अधिक समय में पूरी करती हैं। अभी तक जर्जर ट्रैक को बदला नहीं गया है।

झांसी मंडल के सीपीआरओ जीके बंसल का कहना है कि पुखरायां हादसे के बाद ट्रेन संचालन में पूरी सतर्कता बरती जा रही है। हर सूचना पर तुरंत कार्रवाई होती है। शनिवार रात मलासा और पुखरायां स्टेशन के बीच रेल फ्रैक्चर की सूचना थी। ट्रैक मरम्मत कराकर संचालन कुछ ही देर में बहाल करा दिया गया। रेल पटरियों को बदलने का मामला लंबित है।

Updated : 21 Aug 2017 12:00 AM GMT
Next Story
Top