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शिक्षा में नहीं शिक्षकों में सुधार की जरूरत

शिक्षा में नहीं शिक्षकों में सुधार की जरूरत
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नई दिल्ली। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शिक्षा के स्तर में आई गिरावट पर चिंता जताते हुए शिक्षक बिरादरी को आगाह किया कि शिक्षा में सुधार की मांग उठ रही है लेकिन असल में यह शिक्षकों में सुधार की मांग है।

राष्ट्रपति भवन के दरबार हॉल में राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार से सम्मानित शिक्षकों को संबोधित करते हुए रामनाथ कोविंद ने यह बात कही। उन्होंने कहा कि भारतीय परम्परा में शिक्षा को बेचा नहीं जाता था उसे विद्या दान कहा जाता था लेकिन आज शिक्षकों को अच्छा वेतन मिलता है बावजूद इसके ऐसा वातावरण बर रहा है कि स्कूल में तनख्वा कम है। ऐसे में कुछ शिक्षक कोचिंग और ट्यूशन पढ़ाते में जुटे हैं। उन्होंने कहा कि विद्या दान को शिक्षक यदि कोचिंग और ट्यूशन में बदल देगा तो व्यापारी और शिक्षक में अंतर नहीं रहे जाएगा। उन्होंने कहा कि ऐसा शिक्षक तो व्यापारी से भी गिरी श्रेणी का है।

उन्होंने कहा कि छात्रों को डॉक्टर, इंजीनियर के बजाये अच्छा इंसान बनाने को प्राथमिकता दी जानी चाहिए क्योंकि यदि वह अच्छ इंसान बन गया तो वह अच्छा शिक्षक, अच्छा अधिकारी, अच्छा राजनेता बनेगा। कोविंद ने कहा कि शिक्षक का जीवन यदि अनुकरणीय नहीं है तो छात्र भी वैसा ही बनेगा। उन्होंने कहा कि बच्चों का जीवन संवारने का दायित्व शिक्षकों को मिला है वह अपने आप में बडी बात है।

कोविंद ने शिक्षकों को जीवन पर्यन्त शिक्षार्थी रहने की सलाह देते हुए कहा कि ऐसा नहीं होने पर आपका विकास रूक जाता है। उन्होंने कहा कि आपने 25 साल पहले शिक्षा हासिल की थी लेकिन अब इसे अपडेट करने की जरूरत है नहीं तो आप नई पीढी की अपेक्षा पर खरा नहीं उतर पाएंगे। उन्होंने शिक्षकों को कक्षा में आने वाले छात्रों में एकरूपता लाने के लिए उनकी पारिवारिक पृष्ठभूमि को नजदीक से समझने की भी सलाह दी।

मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावडेकर ने कहा कि शिक्षक एक सामान्य से दिखने वाले मनुष्य को भी महान बनाता है। हम आज यहां तक पहुंचे है तो ऐसे में हमें अच्छा पढाने वाले, संवेदनशील व्यवहार करने वाले ही शिक्षक याद रहते हैं। उन्होंने शिक्षकों का आह्वान किया कि वह नवाचार को बढावा दें। उन्होंने कहा कि वर्तमान राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री गरीब घरों से संबंध रखने के बावजूद यहां तक पहुंचे हैं यह लोकतंत्र में ही संभव है। मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री डॉ. सत्यपाल सिंह ने कहा कि दैनिक जीवन में शिक्षकों को सम्मान नहीं मिलेगा तब तक देश का सम्मान भी नहीं बढेगा। उन्होंने कहा कि शिक्षकों का सम्मान घटने से देश का सम्मान घटता है।

Updated : 6 Sep 2017 12:00 AM GMT
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