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एफडीआई के लिए शर्तें की उदार, लेकिन सावधानी पर जोर

एफडीआई के लिए शर्तें की उदार, लेकिन सावधानी पर जोर
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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी की अध्‍यक्षता में केन्‍द्रीय मंत्रिमंडल ने एफडीआई नीति में अनेक संशोधनों को अपनी मंजूरी दी है। इन संशोधनों का उद्देश्‍य एफडीआई नीति को और ज्‍यादा उदार एवं सरल बनाना है, ताकि देश में कारोबार करने में आसानी सुनिश्चित हो सके। साथ ही सरकार ने संवेदनशील देशों से आने वाले एफडीआई प्रस्तावों पर नजर रखने के लिए दिशा-निर्देश तय कर दिए हैं। एफडीआई प्राप्त करनेवाली कंपनियों का ऑडिट करने वाली कंपनियों के लिए भी शर्तें तय की गई हैं।

सरकार ने एफडीआई के संबंध में एक निवेशक अनुकूल नीति क्रियान्वित की है| इसके तहत ज्‍यादातर क्षेत्रों/गतिविधियों में स्‍वत: रूट से 100 प्रतिशत तक एफडीआई की अनुमति दी गई है। हाल के महीनों में सरकार ने अनेक क्षेत्रों (सेक्‍टर) यथा रक्षा, निर्माण क्षेत्र के विकास, बीमा, पेंशन, अन्‍य वित्तीय सेवाओं, परिसंपत्ति पुनर्निर्माण कंपनियों, प्रसारण, नागरिक उड्डयन, फार्मास्‍यूटिकल्‍स, ट्रेडिंग इत्‍यादि में एफडीआई संबंधी नीतिगत सुधार लागू किए हैं। यह महसूस किया गया है कि देश में इससे भी ज्‍यादा विदेशी निवेश को आकर्षित करने की क्षमता है, जिसे एफडीआई व्‍यवस्‍था को और ज्‍यादा उदार एवं सरल बनाकर प्राप्‍त किया जा सकता है। तदनुसार, सरकार ने एफडीआई नीति में अनेक संशोधन करने का निर्णय लिया है।

कैबिनेट में विदेशी एयरलाइनों को एयर इंडिया में मंजूरी रूट के तहत 49 प्रतिशत तक निवेश करने की अनुमति देने का निर्णय लिया गया है। वर्तमान नीति के अनुसार, विदेशी एयरलाइनों को अनुसूचित और गैर-अनुसूचित हवाई परिवहन सेवाओं का संचालन करने वाली भारतीय कंपनियों की पूंजी में सरकारी मंजूरी रूट के तहत निवेश करने की अनुमति दी गई है। यह निवेश इन कंपनियों की चूकता पूंजी के 49 प्रतिशत की सीमा तक की जा सकती है। हालांकि, यह प्रावधान वर्तमान में एयर इंडिया के लिए मान्‍य नहीं था| इसलिए इसका अर्थ यही था कि विदेशी एयरलाइंस इस स्थिति‍ में एयर इंडिया में निवेश नहीं कर सकती थीं। अब इस पाबंदी को समाप्‍त करने और विदेशी एयरलाइनों को एयर इंडिया में मंजूरी रूट के तहत 49 प्रतिशत तक निवेश करने की अनुमति देने का निर्णय लिया गया है।

इस तरह एफआईआई/एफपीआई को अब प्राथमिक बाजार के जरिए भी पावर एक्‍सचेंजों में निवेश करने की अनुमति देने का निर्णय लिया गया है। विस्‍तृत नीति में केन्‍द्रीय विद्युत नियामक आयोग (विद्युत बाजार) नियमन, 2010 के तहत पंजीकृत पावर एक्‍सचेंजों में स्‍वत: रूट के जरिए 49 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति दी गई है। एफआईआई/एफपीआई के निवेश को केवल द्वितीयक बाजार तक सीमित रखा गया था।

रियल एस्‍टेट ब्रोकिंग सेवा का वास्‍ता अचल परिसंपत्ति (रियल एस्‍टेट) व्‍यवसाय से नहीं है| इसलिए इसमें स्‍वत: रूट के तहत 100 प्रतिशत एफडीआई संभव है। इसके अलावा, एफडीआई नीति में दी गई ‘चिकित्‍सा उपकरणों’ की परिभाषा में संशोधन करने का भी निर्णय लिया गया है। फार्मास्‍यूटिकल्‍स क्षेत्र से जुड़ी एफडीआई नीति में अन्‍य बातों के अलावा इस बात का उल्‍लेख किया गया है कि एफडीआई नीति में चिकित्‍सा उपकरणों की जो परिभाषा दी गई है वह दवा एवं कॉस्‍मेटिक्‍स अधिनियम में किए जाने वाले संशोधन के अनुरूप होगी। चूंकि नीति में दी गई परिभाषा अपने आप में पूर्ण है| इसलिए एफडीआई नीति से दवा एवं कॉस्‍मेटिक्‍स अधिनियम का संदर्भ समाप्‍त करने का निर्णय लिया गया है।

एसबीआरटी से संबंधित वर्तमान एफडीआई नीति के तहत स्‍वत: रूट के जरिए 49 प्रतिशत एफडीआई और सरकारी मंजूरी रूट के जरिए 49 प्रतिशत से ज्‍यादा और 100 प्रतिशत तक एफडीआई की अनुमति दी गई है। एकल ब्रांड खुदरा कारोबार करने वाले निकाय को आरंभिक 5 वर्षों के दौरान वैश्विक परिचालनों के लिए भारत से वस्‍तुओं की अपनी वृद्धिपरक प्राप्ति का समायोजन करने की अनुमति देने का निर्णय लिया गया है। इस अवधि की शुरुआत भारत से 30 प्रतिशत की खरीद की अनिवार्य प्राप्ति आवश्‍यकता के सापेक्ष प्रथम स्‍टोर खोलने के वर्ष की पहली अप्रैल से होगी। पांच वर्षों की यह अवधि पूरी होने के बाद एसबीआरटी निकाय के लिए हर साल सीधे अपने भारतीय परिचालन हेतु 30 प्रतिशत की प्राप्ति से जुड़े मानकों को पूरा करना अनिवार्य होगा। यह खुदरा कारोबार या तो सीधे ब्रांड के मालिक अथवा एकल ब्रांड का खुदरा कारोबार करने वाले भारतीय निकाय और ब्रांड के मालिक के बीच हुए कानूनी तर्कसंगत समझौते के जरिए किया जा सकता है।

संवेदनशील देशों, जिनके लिए विस्‍तृत फेमा 20, एफडीआई नीति और समय-समय पर संशोधित किए जाने वाले सुरक्षा दिशा-निर्देशों के अनुरूप सुरक्षा मंजूरी की आवश्‍यकता होती है, से प्राप्‍त निवेश संबंधी एफडीआई आवेदनों पर ऐसे निवेश के लिए गृह मंत्रालय गौर करेगा जो स्‍वत: मंजूरी क्षेत्रों/गतिविधियों के अंतर्गत आते हैं। उधर, सरकारी मंजूरी वाले क्षेत्रों/गतिविधियों, जिनके लिए सुरक्षा मंजूरी की आवश्‍यकता होती है| इससे जुड़े मामलों पर संबंधित प्रशासकीय मंत्रालय/विभाग गौर करेंगे। अब यह निर्णय लिया गया है कि स्‍वत: मंजूरी वाले क्षेत्रों, जिनके लिए स्‍वीकृति केवल संवेदनशील देश से होने वाले निवेश के मसले पर जरूरी होती है, में निवेश हेतु एफडीआई आवेदनों पर सरकारी मंजूरी के लिए औद्योगिक नीति एवं संवर्धन विभाग (डीआईपीपी) गौर करेगा। सरकारी मंजूरी रूट के तहत आने वाले ऐसे मामलों पर आगे भी संबंधित प्रशासकीय विभाग/मंत्रालय ही गौर करेगा जिनके लिए संवेदनशील देश से जुड़ी सुरक्षा मंजूरी आवश्‍यक होती है।

इसी तरह वर्तमान एफडीआई नीति में उन ऑडिटरों के विनिर्देश के संबंध में कोई भी प्रावधान नहीं है जिनकी नियुक्ति विदेशी निवेश प्राप्‍त करने वाली भारतीय निवेश प्राप्‍तकर्ता कंपनियों द्वारा की जा सकती है। अब एफडीआई नीति में इस बात का उल्‍लेख करने का निर्णय लिया गया है कि कोई विदेशी निवेशक यदि भारतीय निवेश प्राप्‍तकर्ता कंपनी के लिए अंतर्राष्‍ट्रीय नेटवर्क वाले किसी विशेष ऑडिटर/ऑडिट फर्म को निर्दिष्‍ट करना चाहता है तो वैसी स्थिति में इस तरह की निवेश प्राप्‍तकर्ता कंपनियों का ऑडिट दरअसल ऐसे संयुक्‍त ऑडिट के तहत किया जाना चाहिए जिसमें कोई एक ऑडिटर समान नेटवर्क का हिस्‍सा कतई नहीं होगा।

Updated : 10 Jan 2018 12:00 AM GMT
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