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अंकसूची लेने आए छात्र ने स्टेशन पर बिताई रात

अंकसूची लेने आए छात्र ने स्टेशन पर बिताई रात
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ग्वालियर, न.सं.। जीवाजी विश्वविद्यालय में पहुंच रहे छात्र-छात्राओं की परेशानी कम होने का नाम नहीं ले रही है। विवि में दूर-दराज से पहुुंच रहे छात्रों को मजबूरन भूखे प्यासे स्टेशन पर रात गुजारनी पड़ रही है। उसके बाद भी विवि के अधिकारी छात्रों की परेशानी दूर करने के कोई ठोस प्रयास नहीं कर रहे हैं।
इसी के चलते रविवार को एक ऐसा मामला सामने आया, जिसमें गुना के एक छात्र को स्टेशन पर रात गुजारना पड़ी और खाली पेट विवि के चक्कर लगाता रहा लेकिन उसकी अंकसूची नहीं बनी। परेशान छात्र रविवार को अपनी शिकायत लेकर सहायक कुलसचिव के पास पहुंचा तब जाकर छात्र को अंकसूची मिली। दरअसल गुना से 50 किलोमीटर दूर एक गांव में रहने वाला छात्र दुले सिंह बंजारा विगत दिवस शनिवार को जीवाजी विश्वविद्यालय अपनी अंकसूची लेने के लिए पहुंचा था। जहां छात्र ने आवेदन दिया लेकिन उसकी अंकसूची नहीं बनी। छात्र के पास इतने पैसे नहीं थे कि वह दुबारा विवि आए।

इस कारण छात्र ने पैसे न होने के अभाव में स्टेशन पर रात बिताई और रविवार को गिड़गिड़ाते हुए विवि के सहायक कुलसचिव अभयकांत मिश्रा के पास जा पहुंचा। परेशान छात्र ने श्री मिश्रा को बताया कि उसने बीएससी प्रथम सेमेस्टर की परीक्षा दिसम्बर 2012 में दी थी, लेकिन स्वास्थ्य ठीक न होने के कारण छात्र ने प्रैक्टिकल परीक्षा नहीं दे पाई थी। इसके बाद दिसम्बर 2016 में गांधी वोकेशनल महाविद्यालय गुना से प्रैक्टिकल परीक्षा दी, साथ ही छठवें सेमेस्टर तक परीक्षाएं उत्तीर्ण कर ली। लेकिन प्रथम सेमेस्टर का परीक्षा परिणाम क्लीयर न होने के कारण छठवें सेमेस्टर का परिणाम घोषित नहीं हुआ। मैं विश्वविद्यालय आया तो मुझ से परीक्षा देने के दस्तावेज मांगे, मैंने वह भी जमा कर दिए। लेकिन अंकसूची आज दिन तक नहीं मिली। छात्र की परेशानी को गंभीरता से लेते हुए सहायक कुलसचिव ने तत्काल कर्मचारियों को बुलाया और फटकार लगाते हुए कहा कि मुझे नहीं पता छात्र की समस्या का निराकरण प्राथमिकता से हो जाना चाहिए। इसके बाद छात्र को अंकसूची उसके हाथ में लगी और वह घर वापस लौट गया।

मजूदरी करके कर रहा हूं पढ़ाई, पिता किसान हैं

छात्र ने रोते हुए सहायक कुलसचिव को बताया कि उसके पिता हिन्दू सिंह बंजारा किसान हैं और वह अपनी पढ़ाई के लिए मजदूरी करता है। इतना ही नहीं छात्र ने यह भी बताया कि महाविद्यालय उसके घर से 55 किलोमीटर दूर है, इसलिए उसे महाविद्यालय साईकिल और बस से जाना पड़ता है। अगर अंकसूची नहीं मिली तो मेरा तो पूरा जीवन ही बर्बाद हो जाएगा। छात्र का कहना था कि वह गुना से ग्वालियर पहुंचने के लिए टेÑन का किराया लेकर निकला था, लेकिन टेÑन लेट हो जाने के कारण उसे बस से ग्वालियर आना पड़ा, अगर अंकसूची नहीं मिली तो उसे एक रात और स्टेशन पर गुजारना पड़ेगा।

Updated : 8 Jan 2018 12:00 AM GMT
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