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नेहरू ने संघ से मांगी थी मदद

जिनको केवल राजनीति ही करना है, वह केवल राजनीति ही करते हैं। कई बार ऐसा भी होता है कि जिस बात को आधार बनाकर राजनीति की जा रही है, वह वास्तव में कुछ और ही होता है। बार-बार अर्थ निकालने के प्रयास में बयान को पूरी तरह से बदल दिया जाता है, और वह अनर्थ के रुप में प्रस्तुत किया जाता है। अभी हाल ही में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन राव भागवत के बयान के साथ भी विपक्षी राजनीतिक दलों ने ऐसा ही किया है। उनके बयान में ऐसा कुछ नहीं था, जिस पर प्रतिक्रिया की जाए। वह बयान पूरी तरह से देश की सुरक्षा से संबंधित था। हम यह भली भांति जानते हैं कि संघ की कार्य पद्धति में देश भक्त कार्यकर्ताओं की एक श्रृंखला बनाई जाती है, जो समय आने पर देश के उत्थान के लिए काम भी करते हैं। चाहे वह सेवा का क्षेत्र हो या फिर देश की सुरक्षा का विषय हो, संघ का प्रत्येक स्वयंसेवक पूरे मनोभाव से अपने कर्तव्य का समर्पण भाव के साथ पालन करता है।

हम यह भी जानते हैं कि संघ के स्वयंसेवकों ने 1962 में चीन से हुए युद्ध के समय जिस प्रकार से देशभाव को प्रदर्शन किया था, उससे उस समय की केन्द्र सरकार ने खूब प्रशंसा भी की थी। देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरु ने संघ की देश सेवा से प्रभावित होकर उन्हें लाल किले में होने वाली परेड में शामिल होने का निमंत्रण दिया था। युद्ध के समय संघ ने देश की सेना का भरपूर साथ दिया और सेना ने संघ के इस सहयोग के कारण ही विजयश्री प्राप्त की थी। इससे यह भी प्रमाणित होता है कि संघ के स्वयंसेवक देश की सुरक्षा का हर कार्य पूरी प्रामाणिकता के साथ करता है, आज भी कर रहा है। आज अगर पंडित जवाहर लाल नेहरु होते तो विपक्षी राजनीतिक दलों में संघ का विरोध करने का साहस भी नहीं होता। लेकिन वर्तमान में हम जिस प्रकार की राजनीति का प्रादुर्भाव होते देख रहे हैं, उससे यही लगता है कि देश के राजनीतिक दलों के नेताओं को संघ के कार्यों की जानकारी नहीं है। अगर जानकारी होती तो संघ की बातों का विरोध नहीं किया जाता। हम यह भी जानते हैं कि एक बार वर्धा में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शिविर में महात्मा गांधी भी पहुंचे थे, उस समय महात्मा गांधी ने संघ के शिविर से प्रभावित होते हुए प्रशंसा की थी।

आज कांगे्रस अध्यक्ष राहुल गांधी जिस प्रकार से बयानबाजी कर रहे हैं, वह संकुचित राजनीति का पर्याय ही कही जा सकती है, वास्तव में राहुल गांधी को संघ के बारे में जानना है तो उन्हें उन बातों का भी अध्ययन करना चाहिए जिसके कारण पंडित जवाहर लाल नेहरु ने संघ को राष्ट्रीय परेड के लिए आमंत्रित किया था। महात्मा गांधी के संघ के प्रति दृष्टिकोण का भी अध्यापन करना चाहिए। आज की कांगे्रस इनके नाम का सहारा लेकर सत्ता प्राप्त करने का स्वप्न तो देख रही है, लेकिन वह संघ के बारे में कैसा चिंतन करते थे, इस बात पर पूरी तरह से विरोधात्मक शैली अपनाए हुए दिखाई दे रहे हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के बारे में बोलने से पहले इस बात का भी अध्ययन करना चाहिए कि वास्तव में संघ है क्या? इसके अलावा सरसंघचालकजी के उस बयान का भी अध्ययन करना चाहिए जो उन्होंने बोला है। सरसंघचालक जी ने कहा था कि सेना द्वारा आम जनता को प्रशिक्षण देने में ज्यादा समय लग सकता है, वहीं संघ के स्वयंसेवकों को प्रशिक्षण देने में केवल तीन दिन का समय ही लगेगा, क्योंकि संघ के स्वयंसेवक अनुशासन भी सीखते हैं। यह सत्य है कि सेना का अनुशासन सेना का प्रमुख भाग होता है। अब इसमें सेना के अपमान जैसी बात कहां है। राहुल गांधी आज कांगे्रस के सामान्य कार्यकर्ता नहीं है, उनके बयानों का देश में बहुत महत्व भी है, इसलिए उन्हें कोई भी बयान देने से पहले उसकी प्रामाणिक जानकारी अवश्य ही प्राप्त करना चाहिए जो उनके भविष्य के लिए भी बहुत अच्छी बात मानी जाएगी।

Updated : 15 Feb 2018 12:00 AM GMT
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