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कांग्रेस के वरिष्ठों में भविष्य की चिंता



देश में सबसे पुराने राजनीतिक दल के रुप में पहचाने जाने वाले कांग्रेस में अब वरिष्ठों के दिन लदने के संकेत मिलने लगे हैं। यह बात सही है कि जब से राहुल गांधी कांग्रेस के अध्यक्ष बने हैं, तब से ही सभी कांग्रेस के नेता अब राहुल गांधी के इर्द गिर्द ही दिखाई देने को आतुर हैं। कांगे्रस संचालन समिति की बैठक में यह साफ दिखाई दिया। कांगे्रस में यह तो पहले ही तय हो गया था कि राहुल गांधी ही कांगे्रस के मुखिया बनेंगे। इसके बाद कांग्रेस के वरिष्ठ और अनुभवी नेताओं ने अपने अंदर समाए हुए दर्द का प्रस्फुटन कर दिया था। यह सच है कि जबसे राहुल गांधी कांगे्रस के अध्यक्ष बने हैं, तब से वरिष्ठ नेताओं में अपने भविष्य के प्रति चिंताएं उभरने लगी हैं। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने तो सार्वजनिक रुप से यह बात स्वीकार भी की थी कि कांग्रेस में साठ साल से ऊपर के नेताओं के दिन लद चुके हैं। उनका यह कहना एक प्रकार से ठीक कहा जा सकता है, क्योंकि अब इन नेताओं की कांग्रेस में गिनती ही नहीं रह गई है। वास्तव में ऐसा कांगे्रस में ही हो सकता है कि लम्बे समय से संगठन में प्रथम पंक्ति के रुप में काम करने वाले नेताओं को आखिरी पंक्ति में खड़ा कर दिया। कांग्रेस में अनुभव का कोई महत्व ही नहीं है, केवल एक परिवार में जन्म लेने वाला व्यक्ति ही कांगे्रस का मुखिया बन सकता है। राहुल गांधी के अध्यक्ष बनाए जाने के पीछे इसी नीति ने काम किया है।

अब भले ही राहुल गांधी कांग्रेस के अध्यक्ष हैं, लेकिन यह भी सभी जानते हैं कि वे अभी देश के प्रमुख राजनीतिक दल के प्रमुख बनने की योग्यता नहीं रखते थे। क्योंकि कांग्रेस में और भी कई ऐसे नेता हैं जो राहुल गांधी से ज्यादा राजनीतिक अनुभव रखते हैं। लेकिन इनका राजनीतिक अनुभव राहुल गांधी के छोटे से राजनीतिक जीवन के समक्ष बहुत छोटा हो गया। इसका मतलब यही निकाला जा सकता है कि आज राहुल गांधी के अध्यक्ष बनने के बाद कांग्रेस में बुजुर्गों का अनुभव किसी काम का नहीं है। क्योंकि कांग्रेस में अब राहुल गांधी के युग का सूत्रपात हो चुका है। राहुल गांधी के अध्यक्षीय कार्यकाल में होने जा रहे पार्टी के अधिवेशन की तैयारियों के संबंध में होने वाली बैठक के दौरान संगठन में व्यापक परिवर्तन करने पर ज्यादा जोर दिया गया। अब कांग्रेस संगठन में नए चेहरों पर दांव खेलने की पूरी रणनीति बनाई जा रही है। स्वयं कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने ऐसे ही संकेत दिए हैं, जिनमें युवाओं को खास जगह देने की बात कही गई। बैठक में उपस्थित सोनिया गांधी ने इस बात के संकेत दिए कि बड़े स्तर पर बैठे हुए कुछ पुराने नेताओं की पूरी तरह से छुट्टी होगी। सोनिया गांधी की यह रणनीति राहुल गांधी को पूरी तरह से सुरक्षित करने का ही एक कदम कहा जा सकता है, क्योंकि राहुल गांधी को कांग्रेस में खतरा केवल वरिष्ठ नेताओं से ही हो सकता है और इसीलिए ही अब कांग्रेस में वरिष्ठों को विदा करने का निर्णय होने की तैयारी की जा रही है। ऐसे में कांग्रेस पार्टी की वर्तमान स्थिति और भविष्य की संभावना का विचार करते हुए उसके वरिष्ठ नेताओं की बेचैनी अब साफ झलकने लगी है। इसका मुख्य कारण यह है कि कांग्रेस की कमान विरासती पृष्ठभूमि से उपजे राजनेता राहुल गांधी को मिली है।

Updated : 19 Feb 2018 12:00 AM GMT
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