Home > Archived > अर्थव्यवस्था में सुधार और सामाजिक सुरक्षा

अर्थव्यवस्था में सुधार और सामाजिक सुरक्षा

अर्थव्यवस्था में सुधार और सामाजिक सुरक्षा
X


यह माना जा रहा था कि इस बार का बजट लोकलुभावन और चुनावी होगा। क्योंकि केंद्र सरकार के वर्तमान कार्यकाल का यह अंतिम पूर्ण बजट है। लेकिन सरकार ने अपने अब तक के अंदाज में लोक कल्याण को वरीयता दी। इसमें गांव , किसान, गरीब और स्वास्थ्य पर पहले के मुकाबले बहुत ध्यान दिया गया। सामाजिक सुरक्षा का दायरा न केवल बढ़ाया गया, बल्कि उसको मजबूत भी बनाया गया है। अर्थव्यवस्था में व्यापक सुधार के सरकार ने अनेक कदम पिछले दिनों उठाये थे। इसके पहले समानांतर अर्थव्यवस्था का प्रभाव था। पिछली सरकारों ने इसे रोकने का कोई प्रयास नहीं किया था। भ्रष्टाचार और घोटालों से अर्थव्यवस्था की मूलधारा को कमजोर किया था। इसमें सुधार हेतु अनेक कदम उठाए गए। चार वर्षों में देश को घोटाला मुक्त बनाने में सफलता मिली है। विकसित देशों की भांति अर्थव्यवस्था के धरातल को मजबूत बनाया गया है। जिससे भारत वैश्विक मुकाबले में पीछे न रहे। यही कारण है कि भारत को विश्व की सबसे तेजी से उभरती अर्थव्यवस्था वाला देश माना जा रहा है।
विकसित देशों में कृषि और स्वास्थ पर बहुत सहायता दी जाती है। भारत में लंबे समय से ये क्षेत्र उपेक्षित रहे हंै। यहां तक कि फसल बीमा और पर्याप्त यूरिया तक पिछली सरकारें उपलब्ध कराने में विफल रहीं थी। गांव के अधिसंख्य लोग बैंक की सुविधा भी नहीं जानते थे। इस सरकार के दौर में करीब सत्ताईस करोड़ जनधन खाते खुले। सब्सिडी उन खातों तक सीधे पहुंचने लगी।

इसके पहले हजारों करोड़ रुपया बीच में ही गायब हो जाता था। अब इसी क्रम में प्रत्येक छोटे या बड़े उद्योग अलग से आधार द्वारा जुड़ेंगे। उन्हें अलग से यूनिक आईडी दी जाएगी। एक वित्त वर्ष में ढाई लाख से ज्यादा वित्तीय लेनदेन करने वाले प्रतिष्ठानों के लिए पैन अनिवार्य होगा। ऐसे उपाय अवैध अर्थव्यवस्था को पूरी तरह समाप्त करेंगे। पहले घोटालों के लिए अनेक लूपोल थ। पहले की सरकार इस तथ्य को जानती थी। लेकिन इन लूपोल को बंद करने की ओर ध्यान नहीं दिया जाता था। नरेंद्र मोदी की सरकार ने इस ओर गंभीरता से ध्यान दिया। सत्ता के गलियारों से दलाल और व्यवस्था की कमियों को दूर किया गया। नीम कोटेड यूरिया को शत प्रतिशत तक पहुंचाया गया। यूरिया की कालाबाजारी पूरी तरह बंद हो गई।

खाद किसानों को आसानी से उपलब्ध होने लगी। इससे जाहिर है कि किसान कल्याण सरकार की प्राथमिकता में पहले भी थे। पिछले चार वर्षों से इस दिशा में सुधार के कदम उठाए जा रहे थे। ऐसे में यह कहना गलत होगा कि सरकार ने इसी बजट में किसानों और गरीबों पर ध्यान दिया है। पहले दिन से ही मोदी सरकार गरीबों और किसानों को राहत पहुंचाने के प्रति गंभीर रही है। लेकिन कई बार आर्थिक संसाधन चाल को धीमा कर देते हैं। यही स्थिति इस सरकार के सामने थी। विकसित देशों में स्वास्थ्य सेवा में तनिक भी लापरवाही से सरकार बदल जाती है। भारत में एक बेहतर स्वास्थ्य नीति नहीं रही। उदारीकरण ने स्थिति को ज्यादा खराब बनाया है। सरकारी स्वास्थ केंद्र मरीजों की भारी संख्या से बेहाल हैं, दूसरी तरफ निजी संस्थान अपनी फीस से लोगों को बेहाल कर देते हैं। बजट में इस पर ध्यान दिया गया है। हेल्थ वेलनेस सेंटर, आरोग्य सेवा केंद्र की स्थापना, एक लाख से ज्यादा स्वास्थ्य केंद्रों की स्थापना, आयुष्यमान भारत, देश की चालीस प्रतिशत आबादी को पांच लाख का बीमा, टीबी के मरीजों को पांच सौ रुपये की मासिक सहायता से मरीजों को इलाज में राहत मिलेगी। स्वास्थ भारत का निर्माण होगा।

स्वास्थ भारत, नव भारत का निर्माण करेगा। बजट से एक शक्तिशाली,समर्थ और स्वस्थ भारत का निर्माण होगा। दस करोड़ गरीब परिवारों का पांच लाख रुपये की स्वास्थ्य सुरक्षा योजना असाधारण प्रस्ताव है। इसका स्वागत होना चाहिए। नेशनल हेल्थ प्रोटेक्शन स्कीम सामाजिक सुरक्षा को नया रूप देगी।
किसानों को भी दोहरा लाभ देने का प्रस्ताव सराहनीय है। एक तो अधिकांश किसान नेशनल हेल्थ प्रोटेक्शन स्कीम के दायरे में आ जायेंगे, दूसरे अब उनको फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य अब लागत से डेढ़ गुना दिया जाएगा। एग्रो कम्पनियों के कारोबार पर पांच वर्ष तक लाभ पर टैक्स नहीं लगाया जाएगा। किसानों की आय बढ़ेगी। कृषि हेतु कर्ज की आसान और पर्याप्त सुविधा का प्रस्ताव भी किसानों को राहत देने वाला है। बाजार, मेगा फूड पार्क फसल का बेहतर मूल्य दिलाने वाले साबित होंगे। पहले कृषि उत्पादों के लिए बाजार विकसित करने पर ध्यान नहीं दिया गया। मोदी सरकार ने इसे प्रारंभ से ही प्राथमिकता दी थी। प्राचीन काल से कृषि के पूरक रूप में कुटीर उद्योग को अनिवार्य माना जाता था। लेकिन धीरे-धीरे यह चलन कम हुआ। बजट में पुन: कृषि के पूरक रूप में पशु पालन, मछली पालन आदि को प्रोत्साहन दिया जाएगा।

रक्षा बजट बढ़ाना समय की मांग थी। वित्त मंत्री ने इसका भी प्रयास किया है। वैसे भी सरकार देश को हथियारों का निर्यातक बनाने की दिशा में बढ़ रही है। प्रत्येक परिवार को घर, बिजली, गैस सिलेंडर देने के कार्य में सरकार की प्रगति अभूतपूर्व रही है, बजट के माध्यम से तय समय सीमा में लक्ष्य हासिल करना संभव हो सकेगा। आयकर की सीमा न बढ़ाने से खासतौर पर ईमानदार आयकरदाता निराश हैं। सुविधा शुल्क लेने वालों को कोई चिंता नहीं रहती। वह अपनी भरपाई अन्य स्रोतों से कर लेते हैं। किसी भी सरकार में ईमानदार लोगों को परेशानी नहीं होनी चाहिए। इस तथ्य पर विचार करना चाहिए। लेकिन ऐसा लगता है कि सरकार के सामने दो समस्याएं थी। एक तो वह जीएसटी को अपनी निर्धारित सीमा में लागू नहीं करा सकी थी।

सरकार की योजना थी कि कार्यकाल शुरू होने के एक वर्ष के भीतर जीएसटी लागू कर दी जाए। ऐसा होता तो अब तक उससे होने वाले लाभ सामने आने लगते। सरकार की आय का यह स्रोत रहता। लेकिन राज्यसभा में सत्ता पक्ष के पास बहुमत नहीं था। जबकि सरकार ने जीएसटी पर सहमति बनाने में कसर नहीं छोड़ी थी। लेकिन कांग्रेस ने राज्यसभा में इसे पारित नहीं होने दिया था। जब आमजन में आलोचना होने लगी, तब कांग्रेस ने जीएसटी विधेयक पारित कराया। इससे जीएसटी गत वर्ष ही लागू हो सका। दूसरी बात यह कि इस बार सरकार ने गरीबों और किसानों के कल्याण के क्रांतिकारी प्रताव किये हैं। ग्यारह सौ अरब रुपये की मोदी केयर योजना के लिए विशेष प्रयास करने की आवश्यकता थी।

पचास करोड़ की आबादी तक इस योजना का लाभ पहुंचाना आसान नहीं है। सरकार ने इसके लिए कमर भी कस ली है। आगामी गांधी जयंती को ही यह योजना लागू कर दी जाएगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुरू में ही कहा था कि उनकी सरकार गरीबों के प्रति समर्पित होगी। बेघरों को घर, धुंएं में खाना बनाने वालों के घर उज्ज्वला योजना से सिलेंडर, अंधेरे घरों में रोशनी, किसानों की आमदनी बढ़ाना, गरीबों को इलाज की समुचित व्यवस्था, घोटाला रहित और निवेश के अनुकूल व्यवस्था बनाने की दिशा में उनकी सरकार बढ़ रही है। अभी प्रस्तुत बजट इन लक्ष्यों तक पहुंचने में सहायक होगा।

Updated : 5 Feb 2018 12:00 AM GMT
Next Story
Top