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अमरनाथ यात्रियों पर हमला : पहले भी आतंकियों के निशाने पर रही है अमरनाथ यात्रा

अमरनाथ यात्रियों पर हमला : पहले भी आतंकियों के निशाने पर रही है अमरनाथ यात्रा
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कश्मीर से 1988-89 में कश्मीरी हिन्दुओं को भगाने के बाद पाकिस्तान की शह पर हमेशा आतंकियों के निशाने पर अमरनाथ यात्रा रही है। 1990 के बाद से आतंकवादियों ने अमरनाथ यात्रियों को निशाना बनाना शुरू किया।

* वर्ष 1993 में दो हमलों में तीन लोग मारे गए।

* वर्ष 1994 में एक हमले में दो यात्रियों की मौत हुई।

* वर्ष 1995 में तीन हमले हुए लेकिन जानी नुकसान नहीं हुआ।

* वर्ष 1996 में आतंकियों ने हमले किए परन्तु कोई क्षति नहीं हुई।

* वर्ष 2000 में आतंकियों ने पहलगाम के करीब आरू नामक स्थान पर हमले किए, जिसमें 32 श्रद्धालुओं सहित 35 लोग मारे गए और 60 लोग घायल हो गए।

* वर्ष 2001 में शेषनाग में आतंकी हमले में तीन पुलिस अधिकारियों सहित 12 श्रद्धालु मारे गए।

* वर्ष 2002 में अमरनाथ यात्रा पर दो आतंकी हमले हुए जिसमें नौ श्रद्धालु मारे गए व 29 गंभीर रूप से घायल हुए।

* वर्ष 2003 में आतंकियों ने अमरनाथ यात्रा में शामिल होने वालों को सीधे निशाना तो नहीं बनाया लेकिन यात्रा के दौरान ही कटड़ा में वैष्णो देवी के आधार शिविर पर हमला कर आठ श्रद्धालुओं को मार डाला और सेना के एक ब्रिगेडियर की हत्या की गई।

वर्ष 2000 के बाद से अब तक अमरनाथ यात्रा पर तीन बड़े आतंकी हमले हो चुके हैं। इनमें पचास के करीब लोगों की मौत हुई है। यात्रियों की संख्या में वृद्धि के खिलाफ आतंकवादी संगठन सक्रिय हो गए थे और यात्रा को कम करने के इरादे से आतंकी हमलों को अंजाम दिया। वर्ष 1995 में हरकत उल मुजाहिद्दीन ने चेतावनी जारी की थी कि कोई भी मुस्लिम अमरनाथ यात्रा में सहयोग न दें। यात्रा पर मुख्य हमला एक अगस्त 2000 को पहलगाम आधार शिविर पर हुआ। आतंकियों ने हमला कर 32 लोगों की जान ले ली थी। इस हमले में 60 लोग घायल हो गए थे। हमले के चंद घंटों बाद आतंकियों ने कश्मीर में दो और हमले कर बाहरी राज्यों की 27 श्रमिकों व जम्मू संभाग के डोडा के दूरदराज इलाके में 11 हिन्दुओं की हत्या कर दी थी।

आतंकवादियों ने यही रणनीति जुलाई 2001 में भी अपनाई थी। आतंकियों ने 21 जुलाई को यात्रा मार्ग पर शेषनाग कैंप में हमला कर 12 लोगों की जान ले ली थी। अगले दिन आतंकियों ने जम्मू संभाग के किश्तवाड़ जिले में हमला कर पंद्रह हिन्दुओं की हत्या कर दी थी और पांच का अपहरण कर लिया था। 6 अगस्त 2002 को आतंकियों ने यात्रा के नुनवान कैंप को निशाना बनाते हुए नौ यात्रियों की हत्या कर दी थी। जबकि 29 घायल हो गए थे। इस हमले की जिम्मेवारी अल मंसूर नामक आतंकी संगठन ने ली थी।

वहीं सोमवार रात आतंकियों ने एक बार फिर अपने इरादे जाहिर करते हुए श्रीअमरनाथ यात्रियों पर हमला किया। जिसमें 7 यात्रियों की मौत हो गई जबकि 22 लोग घायल हो गए। राज्य व केन्द्र सरकार द्वारा सुरक्षा के तमाम दावों के बावजूद आतंकी हमला करने में कामयाब रहे।

Updated : 11 July 2017 12:00 AM GMT
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