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गौतम गंभीर ने कहा - एसी में बैठकर सेना के जवानों पर बोलने का किसी को हक नहीं

गौतम गंभीर ने कहा - एसी में बैठकर सेना के जवानों पर बोलने का किसी को हक नहीं
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नई दिल्ली।
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में रविवार को कारगील विजय दिवस के रूप में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। वहीं कार्यक्रम में केन्द्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, विदेश राज्य मंत्री वीके सिंह, क्रिकेटर गौतम गंभीर और सेना के पूर्व जनरल जीडी बख्शी शामिल हुए। कार्यक्रम की शुरुआत 600 फुट लंबी तिरंगा यात्रा के साथ हुई जिसका उद्घाटन खुद कुलपति एम जगदीश कुमार द्वारा किया गया।

धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि मेरा सौभाग्य है कि मैं आज इस विशाल जन समूह के साथ पैदल यात्रा में शामिल हुआ। जेएनयू कैंपस के अंदर सेना के लिए प्रदर्शित अपार जनसमूह का समर्थन उन लोगों के लिए सही जवाब है जो ये कहते हैं कि लोग सेना में अपनी आजीविका चलाने के लिए आते हैं। उन्होंने कहा कि हमारे सामने जनरल बख्शी और सूबेदार योगेंद्र सिंह के रुप में साक्षात उदाहरण है उनकी भावना में राष्ट्र सेवा साफ प्रदर्शित होती है।

इस मौके पर वीके सिंह ने कहा कि यह कार्यक्रम मानव संसाधन विकास मंत्रालय के ‘विद्या विरता अभियान’ का बड़ा हिस्सा है। हम पहले से ही देश के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान देने के लिए सभी परमवीर चक्र पुरस्कार विजेताओं के सम्मान में नायकों की दीवार स्थापित करने के लिए मंत्रालय से कहा था। इसी क्रम में आज का कार्यक्रम आयोजित किया गया है हम उन बहादुर पुरुषों को सम्मानित करेंगे और उनकों याद करेंगे।

सिंह के अनुसार, यह कार्यक्रम सेना के पुरुषों के मनोबल को बढ़ाने में कहीं न कहीं जरूर मददगार साबित होगा। उन्होंने कहा कि यहां कुछ छात्रों के बीच सेना विरोधी मानसिकता को बढ़ाया जा रहा है। इसलिए इस प्रकार की घटना को रोकने के लिए और देश के प्रति सैनिकों के किये गये कार्य को याद दिलाने के लिए ऐसे कार्यक्रम होते रहने आवश्यक है।

इस अवसर पर क्रिकेटर गौतम गंभीर ने कहा कि मैं आयोजकों को ऐसा शानदार कार्यक्रम के आयोजन के लिए धन्यवाद देता हूं जो शहीदों के याद में किया गया। मैं यहां कहना चाहूंगा कि हम अक्सर कोई न कोई डे मनाते हैं जैसे चॉकलेट डे, वैलेनटाइन डे लेकिन हम 26 जुलाई को भूल जाते हैं। हमको भूलना नहीं चाहिए कि इसी दिन की वजह से हम बाकि सब दिनों को मना पा रहे हैं। मैं अक्सर सुनता हूं कि बोलने की आजादी कम हुई है, फ्रिडम ऑफ स्पीच जरुरी है लेकिन हमको ध्यान रखना होगा कि बोलने कि स्वततंत्रता का रुप ऐसा न हो जाए कि उससे हमारे देश और तिरंगे कि प्रतिष्ठा को किसी भी तरह कि ठेस पहुंचे। मैं यहां एक और बात कहना चाहता हूं कि देश में किसी भी पद पर बैठा व्यक्ति अपने एयरकंडीशनर कमरे मैं बैठकर भारतीय सैनिके के लिए कुछ भी कहने का अधिकार नही रखता।

Updated : 23 July 2017 12:00 AM GMT
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