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जीवन बचाने की बजाय लोगों के लिए घातक सिद्ध हो रही 108 एम्बुलेंस

जीवन बचाने की बजाय लोगों के लिए घातक सिद्ध हो रही 108 एम्बुलेंस
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-गंभीर रूप से घायल को लेकर जा रही एम्बुलेंस के गियर हुए फैल
-परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल, 25 मिनट बाद मिली मदद

ग्वालियर। प्रदेश में संचालित आपातकालीन सेवा कही जाने वाली ‘108 एम्बुलेंस सेवा’ इन दिनों खुद वेन्टीलेटर पर है। खस्ता हाल एम्बुलेंस घायलों और मरीजों का जीवन बचाने की बजाय उनके लिए घातक सिद्ध हो रही है। गंभीर घायलों व मरीजों के अस्पताल तक पहुंचने के बीच जान का खतरा बना हुआ है। ऐसा ही एक मामला सोमवार को तब सामने आया, जब बीच रास्ते में एम्बुलेंस का गियर फैल हो गया। इस दौरान मरीज के परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल हो गया। परिजन एक ही रट लगाए हुए थे कि मरीज को बचाने में हमारी मदद करो। उनकी इस करुण पुकार को सुनने वाला कोई नहीं था। लगभग 25 मिनट बाद दूसरी एम्बुलेंस आई, तब घायल को अस्पताल ले जाया गया।

कायस्थ नगर भिण्ड निवासी राजेन्द्र कुशवाह सीढ़ियों से गिरकर गंभीर रूप से घायल हो गए थे। परिजन उन्हें भिण्ड जिला अस्पताल लेकर पहुंचे, जहां चिकित्सकों ने उनकी गंभीर स्थिति देखते हुए उन्हें 108 एम्बुलेंस से ग्वालियर रैफर कर दिया। भिण्ड से दो घण्टे बाद जब एम्बुलेंस ग्वालियर बस स्टैण्ड तिराहे पर पहुुंची तो अचानक गियर फैल हो जाने से एम्बुलेंस के पहिए बीच सड़क पर ही थम गए। एम्बुलेंस खराब हो जाने पर घायल के परिजन रोने-बिलखने लगे और मरीज को बचाने की गुहार लगाने लगे। इतना ही नहीं, परिजनों ने खुद ही उतरकर एम्बुलेंस को धक्का भी दिया, लेकिन बात नहीं बनी। इसके बाद एम्बुलेंस चालक मोहर सिंह ने भिण्ड अपने अधिकारियों को एम्बुलेंस खराब होने की सूचना दी। इस पर करीब 25 मिनट बाद गोले का मंदिर प्वॉइंट से दूसरी एम्बुलेंस पहुंची और घायल को उसमें शिफ्ट किया गया। इसके बाद एम्बुलेंस घायल को लेकर जयारोग्य अस्पताल के ट्रॉमा सेन्टर पहुंची, जहां उसे भर्ती किया गया। घायल राजेन्द्र कुशवाह के बेटे प्रिंस कुशवाह का कहना था कि एम्बुलेंस के गियर फैल हो जाने के कारण उनके पिता को दूसरी एम्बुलेंस में शिफ्ट किया गया। तब हम मरीज को यहां ला पाए हैं। प्रिंस के साथ उसकी मौसी गीता कुशवाह और फूफा रतन कुशवाह भी आए हैं। परिजनों का कहना था कि अगर एम्बुलेंस भिण्ड-ग्वालियर के बीच किसी एंटीरीयल में खराब हो जाती तो बड़ी मुसीबत खड़ी हो सकती थी।

घायल की मदद नहीं कर सकी पुलिस
बस स्टैण्ड तिराहे पर मौजूद पुलिस कर्मियों ने जब एम्बुलेंस को बीच सड़क पर रुका हुआ देखा तो उन्होंने एम्बुलेंस को धक्का देकर सड़क के किनारे तो करवा दिया, लेकिन घायल को अस्पताल तक पहुंचाने के लिए कोई मदद नहीं की, जबकि घायल की हालत बहुत नाजुक थी। इतना ही नहीं, पुलिस ने घायल के परिजनों से बात तक नहीं की।

दूसरी एम्बुलेंस में भी नहीं थे लाइफ सपोर्ट उपकरण
इस मामले में सबसे बड़ी बात यह है कि गोले का मंदिर से पहुंची दूसरी एम्बुलेंस में भी कोई लाइफ सपोर्ट उपकरण नहीं थे। घायल को जिस एम्बुलेंस में शिफ्ट कर अस्पताल तक पहुंचाया गया, उसमें प्लस आॅक्सीमीटर, बीपी स्ट्रूमेंट और थर्मामीटर तक नहीं था। इतना ही नहीं, जिले भर में संचालित 15 एम्बुलेंसों में से एक भी एम्बुलेंस ऐसी नहीं है, जिसमें लाइफ सपोर्ट के पूरे उपकरण हों।

इनका कहना है
‘‘एम्बुलेंस अचानक रास्ते में किन कारणों से खराब हुई? इस बारे में मैं अभी संबंधित अधिकारियों से बात करता हूं।’’

रुस्तम सिंह, स्वास्थ्य मंत्री

Updated : 20 March 2018 12:00 AM GMT
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