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ग्वालियर - चम्बल अंचल में आस्था व शक्ति आराधना का केंद्र "आल्हा कालीन ऐतिहासिक शक्ति पीठ रणकौशला देवी मंदिर"

अनिल शर्मा

ग्वालियर - चम्बल अंचल में आस्था व शक्ति आराधना का केंद्र आल्हा कालीन ऐतिहासिक शक्ति पीठ रणकौशला देवी मंदिर
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वेसे तो भारतीय संस्कृति, दर्शनएवं धार्मिक परंपराएं दुनिया में सर्वश्रेष्ठ हैं। परंतु सनातनधर्म में शिव और शक्ति की अराधना का विशेष महत्व है अर्थात पुरुष के साथ नारीशक्ति की पूजा का भारतीय सनातन धर्म में शक्ति आराधना की परंपरा का उल्लेख मिलता है। ग्वालियर -चंबल अंचल में प्राचीनता के इतिहास से जुड़े कई ऐसे देवी शक्ति मंदिर हैं जिनकी शक्ति और चमत्कार का आज भी महत्व बरकरार है। ऐसी ही देवीय शक्ति का मंदिर भिंड जिला मुख्यालय से 55 किलो मीटर की दूरी पर लहार क्षेत्र के दबोह कस्बे के समीप रेहकुला देवी का मंदिर है जो पहुच नदी के पास अमाहा मौजे मे स्थित है, जिसकी मान्यता और आस्था प्रदेश के अलावा समीपवर्ती प्रांत उत्तरप्रदेश व राजस्थान में है। इतिहासकारो के अनुसार यह आल्हा कालीन ऐतिहासिक शक्ति पीठ रणकौशला देवी का मंदिर है जिसका नाम अपभ्रंश होकर अब रेहकुला देवी के नाम से पुकारा जाने लगा है।

पूरे अंचल मे आस्था व शक्ति आराधना का केंद्र माने जाने वाला ये देवी मंदिर कईहजार वर्ष पूर्व का निर्मित बताया जाता है, इसका निर्माण चन्देल राजाओं ने कराया था और देवी दुर्गा की प्रतिमा की स्थापना आल्हा उदल के बड़े भाई सिरसा राज्य केसामन्त वीर मलखान एवं उनकी पतिव्रता पत्नी गजमोतिन ने कराई थी। वीर मलखानदेवी के बहुत बड़े भक्त थे। आज ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर में पूजा अर्चन करने से सभी इच्छाएं और कामनाएं पूर्ण होती है। मंदिर से एक बेहद आश्चर्यजनक बात जुड़ी है। कहा जाता है कि इस मंदिर में एक अदृश्य शक्ति पूजा करने आती है और सर्वप्रथम देवी की पूजा ये शक्ति ही करती है। शक्ति के उपासकों के लिए देवी का ये मंदिर बहुत महत्व रखता है। रहकोला देवी का मन्दिर हजारवीं शताब्दी का बताया जाता है। इस मंदिर की भोगोलिक स्थिति पर नजर डाले तो मन्दिर से पूर्व दिशा में करीब 4 किमी दूर पहूज नदी है और इस नदी के किनारे सिरसा रियासत की प्राचीन गढियों के अवशेष भी मिले हैं। बताया जाता है कि सिरसा की गढ़ी की बावड़ी से लेकर रहकोला देवी मन्दिर तक भूमिगत सुरंग है और इस सुरंग से ही उस समय वीर मलखान पूजा करने आते थे। वीर मलखान अपनी महारानी गजमोतिन के साथ बावड़ी में स्नान के बाद देवी मन्दिर में पूजा करते थे।

कालांतर के साथ सिरसा की बावड़ी में मन्दिर के गर्भगृह की ओर जाने वाले दरवाजे विलुप्त हो चुके हैं। मन्दिर के गर्भगृह में जगदम्बा दुर्गा बेहद मन मोहक प्रतिमा स्थापित है। देवी सिद्धिदात्री मानी गईं और मान्यता है कि यहां यदि कोई भी मनोकामना लेकर आए वह जरूर पूरी होती है। मंदिर में पहुंचते ही आत्मिक शांति का अहसास होता है। इसलिए कहा जाता है कि इस मंदिर में देवी जागृत अवस्था में हैं। इसलिए यहां आने पर सभी के कष्ट दूर हो जाते हैं।

Updated : 13 April 2024 12:04 PM GMT
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