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चमत्कारिक है बाराकला गढ़ी वाली माता का मंदिर

अनिल शर्मा

चमत्कारिक है बाराकला गढ़ी वाली माता का मंदिर
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भिंड। बाराकला गाव अपने नाम के अनुरूप ही धार्मिक दृष्टि से भी पावन तपस्थली भी है त्रेता मे अवतरित भगवान श्रीराम का अवतार बाराकला से हुआ था, यह गाव कुशवाह क्षत्रिय समाज बाहुल्य है, जो विष्णु के अवतार भगवान श्रीराम के पुत्र कुश वंशज सूर्यवंशी है वेसे तो यहा काफी संख्या मे प्राचीन मंदिर है जिनमे 11 प्राचीन मंदिर पुरातात्विक दृष्टि से महत्वपूर्ण है बाराकला का बारवा मंदिर गढ़ी वाली देवी माता के नाम से प्रसिद्ध है पहले घर मे विराजमान थी अब दर्शन करने वाले श्रद्धालुओ की संख्या बढ़ने के कारण घर मंदिर स्वरूप हो गया है

हिमाचल पुत्री होने के चलते अधिकांश देवी मंदिर उचे पहाड़ो पर है एसा ही कुछ दृश्य बाराकला गढ़ी माता मंदिर का है। वह समतल गाव मे उचे बड़े टीले पर स्थापित है यहा माता के दर्शन के लिए चढ़ाई चढ़ते सीढ़ियो से जाना पड़ता है यहा दर्शन करने आने वालो को माता की अद्भुत शक्ति की अनुभूति होती है जो माँ हरिद्वार ऋषिकेश की माँ मंशा देवी के दर्शन की अनुभूति कराती है जिला मुख्यालय से 6 किलोमीटर की दूरी पर बाराकला गाव की गढ़ी पर स्थापित देवी माँ का सिद्धस्थल है। बाराकला गढ़ी वाली माता सब पर कृपा बरसाने वाली है यहा के लोगो एसी मान्यता है माता के दरबार मे माथा टेकने वाले का संकट टल जाता है वेसे तो गाव के श्रद्धालु रोज ही दर्शन करने पहुचते है लेकिन चेत्र व क्वार नवरात्रि मे मातृशक्ति पुजा अर्चन हेतु भारी तादाद मे पहुचती है।

देवी माता मंदिर स्थापना की रोचक कहानी है -

बाराकला गाव के बुजुर्ग बताते है कि माता की प्रतिमा को अन्य स्थान पर स्थापित करने के लिए ले जाया जा रहा था। लेकिन जेसे ही वह बाराकला गाव से गुजरा तो बुरी तरह थक कर बैठ गया, जिस पर सवार होकर माता जा रही थी। वह जानवर भी गिर पड़ा वह माता के वजन को सहन नही कर पा रहा था,तभी वह बाराकला गाव के ही शिव सिंह बाबा को परेशानी बताकर देवी मूर्ति छोडकर चला गया था। जिसे शिव सिंह बाबा ने गढ़ी पर बने अपने मकान के किसी आले मे रख दिया फिर माता के लिए अन्यत्र मंदिर भी बनाया गए लेकिन माता ने स्वप्न मे कहा कि वे यही स्थापित रहेंगी। इस तरह घर ही माँ का मंदिर हो गया माँ मंशा देवी के दर्शन की अनुभूति देवी मां के देश भर मे जितने भी बड़े मंदिर हैं। वे ऊँची पहाड़ों पर स्थित हैं।

वैज्ञानिक शोधों से पता चलता है कि पहाड़ी स्थानों पर सकारात्मक ऊर्जा का स्तर अधिक होता है। जब इंसान पहाड़ों पर देवी, देवताओं के दर्शन के लिये जाते हैं तो उस सकारात्मक उर्जा का असर इंसानों के मन मस्तिष्क में होता है और इंसान के मन में अध्यात्म के प्रति भाव जागते हैं। बाराकला मे भी माता ने कुछ एऐसा ही ऊँचा स्थान चुना है। समतल इलाके मे बसे बाराकला गाव का राजवंश से है उसका प्रमाण गांव मे ऊंचाई पर मौजूद यह गढ़ी है माता ने उसे अपने लिए स्वेच्छा से चुना है। क्योंकि यहां देवी मंदिर स्थापना की पूर्व से कोई योजना नही थी। देवी के आने के बाद घर ने मंदिर का रूप लिया है।

शिवसिंह बाबा के वंशज ही है पुजारी -

बाराकला गढ़ी पर स्थापित देवी मंदिर की पूजा कई सालों से शिव सिंह बाबा के ज्येष्ठ वंश करता आ रहा है। ववर्तमान पुजारी रतिभान सिंह कुशवाह सपत्नीक माता की सेवा मे है उनका कहना है कि उनके बाबा और दादी देवी माँ की पुजा साधना करती थी। पहले घर मे ही देवी माँ की प्रतिमा विराजमान थी। अब भक्तो व श्रद्धालुओं को किसी तरह का दर्शन मे व्यवधान न आए इसलिए निवास अलग कर लिया है। लोगो की मनोकामनाए पूरी हुई तो अब मंदिर परिसर मे निर्माण भी जन सहयोग से हुआ है. मंदिर के आगे यज्ञ शाला निर्मित हो गई है।

Updated : 13 April 2024 12:00 PM GMT
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स्वदेश डेस्क

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