दंतैल हाथी के हमले से अब तक 4 लोगों की दर्दनाक मौत: महिला का उखाड़ा हाथ, युवक को पैरों से रौंदा

Update: 2025-04-03 09:42 GMT
महिला का उखाड़ा हाथ, युवक को पैरों से रौंदा
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Four People Died in Elephant Attack in Balrampur: बलरामपुर। छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिले में हाथी के हमलों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। गुरुवार, 3 अप्रैल 2025 की सुबह सेमरसोत अभ्यारण्य के कोदौरा रेंज में स्थित घाघरा गांव में एक जंगली हाथी ने 35 वर्षीय दिनेश पोया को कुचलकर मार डाला।

इस घटना में दिनेश के दो साथी, रामकरण गोंड (40) और रोहित नागवंशी (24), भागकर अपनी जान बचाने में सफल रहे, लेकिन भागते समय वे गिरकर घायल हो गए। पिछले चार दिनों में बलरामपुर जिले में हाथी के हमले में यह चौथी मौत है, जिसके चलते ग्रामीणों में दहशत का माहौल है।

जानकारी के अनुसार, दिनेश पोया, रामकरण गोंड और रोहित नागवंशी गुरुवार सुबह करीब 5 बजे घाघरा गांव के अपने मक्के के खेत में पानी देने गए थे। खेत में रात 3 बजे से एक जंगली हाथी घुसा हुआ था। दिनेश को खेत में हलचल का अहसास हुआ, और उसने स्थिति देखने के लिए खेत में प्रवेश किया।

इसी दौरान हाथी ने उस पर हमला कर दिया और उसे पटक-पटककर मार डाला। शोर सुनकर रामकरण और रोहित भागने लगे, लेकिन भागते समय वे गिर गए और घायल हो गए। दोनों ने गांव पहुंचकर ग्रामीणों को सूचित किया। बड़ी संख्या में ग्रामीण मौके पर पहुंचे, लेकिन तब तक दिनेश की मौत हो चुकी थी।

घटना की सूचना मिलते ही कोदौरा रेंजर, वनकर्मी और कोदौरा पुलिस मौके पर पहुंची। दिनेश पोया के शव का पंचनामा करने के बाद उसे पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया गया। दिनेश शादीशुदा था और उसके दो बच्चे हैं। वह अपने परिवार का इकलौता कमाने वाला सदस्य था। वन विभाग ने तत्काल सहायता के रूप में उसके परिजनों को 25,000 रुपये की राशि प्रदान की है।

चार दिनों में चार मौतें

बलरामपुर जिले में हाथी के हमले की यह कोई पहली घटना नहीं है। पिछले चार दिनों में जंगली हाथियों ने चार लोगों की जान ले ली है। सोमवार, 31 मार्च 2025 को रामानुजगंज वन परिक्षेत्र के फुलवार गांव में एक दंपत्ति पर हाथी ने हमला किया था। इस हमले में अस्मीना अंसारी नामक महिला के हाथ उखड़ गए थे और इलाज के दौरान अंबिकापुर में उसकी मौत हो गई।

उसका पति उस्मान अंसारी गंभीर रूप से घायल है। उसी दिन फुलवार में हमले के बाद हाथी रामपुर पहुंच गया, जहां तड़के 3 बजे महुआ बीनने गए दुर्गा प्रसाद (48) को उसने पटक-पटककर मार डाला। दुर्गा प्रसाद अंबिकापुर कमिश्नर ऑफिस में चपरासी के पद पर कार्यरत था।

इसके बाद बुधवार 2 अप्रैल 2025 को शंकरगढ़ वन परिक्षेत्र के नावापारा गांव के जोताड़ जंगल में एक पहाड़ी कोरवा महिला, गिद्दी कोरवा (50), को हाथी ने मार डाला। गिद्दी अपने पति सुखू लाल कोरवा और अन्य ग्रामीणों के साथ जंगल में महुआ बीनने गई थी। इन घटनाओं ने पूरे जिले में हड़कंप मचा दिया है, और ग्रामीणों में डर का माहौल है।

वन विभाग की चेतावनी

हाथी के हमले की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए वन विभाग ने ग्रामीणों को जंगल की ओर न जाने की सलाह दी है। वन विभाग के अनुसार, हमला करने वाला हाथी अभी भी पास के जंगल में मौजूद है, जिसके चलते क्षेत्र में तनाव बना हुआ है। विभाग ने लोगों से सतर्क रहने और जंगल में प्रवेश न करने की अपील की है। साथ ही, वनकर्मी हाथी की गतिविधियों पर नजर रख रहे हैं और उसे जंगल की गहराई में खदेड़ने की कोशिश कर रहे हैं।

हालांकि, ग्रामीणों का कहना है कि वन विभाग की यह सलाह उनके लिए व्यावहारिक नहीं है क्योंकि उनकी आजीविका जंगल पर निर्भर है। महुआ बीनना और खेती-बाड़ी उनके जीवन का मुख्य हिस्सा है और जंगल में न जाने से उनकी आर्थिक स्थिति पर बुरा असर पड़ रहा है। ग्रामीणों ने वन विभाग पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहा कि विभाग हाथियों को नियंत्रित करने में नाकाम रहा है।

हाथी-मानव संघर्ष की गंभीर समस्या

सेमरसोत अभ्यारण्य के करीब बलरामपुर जिला बसा है, इसी वजह से लंबे समय से ये जिला हाथी-मानव संघर्ष का शिकार रहा है। यह क्षेत्र हाथियों का प्राकृतिक गलियारा है और जंगल कटाई, खनन और मानवीय अतिक्रमण के कारण हाथी अक्सर गांवों की ओर रुख कर लेते हैं।

पिछले कुछ वर्षों में छत्तीसगढ़ में हाथी हमलों में वृद्धि देखी गई है। 2024 में, राज्य में हाथी हमलों में 60 से अधिक लोगों की मौत हुई थी, और 2025 में भी यह सिलसिला जारी है। बलरामपुर, सरगुजा और कोरबा जैसे जिले इस समस्या से सबसे ज्यादा प्रभावित हैं।

वन विभाग ने हाथी-मानव संघर्ष को कम करने के लिए कई कदम उठाए हैं, जैसे कि हाथी ट्रैकिंग सिस्टम, ग्रामीणों को जागरूक करना और प्रभावित परिवारों को मुआवजा देना, लेकिन ये प्रयास नाकाफी साबित हो रहे हैं।

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