छत्तीसगढ़ में भी राजभवन में लंबित हैं नौ विधेयक: यहां भी दिख सकता है तमिलनाडु के मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश का असर…

रायपुर। विधानसभा से पारित विधेयकों को राजभवन में रोके जाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा आदेश दिया है। तमिलनाडु सरकार की याचिका पर आए सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का असर अन्य राज्यों पर भी पड़ेगा। छत्तीसगढ़ में भी करीब नौ विधेयक राजभवन में लंबित हैं। इनमें से कुछ अभिमत के लिए केंद्र सरकार को भी भेजा गया है।
बता दें कि तमिलनडु सरकार की याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि को सख्त निर्देश देते हुए कहा कि राजनीतिक कारणों से विधेयकों को लंबित रखना संविधान सम्मत नहीं है। साथ ही यह भी कहा कि यदि कोई विधेयक लंबित रखा गया है, तो उसे राज्यपाल की स्वीकृति मान लिया जाएगा या फिर उसे तत्काल विधानसभा को वापस लौटाया जाना चाहिए।
छत्तीसगढ़ में लंबे समय से लंबित पड़े हैं कई विधेयक
छत्तीसगढ़ में भी लगभग विधानसभा से पारित करीब 9 विधेयक राज्यपाल की मंजूरी के लिए राजभवन में लंबित हैं। इनमें कई विधेयक राजनीतिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण और विवादास्पद रहे हैं। इनमें प्रमुख लंबित विधेयकों में जोगी सरकार में पारित धर्म स्वातंत्र्य विधेयक, फिर डॉ रमन सिंह के कार्यकाल में रामविचार नेताम द्वारा प्रस्तुत धर्म स्वातंत्र्य विधेयक राष्ट्रपति भवन में लंबित हैं।
इसके बाद बघेल सरकार द्वारा पारित शैक्षणिक संस्थाओं और नौकरियों में ओबीसी, अजा आरक्षण विधेयक, केंद्रीय कृषि कानून से संबंधित राज्य के अनुरूप पारित तीन संशोधन विधेयक, कुलपति नियुक्ति में राज्यपाल के अधिकारों में कटौती से संबंधित संशोधन विधेयक और निक्षेपों के हितों के संरक्षण संशोधन (चिटफंड कंपनी) विधेयक शामिल हैं।
इनमें सबसे चर्चित और कांग्रेस-भाजपा, राजभवन के बीच तनातनी खड़े करने वाले विधेयकों में आरक्षण और कुलाधिपति के अधिकार कटौती के विधेयक रहे। आरक्षण विधेयक को अनुसुइया उइके के समय से अब तक रोका गया है।
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद यह पूरी संभावना है कि छत्तीसगढ़ के राज्यपाल अब इन विधेयकों को या तो विधानसभा को पुनर्विचार के लिए लौटा सकते हैं या फिर उन पर अंतिम निर्णय लेंगे। यदि विधेयक वापस लौटाए जाते हैं, तो राज्य सरकार उन्हें संशोधित रूप में फिर से पारित कराकर भेज सकती है।