- अतुल तारे
देशद्रोह कांग्रेस के लिए अपराध नहीं है। सत्ता के लिए वह अलगाववादियों को गले भी लगाएगी। जम्मू कश्मीर में सेना को भी घटाएगी। देशद्रोह के कानून की धारा 124ए को समाप्त करेगी। घाटी में केन्द्रीय सुरक्षा बल की तैनाती भी कम करेगी। यह भारतीय जनता पार्टी के किसी राजनेता का आरोप नहीं है। यह कांग्रेस का घोषणा पत्र है।
जाहिर है टुकड़े-टुकड़े गैंग पर न्यौछावर और अफजल प्रेमी कांग्रेस अगर मध्य प्रदेश में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रादेशिक कार्यालय 'समिधा' की सुरक्षा हटाती है तो कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए। रात के अंधेरे में सुरक्षा हटाना और दिन के उजाले में आतंकियों से सहानुभूति रखने वालों से खुलेआम गले मिलने की बेहयाई दिखाकर आज कांग्रेस ने अपना वास्तविक परिचय देश के सामने एक बार फिर रख दिया है।
देश के विभाजन का अक्षम्य पाप करने वाली कांग्रेस रावी की शपथ तो दशकों पहले ही भूल गई थी और सिर्फ खुद नहीं भूली। देश की नई पीढ़ी को भी उसने यह याद रखवाने का प्रयास नहीं किया कि 1929 में रावी के तट पर उनके ही दल के नेताओं ने पूर्ण स्वराज अखंड भारत की शपथ ली, वहीं रावी सन् 1947 में देश के नक्शे से गायब हो गई। यह अपराध देश के तत्कालीन कर्णधारों ने अर्थात पंडित नेहरू ने इसलिए होने दिया कि वह स्वयं और उनकी पार्टी मुस्लिम लीग की हठधर्मिता के आगे नतमस्तक थी और स्वयं कांग्रेस भी देश के टुकड़े करके भी सत्ता के लिए लालायित। 1947 में किया गया यह जघन्य अपराध 2019 तक जारी है। राहुल गांधी यह जानते हैं कि उनके ही पिता स्व. राजीव गांधी ने पूर्वांचल के चुनाव प्रचार के दौरान ईसाई समुदाय के वोट पाने के लिए ''वेटिकन सिटी'' का राज स्थापित करने की भी बात कही थी। राहुल गांधी उसी घृणित परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं। वह देख रहे हैं जम्मू कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक और द्वारका से पूर्वांचल तक राष्ट्रीय विचारों का एक ज्वार है। देश खड़ा हो रहा है। एक नए साहसी भारत का निर्माण हो रहा है। राजधानी दिल्ली में जहां एक ओर टुकड़े-टुकड़े गैंग के देशद्रोही मिमियाते घूम रहे हैं, वहीं घाटी में बिल तलाश रहे हैं। सर्जीकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक के बाद पड़ोसी पाकिस्तान डर से कांप रहा है।
चीन खुलकर भारत के साथ नहीं है पर विरोध का दम भी नहीं दिखा पा रहा। वैश्विक जगत में भारतीय नेतृत्व की प्रशंसा हो रही है। कांग्रेस देख रही है कि उसके पांव तले जमीन खिसक चुकी है। देश के सामने राष्ट्रीय चरित्र के मसले पर आज वह निर्वस्त्र है। यह वास्तविकता ही अब उसे बेशर्मी पर बाध्य कर रही है। वह जानती है कि देश उसे सबक सिखाने का मन बना चुका है। राहुल का अमेठी से वायनाड जाना सिर्फ संसदीय क्षेत्र का बदलना भर नहीं है, यह कांग्रेस का घबराहट में फिर यू टर्न है। वह देश में एक कृत्रिम डर का माहौल पैदा कर खुलकर राष्ट्रद्रोहियों से समझौता करना चाहती है ताकि उसका अस्तित्व बना रहे पर देश यह बारीकी से देख रहा है। वह अब क्षमा करने की मानसिकता में नहीं है। राहुल स्वयं कांग्रेसमुक्त भारत के निर्माण बनने का प्रण ले चुके हैं। हार्दिक शुभकामनाएं। जहां तक संघ कार्यालय की सुरक्षा हटाने का प्रश्न है तो यह अपेक्षित ही था। संघ स्वयं देश की सुरक्षा के लिए है, उसे सुरक्षा की आवश्यकता भी नहीं। 'समिधा' (संघ कार्यालय) यूं भी राष्ट्रयज्ञ में आहुति के लिए ही होती है। संघ इदम् न मम् राष्ट्राय स्वाहा का स्वयं जयघोष करता है, अत: उनकी सुरक्षा सरकारी तंत्र क्या खाक करेगा?