लवजिहाद, धर्म, मजहब, रिलिजन और शिवराज सरकार

डॉ. मयंक चतुर्वेदी

Update: 2022-01-12 08:31 GMT

वेबडेस्क। मध्यप्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम-2021 मार्च 2021 में तत्काल प्रभाव से राज्‍य में लागू कर दिया गया था। शिवराज सरकार से बहुसंख्‍यक समाज जोकि इस प्रकार के कानून बनाने की मांग लम्‍बे समय से कर रहा था उनकी कल्‍पना यही थी कि प्रदेश में इस अधिनियम के लागू होते ही ''लव जिहाद'' स्‍वत: समाप्‍त हो जाएगा। जो वास्‍तविक प्रेमी होगा, वह अपने असली स्‍वरूप में और जो कोई भी जूठा होगा वह छद्म वेश में किसी के साथ छल नहीं करेगा। किंतु यह जानकर आश्‍चर्य होता है कि 'लव जिहाद' कानून के प्रभावी होने के पहले दिन से लेकर आगे के 23 दिनों में 23 प्रकरण थानों में दर्ज हुए थे। उसके बाद से अब तक प्रदेश 65 एफआईआर दर्ज होने के साथ ही 55 मुकदमे दर्ज किए जा चुके हैं । धोखेबाज अपनी पहचान फिर भी छिपाकर लवजिहाद कर रहे हैं। पूरे एक वर्ष में 107 आरोपित हुए हैं, जिनमें 78 मुस्लिम और 29 क्रिश्चियन के साथ अन्य आरोपी भी हैं। 

देश तो बहुत बड़ा है अकेले मध्‍य प्रदेश राज्‍य के आंकड़े यह हैं कि दीन की आड़ में औरत को दोजख में भेजने वाले 35 से ज्यादा लव-जिहादी जमानत पर जेल से बाहर घूम रहे हैं । पुलिस फिलहाल 36 मामलों में कोर्ट में चार्जशीट दाखिल कर चुकी है और 29 मामलों की विवेचना जारी है। बड़े शहरों की यहां बात की जाए तो इंदौर पहले स्‍थान पर और भोपाल दूसरे स्थान पर है, जहां हिन्‍दू लड़कियों को पहचान छि‍पाकर प्‍यार के नाटक में फंसाया गया है।

कहा जा सकता है कि 'लव जिहाद' पर सख्‍त कानून बनने के बाद भी यहां कहानियां अनेक हैं, हर स्‍त्री को मजहब ने धर्म के नाम पर ठगा, कुछ प्रकरण ऐसे भी हैं, जहां रिलिजन ने धर्म को अपना शिकार बनाया। यहां किसी की जिज्ञासा हो सकती है कि धर्म, मजहब, रिलिजन यह तो समानार्थी एक जैसा अर्थ रखनेवाले शब्‍द हैं, फिर इस तरह की भाषा से लेखक क्‍या सिद्ध करना चाह रहा है ? वास्‍तव में यहां मंशा इतनी भर है कि भले ही भारतीय संविधान अथवा सुविधा की दृष्‍टि से भारतीय जन में अधिकांश लोग इन तीनों शब्‍दों को एक मानकर व्‍यवहार करते हों, लेकिन इसकी भिन्‍नता बहुत गहरी है, जो इन शब्‍दों के बोलने के साथ ही दिखाई देती है।

मजहब का का अर्थ पंथ या सम्प्रदाय से है जोकि मुस्लिम पंथ को दर्शाता है। उसी तरह रिलिजन का समानार्थी रूप विश्वास, आस्था या मत हो सकता है, लेकिन धर्म नहीं। A religion is a particular system of belief in a god or gods and the activities that are connected with this system. The Christian religion. इस ईसाई पंथ से भिन्‍न धर्म वह अनुशासित जीवन क्रम है, जिसमें लौकिक उन्नति (अविद्या) तथा आध्यात्मिक परमगति (विद्या) दोनों की प्राप्ति होती है। यतो ऽभ्युदयनिः श्रेयससिद्धिः स धर्मः। – वैशेषिकसूत्र 1/1/2

जिससे यथार्थ उन्नति (आत्म बल) और परम् कल्याण (मोक्ष) की सिद्धि होती है, वह धर्म है। यहां ध्यान देनेवाली बात यह है कि मोक्ष की अवधारणा का सिद्धांत सिर्फ और सिर्फ वैदिक सनातन धर्म में ही मिलता है, अन्यत्र कहीं नहीं । श्रीमद्भगवत पुराण में सातवें स्कंध के 11वें अध्याय में श्लोक आठ से 12 तक में धर्म के 30 लक्षण बताए गए हैं। याज्ञवल्क्य स्मृति में इसके नौ लक्षण गिनाए गए हैं। अहिंसा सत्‍यमस्‍तेयं शौचमिन्‍द्रियनिग्रह:। दानं दमो दया शान्‍ति: सर्वेषां धर्मसाधनम्‌।।– याज्ञवल्क्य स्मृति 1/122, अर्थात् अहिंसा, सत्य, चोरी न करना (अस्तेय), शौच (स्वच्छता), इन्द्रिय-निग्रह (इन्द्रियों को वश में रखना), दान, संयम (दम), दया एवं शान्ति।

मनुस्मृति में धर्म के दस लक्षण बताए गए हैं-धृति: क्षमा दमोऽस्‍तेयं शौचमिन्‍द्रियनिग्रह:। धीर्विद्या सत्‍यमक्रोधो दशकं धर्मलक्षणम्‌।। – मनुस्‍मृति 6/52 । अर्थात् धृति यानी धैर्य, क्षमा के अर्थ में दूसरों के द्वारा किए गए अपराध को माफ कर देना, दम का मतलब अपनी वासनाओं पर नियन्त्रण करना, अस्तेय का अर्थ चोरी न करना, शौच का मतलब है आंतरिक और बहारी शुचिता, इन्द्रिय निग्रहः इन्द्रियों को वश में रखना), धी (बुद्धिमत्ता का प्रयोग), विद्या (अधिक से अधिक ज्ञान की पिपासा), सत्य (मन, वचन और कर्म से सत्य का पालन) और अक्रोध (क्रोध न करना)। ये दस धर्म के लक्षण हैं।

भारतीय दर्शन में धर्म का सामान्य अर्थ 'गुण' भी बताया गया है। द्रव्यों के अपने गुण होते हैं, जैसे आग और पानी का अपना गुण है। ''पृथिव्यापस्तेजो वायुराकाशं कालो दिगात्मा मन इति द्रव्याणि।'' इस प्रकार कुल नौ द्रव्य पृथ्वी, जल, तेज, वायु, आकाश, काल, दिशा, आत्मा और मन बताए गए हैं । संपूर्ण जगत यानी संसार में सभी दृश्य अथवा अदृश्य वस्तुओं की संरचना इन्‍हीं द्रव्यों से हुई है। इसके साथ ही धर्म को 'ऋत' भी माना गया है। ऋत का अर्थ है – जो सहज है, स्वाभाविक है, जिसे आरोपित नहीं किया गया है। जो आपका अंतस है, आचरण नहीं। जो आपकी प्रज्ञा का प्रकाश है, चरित्र की व्यवस्था नहीं। इस स्वाभाविक धर्म से अलग बाकी सब अपने-अपने मत, पंथ या सम्प्रदाय ही हैं।

वस्‍तुत: इस तरह से आप समझ सकते हैं कि धर्म इस अर्थ में मजहब या रिलिजन का पर्यावाची नहीं हो सकता। इसलिए जो सनातन हिन्‍दू संस्‍कृति को मानते हैं, उनके लिए यह धर्म शब्‍द व्‍यवहार किए जाने योग्‍य है और जब यहां किसी के साथ छलावा होता है तब कहा जा सकता है कि यह छलावा मजहब या रिलिजन का है। यहां ज्यादातर शिकायतें उन महिलाओं की हैं, जिन्‍हें प्यार के जाल में फंसाने के बाद धोखा मिला है । इनमें ऐसे भी अनेक प्रकरण हैं जिसमें कि बल के माध्यम से लड़की पर धर्म बदलने का दवाब डाला गया।

कहीं, अकीब नामक युवक खुद को अमन सोलंकी बताकर उसी मोहल्ले में किराए से रहने वाली 21 वर्षीय युवती को धोखा दे रहा है । तो कहीं, सोहेल मंसूरी नाम बदलकर 22 वर्षीय युवती को प्रेम जाल में फंसाता नजर आ रहा है। आज आर्यन ठाकुर जैसे ना जाने देश भर में कितने शोएब आलम होंगे जो नकली नाम से फेसबुक एवं अन्‍य सोशल मीडिया प्‍लेटफार्म पर मौजूद हैं।इसी प्रकार से कोई फैजान कबीर बन नजदीकियां बढ़ाने के बाद मुस्लिम धर्म अपनाने का दबाव बना रहा है । ऐसा नहीं करने पर पीड़ि‍ता का अश्लील वीडियो वायरल करने की धमकी देता है, यहां रुपए एठनेवालों की भी कोई कमी नहीं है। इसमें ऐसे केस भी अनगिनत हैं जिनमें आरोपित मुजीब जैसे लोग पहले से शादी शुदा हैं लेकिन अपना नाम मनीष बताकर युवतियों से दोस्ती बना रहे हैं । जीवन भर जीने-मरने की कसमें खाकर, शादी का झांसा देकर युवती से गलत कर रहे हैं। फिर धर्म परिवर्तन भी करा रहे हैं।

देखा जाए तो मध्‍य प्रदेश में शिवराज सरकार ने जब इस कानून को लागू किया तो साफ शब्‍दों में इसके अंतर्गत अधिकतम 10 साल तक के कारावास और एक लाख रुपए के जुर्माने का प्रावधान किया गया। साथ ही धर्म परिवर्तन करके किया गया विवाह भी शून्य घोषित कर दिया गया था । कानूनी भाषा में कहें तो यदि किसी शख्स पर नाबालिग, अनुसूचित जाति/जनजाति की बेटियों को बहला फुसला कर शादी करने का दोष सिद्ध होता है तो उसे दो साल से 10 साल तक की सजा दी जाती है। अगर कोई व्‍यक्‍ति धन और संपत्ति के लालच में मजहर-रिजिलन छिपाकर शादी करता हो तो उसकी शादी शून्य मानी जाती है, किंतु जिस तरह के प्रकरण इस कानून के बनने के एक वर्ष बाद भी सामने आ रहे हैं, उससे साफ जाहिर होता है कि अपराधियों को इस कानून का कोई भय व्‍याप्‍त नहीं हुआ है।

वर्तमान में आ रहे प्रकरण इस ओर ही इशारा कर रहे हैं कि सरकार के प्रयासों में कानून की सख्‍ती से अधिक तेज प्रदेश में योजनाबद्ध तरीके से हिन्‍दू लड़कियों को प्रेमजाल में फंसाने का षड्यंत्र चल रहा है। वस्‍तुत: आज जो गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा कहते हैं कि यह एक गंभीर मुद्दा है, ऐसे लोग पूरे देश में एक्टिव हैं। मध्‍य प्रदेश में ऐसी गतिविधियों को रोकने के लिए हमने कदम उठाया है। तब उनसे कहना यही है कि सत्‍य के पक्ष में कानून का भय इस प्रकार से राज्‍य में व्‍याप्‍त हो कि कोई भी 'लव जिहाद' के रास्‍ते पर चलने का विचार भी अपने जहन में न ला सके।

लेखक फिल्‍म प्रमाणन बोर्ड एडवाइजरी कमेटी के पूर्व सदस्‍य एवं पत्रकार हैं।

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