संगठन निष्ठा से किया गया कार्य कभी व्यर्थ नही जाता, यह चरितार्थ कर दिखाया भिंड के लाल ने
भिंड/ अनिल शर्मा। संगठन गढ़े चलो, सुपंथ पर बढ़े चलो । भला हो जिसमें देश का, वो काम सब किए चलो इस मूल मंत्र को मानकर संगठन निष्ठा से किया गया कार्य कभी व्यर्थ नही जाता है। ऐसा कुछ राजनीति मे भिंड की माटी में जन्मे लाल सिंह आर्य ने चरितार्थ कर दिखाया है ,किशोरावस्था में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़कर राजनीति के पथ पर जो प्रगति का सफर शुरू किया। उन्होने आज देश के सबसे बड़े राजनेतिक दल भाजपा अनुसूचित मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद की ज़िम्मेदारी सम्हालने का भिंड को पहला गौरव हासिल कराया है। वैसे भाजपा के लिए यह कोई नई बात नही है. उसने कई कर्मठ कार्यकर्ताओ को फर्श से अर्श तक उचाई तक पहुचाया है,लेकिन भिंड के लिए यह गौरब शाली क्षण है।
भिंड शहर में पले बढ़े और पढे लाल सिंह आर्य ने राजनीति की शुरुआत छात्र जीवन से करते हुये जेन महाविधालय से छात्र संघ का चुनाव लडा , और एसे राष्ट्र के लिए समर्पित संगठन शिल्पकार के संपर्क मे आ गए , जिन संस्कारो के फल स्वरूप एक मजदूर का वेटा अब राजनीति मे अपनी एक अलग पहिचान बनाने की ओर अग्रसर है पहली बार1990 मे भाजपा के सबसे कम उम्र के जिला महामंत्री बने और 1998 में पहली बार गोहद से चुनाव लड़ कर विधायक चुने गए ,उन्होंने अपने कार्य और व्यवहार से लोगों के दिलों को जीता । नतीजतन तीन बार विधायक चुने गए। कई बार मंत्री बनते बनते रह गए लेकिन धेर्य नही खोया , मंत्री पद न मिलने की भरपाई मे संगठन ने प्रदेश मे अनुसूचित मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष की ज़िम्मेदारी दी जिसमे उन्हे न केवल संगठन मे अच्छी पहिचान मिली बल्कि प्रदेश मे स्थापित करने के अवसर का सदुपयोग करने मे सफल रहे और आखिर कार प्रदेश सरकार में राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार का दायित्व भी मिल गया ,संगठन मे प्रदेश महामंत्री का दायित्व भिंड के किसी नेता मिलने गौरब भी बहुआयामीव्य क्तित्व के धनी लाल सिंह को ही मिला था इतने की बाबजूद भी जब सिंधिया के साथ आए रणवीर जाटब को उप चुनाव मे उम्मीदवार बनया गया तो राजनेतिक हल्कों मे उनके राजनेतिक भविष्य को लेकर तमाम चर्चाओ के दौर मे भी लाल सिंह ने न धेर्य खोया और न भटके और आज उनको इतनी बड़ी मिली है जो प्रेरणा श्रोत ह सकती है।