भिंड। कांग्रेस छोड़कर भारतीय जनता पार्टी में आने के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया की व्यवहार शैली में काफी परिवर्तन दिख रहा है। बड़े नेताओं से लेकर छोटे से छोटे कार्यकर्ता के लिए महल से ज्योतिरादित्य सिंधिया के खूब फोन भी आने लगे हैं। यह अच्छी बात है और इसके लिए श्री सिंधिया की जितनी सराहाना की जाए कम है, लेकिन गलतियों को ना गिनाना उनकी भविष्य की राजनैतिक सेहत के लिए ठीक नहीं होगा।
गुरुवार को श्री सिंधिया ने भिण्ड जिले में सांत्वना दौरा किया। वे जिले की तीन विधानसभाओं में एक दर्जन से अधिक परिवारों के बीच पहुंचे, लेकिन जिस मेहगांव विधानसभा क्षेत्र से सिंधिया समर्थक विधायक के रूप में खाता हरीसिंह नरवरिया ने खोला। उन्होंने माधवराव सिंधिया के लिए सरकारी नौकरी छोड़कर राजनीति में प्रवेश किया और अंत समय तक रिश्ता भी निभाया। वे माधवराव के साथ विकास कांग्रेस में भी रहे। अर्थात दो पीढिय़ों से अपने अंत समय तक सिंधिया परिवार के साथ रहे हरीसिंह नरवरिया और उनके पुत्र का कोरोना काल में निधन होना उनके परिवार के लिए बड़ा वज्रपात था।
पारिवारिक रिश्ता चोटिल -
श्री सिंधिया आज मेहगांव विधानसभा क्षेत्र में तो गए, लेकिन हरीसिंह नरवरिया के गांव जाना भूल गए, जबकि उनके गांव में 10 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है, लेकिन श्री सिंधिया का उनके गांव तक ना जाना काफी चर्चा में है। यह उनकी भूल है या उनके सलाहकारो की? यह स्वविवेचन का विषय है। भिण्ड विधानसभा क्षेत्र में भी श्री सिंधिया काफी परिवारों में उन लोगों के यहां भी पहुंचे, जिनके यहां फेरा उठ भी गया था, जो एक अच्छी बात है, लेकिन अभी हाल ही में दो और परिवारों ने अपनों को खोया है, जिसमें निगम के पूर्व उपाध्यक्ष शंकर सिंह भदौरिया, भिण्ड विधायक संजीव सिंह कुशवाह की दादी व पूर्व सासद डॉ. रामलखन सिंह की चाची का निधन हुआ था। पूर्व सांसद से सिंधिया परिवार के बड़े महाराज के समय से ही अच्छे संबंध हैं, लेकिन इन लोगों के निवास पर श्री सिंधिया का ना जाना कहीं ना कहीें भिण्ड से पारिवारिक अटूट रिश्ता को चोटिल करता है।