लॉकडाउन का उल्लंघन करने पर धारा 188 के तहत एफआईआर अवैध : सुप्रीम कोर्ट

Update: 2020-05-05 11:58 GMT

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने लॉकडाउन के दिशा-निर्देशों का कथित रूप से उल्लंघन करनेवालों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 188 के तहत एफआईआर दर्ज करने को अवैध बताते हुए दायर याचिका को खारिज कर दिया है। जस्टिस अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली बेंच ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये हुई सुनवाई के दौरान कहा कि उन्हें हैरानी है कि सुप्रीम कोर्ट में कैसी-कैसी याचिकाएं दाखिल की जा रही हैं।

याचिका उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह ने दायर की थी। विक्रम सिंह ने सेंटर फॉर अकाउंटेबिलिटी एंड सिस्टमेटिक चेंज (सीएएससी) के अध्यक्ष के तौर पर याचिका दायर की थी। याचिका में कहा गया था कि भारतीय दंड संहिता की धारा 195 के प्रावधानों के मुताबिक धारा 188 के तहत कोई भी एफआईआर दर्ज नहीं की जा सकती है। याचिका में कहा गया था कि धारा 195 के मुताबिक एक सक्षम अधिकारी द्वारा लिखित शिकायत के आधार पर ही कोई मजिस्ट्रेट अपराध का संज्ञान ले सकता है।

गृह मंत्रालय की ओर से जारी दिशा-निर्देशों में कहा गया है कि लॉकडाउन के उल्लंघन से भारतीय दंड संहिता की धारा 188 के तहत अपराध होगा। यह प्रावधान लोकसेवक द्वारा विधिवत आदेश देने के लिए अवज्ञा के अपराध से संबंधित है।

याचिका में कहा गया था कि सीएएससी के रिसर्च के मुताबिक, 23 मार्च से 13 अप्रैल तक दिल्ली के 50 पुलिस स्टेशनों में एफआईआर दर्ज की गई है। यूपी सरकार के ट्विटर अकाउंट से बताया गया है कि यूपी में धारा 188 के तहत 48,503 लोगों के खिलाफ 15,378 एफआईआर दर्ज की गई हैं।

याचिका में कहा गया था कि याचिकाकर्ता लॉकडाउन के उल्लंघन को बढ़ावा नहीं दे रहा है। स्थिति को मानवीय रूप से नियंत्रित करने की जरूरत है और जहां भी संभव हो आपराधिकता के पहलूओं को जोड़ने से बचना सबसे अच्छा होगा। याचिका में कहा गया था कि जब पूरी अर्थव्यवस्था भारत के सबसे बड़े आपातकाल से गुजर रही है तो अधिक मामलों के साथ आपराधिक न्याय प्रणाली पर बोझ डालना किसी की मदद करनेवाला नहीं है। याचिका में कहा गया था कि भारतीय दंड संहिता की धारा 188 के तहत एफआईआर दर्ज करना कानून के शासन के विपरीत है। यह संविधान की धारा 14 और 21 का उल्लंघन करता है। 

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