गुवाहाटी। असम विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय स्तर के नेता लगातार भाजपा की केंद्र और राज्य की सरकारों की नाकामियों को गिनाते हुए जनता से कांग्रेस को अवसर देने का आह्वान करते नजर आ रहे हैं। इस कड़ी में शुक्रवार को असम प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय राजीव भवन में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए एआईसीसी के महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि दो चरणों में हुए मतदान से यह साफ हो गया है कि असम की जनता ने भाजपा को नकार दिया है।
उन्होंने कहा कि असम अक्सर व्यक्तिगत अवसर देता है, उनकी दृढ़ता से परीक्षा करने के बाद अस्वीकार भी कर देता है। इस राज्य को धोखा नहीं दिया जा सकता। उन्होंने कहा, असम के लोग पहले दो चरणों में सही कदम उठाते हुए भाजपा को राज्य से बाहर का रास्ता दिखा दिया है। लोगों ने 05 वर्षों तक तथाकथित 'डबल इंजन' सरकार का परीक्षण किया और पाया कि राज्य के भाजपा शासन ने न केवल असम को किसी ठोस विकास से वंचित कर दिया है, बल्कि इसके सामाजिक-सांस्कृतिक ताने-बाने को भी नष्ट कर दिया है।
5 गारंटी -
उन्होंने कहा कि असम कांग्रेस की पांच गारंटी राज्य के विकास के लिए मील का पत्थर साबित होगा। उन्होंने अपने पांच गारंटी को विस्तार से गिनाया। उन्होंने कहा, हम इस चुनाव को असम की प्रगति के आधार पर 'पांच गारंटी' के आधार पर लड़ रहे हैं जबकि भाजपा विभाजनकारी राजनीति पर चुनाव लड़ रही है। कांग्रेस के नेतृत्व वाली 'महाजोत' 101 सीटों के साथ अपनी जीत हासिल करने जा रही है। सुरजेवाला ने कहा कि 06 अप्रैल राज्य में चुनाव का अंतिम चरण है और 02 मई को नए मुख्यमंत्री सबके सामने होंगे। कांग्रेसी नेता ने कहा, 05 मई को ही कांग्रेस के नेतृत्व वाली 'महाजोत' सरकार बनाएगी और विधानसभा के पहले सत्र में सरकार राज्य में अपनी 'पांच गारंटी' को लागू करने की प्रक्रिया शुरू करेगी।
भाजपा का ग्राफ नीचे गिरा -
एआईसीसी के महासचिव ने आंकड़ों के लिए 2016 से लेकर 2018 के बीच हुए चुनावों का आंकड़ा पेश करते हुए भाजपा के लगातार ग्राफ नीचे गिरने का ब्यौरा पेश किया। हालांकि, उन्होंने 2019 के लोकसभा चुनावों पर कुछ भी कहने से बचते दिखे। उन्होंने कहा, भाजपा सरकार ने लगातार यह चित्रित करने की कोशिश की है कि यह एक जीतने वाली राजनीतिक पार्टी है। जबकि, सत्य पूर्णतः विपरीत है। 2014 के चुनावों के बाद उत्तर प्रदेश के अलावा किसी भी बड़े राज्य के चुनाव में भाजपा सरकार को बड़ा बहुमत नहीं मिला है। उन्होंने छत्तीसगढ़, राजस्थान, पंजाब, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरला, झारखंड, मध्य प्रदेश, उड़ीसा, महाराष्ट्र, कर्नाटक, मणिपुर, गोवा तक के नामों को गिनाया। साथ ही कहा कि अधिकांश राज्यों में भाजपा बैसाखी के सहारे ही सरकार बनाने में सफल हुई है।
उन्होंने कहा, मोदी सरकार बेनकाब हो चुकी है। सर्वानंद सोनोवाल ने झूठ की अपनी व्यूह रचना जारी रखे हुए असम के लोगों के विश्वास को धोखा दिया। नीति आयोग के प्रमुख रहे नरेन्द्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र के दिशा-निर्देशों के मुताबिक 2020 में सतत विकास लक्ष्यों पर एक रिपोर्ट जारी की है, जिसे 148 राष्ट्रों ने स्वीकार कर लिया है। मोदी ने रिपोर्ट में खुलासा किया है, कि सर्वानंद के नेतृत्व वाली सरकार ने असम की अर्थव्यवस्था, संस्कृति, स्वास्थ्य क्षेत्र, शिक्षा क्षेत्र और ढांचागत विकास को नई ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया है। हालांकि, सभी अविकसित राज्यों में से असम की स्थिति शायद सबसे खराब है। बिहार के बाद असम ने इन क्षेत्रों में सबसे कम उपस्थिति दर्ज किया है, यह आंकड़ा 55 फीसद है। उन्होंने चार्ट के जरिए गरीबी, भुखमरी, शिक्षा, लैंगिक असमानता, स्वच्छ जल और स्वच्छता तक पहुंच, स्वच्छ ऊर्जा, आर्थिक विकास, जलवायु कार्रवाई, शांति, न्याय आदि के मापदंडों का आंकड़ा पेश किया। इसके अलावा उन्होंने अन्य कई बातों पर मोदी व सोनोवाल सरकार को घेरा।
सुरजेवाला ने कहा, भाजपा का मतलब सिर्फ एक है- विरोधियों को ब्लैकमेल करना, लोकतंत्र को ख़तरे में डालना और लूटना। असम की जनता अब भाजपा द्वारा नियोजित की जा रही गंदी चालों को समझती है। वहीं दूसरी ओर वायरल वीडियो में पथारकांदी के भाजपा प्रत्याशी कृष्णेंदु पॉल की कार में एक ईवीएम मशीन ले जाने का जिक्र करते हुए कहा, इस संबंध में पूछताछ किए जाने पर चुनाव आयोग ने दावा किया कि उन्होंने निजी वाहन का इस्तेमाल किया क्योंकि उनका वाहन क्षतिग्रस्त हो गया था।
कांग्रेसी नेता ने कहा, सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल होने के बाद कांग्रेस की वरिष्ठ नेता प्रियंका गांधी ने इस घटना को लेकर भाजपा की खिंचाई की और चुनाव आयोग से निर्णायक कार्रवाई करने को कहा। उन्होंने सभी राष्ट्रीय दलों द्वारा ईवीएम के इस्तेमाल के पुनर्मूल्यांकन की भी मांग की। साथ ही कहा, हम चुनाव आयोग से अनुरोध करते हैं कि वह भाजपा के ताजा दुःस्साहस पर सख्त कार्रवाई करे। उन्होंने अन्य कई क्षेत्रों में ईवीएम को लेकर चिंता जताते हुए चुनाव आयोग को भी गठघरे में खड़ा कर दिया। एआईसीसी के नेता ने कहा, ईवीएम में खराबी और अवैध परिवहन के ऐसे उदाहरण चुनाव आयोग की खामियों और राज्य में विधानसभा चुनाव 2021 को निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से कराने के लिए संबंधित अधिकारियों की अक्षमता की ओर इशारा करते हैं। उन्होंने चुनाव आयोग और सरकारी मशीनरी पर भी गंभीर आरोप लगाये।