वाशिंगटन। अमेरिकी प्रतिनिधि सभा ने राष्ट्रीय रक्षा प्राधिकरण अधिनियम (एनडीएए) में संशोधन को सर्वसम्मति से पारित कर दिया है। इसमें गलवान घाटी में भारत के खिलाफ चीन की आक्रामकता और दक्षिण चीन सागर जैसे विवादित क्षेत्रों में तथा आसपास में चीन की बढ़ती क्षेत्रीय दबंगई पर निशाना साधा गया है। साथ ही कहा गया है कि चीन कोरोना के बहाने भारतीय क्षेत्र पर कब्जा करना चाहता था।
प्रतिनिधि सभा ने चीन के विस्तारवादी रवैये पर भी चिंता जताई। इसमें कहा गया कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी), दक्षिण चीन सागर, सेनकाकु द्वीप जैसे विवादित क्षेत्रों में चीन का विस्तार और आक्रामकता गहरी चिंता के विषय हैं। एनडीएए संशोधन भारतीय गलवान घाटी में चीनी सैनिकों की खूनी झड़प और दक्षिण चीन सागर क्षेत्र में चीन की बढ़ती दखलअंदाजी की मुखरता से आलोचना करता है।
द्विपक्षीय संशोधन में भारत-चीन सीमा पर गलवान घाटी में भारत के खिलाफ चीन की आक्रामकता पर विरोध जताया गया है। इसमें कहा गया कि चीन ने कोरोना वायरस से ध्यान बंटाकर भारत के क्षेत्र पर कब्जा करने की कोशिश के साथ ही दक्षिण चीन सागर में अपना क्षेत्रीय दावा मजबूत करने की कोशिश की है। कानूनी संशोधन में कहा गया है कि 15 जून तक चीन ने एलएसी पर पांच हजार सैनिक तैनात कर दिए थे।
भारत और चीन की सेनाएं पांच मई से पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा के कई क्षेत्रों में गतिरोध में फंसी हैं। पिछले महीने गलवान घाटी में हुए हिंसक संघर्ष में हालात बिगड़ गए थे, जिसमें भारतीय सेना के 20 जवान शहीद हुए थे।
भारतीय अमेरिकी सांसद एमी बेरा के साथ मिलकर कांग्रेस सदस्य स्टीव शैबेट ने इसे सोमवार को पेश किया था। इसमें कहा गया है कि भारत और चीन को वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास तनाव कम करने के लिए काम करना चाहिए। प्रतिनिधि सभा ने सैकड़ों अन्य संशोधनों के साथ इस संशोधन को भी सर्वसम्मति से पारित किया गया।
संसद में सांसद स्टीव शैबेट ने बयान दिया है कि भारत एशिया प्रशांत में अमेरिका का एक अहम लोकतांत्रिक सहयोगी है। उन्होंने कहा, मैं भारत का समर्थन करता हूं। साथ ही उन क्षेत्रीय सहयोगियों के साथ भी खड़ा हूं जो चीन की आक्रामकता का सामना कर रहे हैं।
चीन 13 लाख वर्ग मील दक्षिण चीन सागर के लगभग पूरे इलाके को अपना संप्रभु क्षेत्र बताता है। चीन क्षेत्र में कृत्रि द्वीपों पर सैन्य अड्डे बना रहा है। इस क्षेत्र पर ब्रुनेई, मलेशिया, फिलीपींस, ताइवान और वियतनाम भी दावा करता है। वहीं, चीन का जापान से भी पूर्वी चीन सागर में द्वीपों के एक समूह को लेकर विवाद चल रहा है।