बांग्लादेश में हिंदुओं पर बढ़ती हिंसा,पाकिस्तान को भी पीछे छोड़ा: अब तक हो चुके दो हजार से ज्यादा हमले
संसद में सरकार ने बताया कि इस साल बांग्लादेश में हिंदुओं पर 2200 से ज़्यादा हमले हुए हैं। जबकि पिछले साल ऐसे सिर्फ़ 302 मामले सामने आए थे। पाकिस्तान में ऐसे 112 मामले सामने आए हैं।
Increasing violence against Hindus in Bangladesh : बांग्लादेश और पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों, ज्यादातर हिंदुओं के खिलाफ लगातार हिंसक घटनाओं को अंजाम दिया जा रहा है। एक दिन पूर्व में ही बांग्लादेश में तीन मंदिरों में तोड़फोड़ की गई है, जिसके कारण मुसलमानों के इस देश में हिंदुओं का रहना हर दिन मुश्किल होता जा रहा है।
हाल ही में केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया है कि इस साल 8 दिसंबर तक बांग्लादेश में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा के 2200 मामले सामने आए हैं। ये आंकड़े इस बात के गवाह हैं कि हिंदुओं के लिए बांग्लादेश में रहना कितना मुश्किल होता जा रहा है।
केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने कहा
हिंदुओं के खिलाफ हिंसा जारी है वहीं, विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने कहा कि सरकार ने इन घटनाओं को "गंभीरता से" लिया है। इसके मद्देनजर उन्होंने बांग्लादेश सरकार से अपनी चिंता साझा की है। वर्धन सिंह ने यह भी बताया कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा के 112 मामले सामने आए हैं।
संसद में सिंह ने कहा कि "8 दिसंबर 2024 तक बांग्लादेश में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा के 2200 मामले और अक्टूबर 2024 तक 112 मामले सामने आए हैं। लेकिन पाकिस्तान और बांग्लादेश को छोड़कर अन्य पड़ोसी देशों में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा का कोई मामला सामने नहीं आया है। वहीं सरकार के द्वारा इन घटनाओं को गंभीरता से लिया है साथ ही बांग्लादेश सरकार से अपनी चिंताओं को साझा किया है।" कीर्ति वर्धन सिंह ने बांग्लादेश सरकार से अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कदम उठाने को कहा है।
उन्होंने कहा कि ढाका में भारतीय उच्चायोग पड़ोसी देश की स्थिति पर लगातार नजर रख रहा है। उन्होंने आगे कहा कि "भारत को उम्मीद है कि बांग्लादेश सरकार हिंदुओं साथ ही अन्य अल्पसंख्यकों की सुरक्षाा सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाएगी। वहीं 9 दिसंबर 2024 को विदेश सचिव की बांग्लादेश यात्रा के दौरान भी यही बात दोहराई गई है। ढाका में भारतीय उच्चायोग बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों से जुड़ी स्थिति पर लगातार नजर रख रहा है।"