इंद्रधनुष: ‘गोवा फिल्म समारोह’ में युवा फ़िल्मकारों को मिलेंगे नए पंख…

Update: 2024-11-18 06:12 GMT

प्रदीप सरदाना: प्रतिवर्ष की तरह इस बार भी गोवा में 20 से 28 नवंबर के दौरान ‘भारतीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह’ का आयोजन होने जा रहा है। इस 55 वें फिल्म समारोह में क्या क्या खास होगा इस पर दुनियाभर के फ़िल्मकारों की निगाहें टिकी हैं।

समारोह का आयोजन सूचना प्रसारण मंत्रालय, राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम और गोवा सरकार मिलकर कर रहे हैं। यूं तो इसके आयोजन को बेहतर बनाने के लिए पूर्व वर्षों में भी कई अच्छे प्रयास किए गए। इधर अब कुछ ऐसी संभावनाएं झलक रही हैं कि यह आयोजन कुछ और भी खास रहेगा। मैं भारतीय राष्ट्रीय फिल्म समारोह (इफ़्फ़ी) को पिछले 40 बरसों से देख रहा हूँ।

लेकिन इस बार कुछ खास और बड़े बदलाव किए जा रहे हैं। सबसे खास बात यह है कि सूचना प्रसारण मंत्रालय ने इस फिल्म महोत्सव का निदेशक इस बार किसी सरकारी पदाधिकारी को न बनाकर प्रसिद्द फ़िल्मकार शेखर कपूर को बनाया है। इससे इस फिल्म समारोह को वह अपने एक फ़िल्मकार के नज़रिये से संवार सकेंगे। साथ ही समारोह में युवा प्रतिभाओं और उनके कार्य को भी इस बार काफी महत्व दिया जा रहा है।

इस बार फिल्म समारोह की थीम भी ‘युवा फिल्म निर्माता-भविष्य अब है’ रखी गयी है। जिससे युवा फ़िल्मकारों की रचनात्मकता और उनके सपनों को नए पंख मिल सकें।

उधर इफ़्फ़ी 2024 से युवा निर्देशकों को प्रोत्साहित करने के लिए ‘सर्वश्रेष्ठ भारतीय नवोदित निर्देशक’’ नाम से एक नए पुरस्कार का भी आरंभ किया जा रहा है। जिसमें समारोह के अंत में, किसी नवोदित भारतीय निर्देशक को उसकी फिल्म के लिए 5 लाख रुपए और प्रमाण पत्र प्रदान किया जाएगा।

सूचना प्रसारण सचिव संजय जाजू बताते हैं-‘’इस वर्ष का समारोह फिल्म उद्योग के नेतृत्व में, फिल्म उद्योग का अपना शानदार उत्सव बन सके, इस बात का हमने विशेष ध्यान रखा है। शेखर कपूर को समारोह का निदेशक बनाकर, फिल्म समारोह के इतिहास में हमने पहली बार फिल्म समारोह को फिल्म उद्योग को सौंपने की नयी परंपरा शुरू की है।

फिर यह समारोह फ़िल्मकारों के साथ फिल्म प्रेमियों दोनों का भी आकर्षण बन सके, हमने इसे इस ढंग से तैयार किया है।‘’ उधर जहां तक समारोह में फिल्मों के प्रदर्शन की बात है। इस बार समारोह में 81 देशों की 180 से अधिक फिल्मों का प्रदर्शन होगा।

जिनमें 15 फिल्मों के वर्ल्ड प्रीमियर, 3 इंटरनेशनल प्रीमियर, 40 एशियन प्रीमियर और भारत की 106 फिल्मों के प्रीमियर होंगे। इस बार एक खास बात यह भी है कि इस अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह में महिलाओं के सशक्तिकरण और फिल्मों में महिलाओं के बढ़ते योगदान को भी साफ देखा जा सकेगा। यह पहला मौका होगा कि समारोह में प्रदर्शित कुल 180 फिल्मों में से 47 फिल्मों की निर्देशक महिलाएं हैं। वहाँ इनमें 66 फिल्में जिन्हें युवाओं ने बनाया है।

फिल्म के परंपरागत सर्वाधिक प्रतिष्ठित पुरस्कार ‘स्वर्ण मयूर’ के लिए अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता खंड में 15 फिल्में प्रतियोगिता में रहेंगी। जिनमें 12 अंतरराष्ट्रीय फिल्मों के साथ 3 भारतीय फिल्मों में से किसी एक को स्वर्ण पदक के साथ 40 लाख रुपए की धनराशि मिलेगी। उधर किसी निर्देशक की पहली फिल्म के रजत मयूर और 10 लाख रुपए के पुरस्कार के लिए 5 अंतरराष्ट्रीय और 2 भारतीय फिल्में प्रतियोगिता में हैं।

इस बार समारोह में जहां ऑस्ट्रेलिया फोकस देश होगा। वहाँ फिल्म समारोह की शुरुआत भी माइकल ग्रेसी की ऑस्ट्रेलियाई फिल्म ‘बेटर मैन’ से होगी। ब्रिटिश पॉप स्टार रॉबी विलियम्स के जीवन पर आधारित इस फिल्म का यह एशियन प्रीमियर होगा। साथ ही इस बार का ‘सत्यजित रे लाइफटाइम पुरस्कार’ भी ऑस्ट्रेलिया फिल्मों के दिग्गज निर्देशक फिलिप नोयस को प्रदान किया जा रहा है।

विश्व में सर्वाधिक फिल्म बनाने वाले देश भारत का यह फिल्म समारोह विश्व भर में रैंकिंग के अनुसार चाहे कुछ नीचे है। लेकिन हालिया बरसों में इस आयोजन को भव्य बनाकर जिस तरह की सुविधाएं यहां फिल्म प्रतिनिधियों को प्रदान की जाने लगी हैं। उससे हमारे इस समारोह की प्रतिष्ठा बढ़ी है। सूचना प्रसारण राज्य मंत्री डॉ एल मुरूगन कहते हैं- ‘’इफ़्फ़ी का यह आयोजन भारत के साथ वैश्विक स्तर पर एक ऐतिहासिक आयोजन बन गया है। जो कान अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह के समतुल्य है।‘’

राज कपूर और मोहम्मद रफी का जन्म शताब्दी समारोह

इस 55 वें ‘भारतीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह’ का एक बड़ा आकर्षण राज कपूर जैसे महान फ़िल्मकार और मोहम्मद रफी जैसे महान गायक भी रहेंगे। दरअसल फिल्म समारोह में इस बार चार दिग्गज फ़िल्मकारों राज कपूर, रफी, तपन सिन्हा और ए नागेश्वर राव का जन्म शताब्दी समारोह का जश्न भी मनाया जाएगा। इसके अंतर्गत राज कपूर की कालजयी फिल्म ‘आवारा’, रफी के गीतों से सजी फिल्म ‘हम दोनों, तपन सिन्हा की फिल्म ‘हारमोनियम’ और ए नागेश्वर राव की फिल्म ‘देवदासु’ का विशेष प्रदर्शन भी होगा।

बता दें आगामी 14 दिसंबर को राज कपूर का और 24 दिसंबर को मोहम्मद रफी का 100 वां जन्म दिन है। जबकि ए नागेश्वर राव की जन्म शताब्दी गत 20 सितंबर को और तपन सिन्हा की 2 अक्तूबर को थी। ये चारों ही देश की दिग्गज फ़िल्म हस्तियाँ रही हैं। अब ये सभी इस दुनिया में नहीं हैं। लेकिन फिल्म जगत में किए इनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता।

राज कपूर तो हिन्दी सिनेमा के शिखर फ़िल्मकार रहे हैं। उनकी जिस फिल्म ‘आवारा’ का गोवा फिल्म समारोह में प्रदर्शन होने जा रहा है, वह 1951 में प्रदर्शित उनकी ऐसी कालजयी फिल्म है, जिसने राज कपूर को महान फ़िल्मकारों की सूची में शामिल कर दिया था। ‘आवारा’ के कारण ही भारतीय सिनेमा और राज कपूर का नाम देश की सरहदें पार कर दुनिया भर में पहुंचा। रूस में तो आज भी राज कपूर, उनकी फिल्म ‘आवारा’ और इस फिल्म का शीर्षक गीत ‘आवारा हूँ’ उतना ही लोकप्रिय है जितना 70 बरस पहले था।

फिर महान पार्श्व गायक मोहम्मद रफी के बारे में भी दुनिया जानती है। रफी की स्मृति में समारोह में जो फिल्म ‘हम दोनों’ दिखाई जा रही है। उसमें संगीतकार जय देव की धुनों और रफी के स्वर में सजे गीत ‘अभी न जाओ छोड़कर’ और ‘मैं ज़िंदगी का साथ निभाता चला गया’ अमर गीत बन गए हैं।

6 फिल्म समारोह के बाद ‘ढाई आखर’ अब सिनेमा घरों में

गोवा के पिछले 54 वें भारतीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह में एक फिल्म ‘ढाई आखर’ अच्छी ख़ासी चर्चा में रही थी। निर्देशक प्रवीण अरोड़ा की इस पहली फिल्म का गत वर्ष गोवा में 25 नवंबर को वर्ल्ड प्रीमियर हुआ था। जहां यह किसी निर्देशक की पहली फिल्म के खंड में, रजत मयूर की प्रतियोगिता में सम्मिलित 7 फिल्मों में एक थी। बाद में यह फिल्म देश-विदेश के अन्य कई फिल्म समारोह में भी दिखाई गयी।

कंबोडिया फिल्म समारोह में तो ‘ढाई आखर’ को जूरी अवार्ड से पुरस्कृत भी किया गया। अब गोवा के वर्ल्ड प्रीमियर के ठीक एक बरस बाद, 22 नवंबर को ‘ढाई आखर’ देश भर में सिनेमाघरों में प्रदर्शित होने जा रही है। ‘ढाई आखर’ को थिएटर में प्रदर्शित करने में एक बरस क्यों लग गया ? जब यह सवाल मैंने प्रवीण से पूछा तो वह बोले-‘’इस पिछले एक बरस में हम अपनी इस फिल्म को 6 अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह में लेकर गए।

इससे हमको विश्व भर से फिल्म के प्रति फ़िल्मकारों और दर्शकों दोनों का अच्छा नज़रिया देखने को मिला। अब हम इसे देश भर में प्रदर्शित कर रहे हैं।‘’ फिल्म में अभिनेत्री मृणाल कुलकर्णी नायिका हर्षिता की प्रमुख भूमिका में हैं। मृणाल हिन्दी और मराठी सिनेमा की तो वरिष्ठ और खूबसूरत अभिनेत्री हैं ही। साथ ही वह ‘श्रीकांत’,‘हसरतें’ और ‘सोन‘परी’ जैसे कितने ही सीरियल में भी अपने दमदार अभिनय की कई मिसाल पेश कर चुकी हैं। हरीश खन्ना और रोहित कोकाटे अन्य प्रमुख भूमिकाओं में हैं।

जबकि फिल्म की पटकथा और संवाद प्रसिद्द लेखक असगर वजाहत ने और गीत इरशाद कामिल ने लिखे हैं। संगीतकार अनुपम रॉय और गायिका कविता सेठ भी इस फिल्म की सशक्त टीम का हिस्सा हैं। फिल्म के कथानक की बात तो ‘ढाई आखर’ लेखक अमरीक सिंह दीप के उपन्यास ‘तीर्थाटन के बाद’ पर आधारित है। फिल्म उस महिला हर्षिता पर केन्द्रित है, जो बरसों से घरेलू हिंसा और अपमानजनक वैवाहिक जीवन जीती रही है। विधवा हो चुकी हर्षिता पत्रों के माध्यम से एक प्रसिद्द लेखक श्रीधर के करीब आती है। लेकिन हर्षिता और श्रीधर के ये संबंध परिवार और समाज को सहन नहीं होते। सवाल यह है कि हर्षिता का अपना अस्तित्व क्या है? 

Tags:    

Similar News