'गैर इस्लामिक काफिर होते हैं': बिहार में सरकारी फंड से चलने वाले मदरसों की किताब में लिखी जिहादी बातें, जानिए पूरा मामला

Update: 2024-08-19 08:24 GMT

बिहार में सरकारी फंड से चलने वाले मदरसों की किताब में लिखी जिहादी बातें

Bihar Madrasa : बिहार। सरकारी फंड से चलने वाले मदरसे में बच्चों को ऐसी किताबें पढ़ाई जा रहीं है जो कट्टरपंथ को बढ़ावा देती हैं। यह बात हम नहीं बल्कि एनसीपीसीआर के चेयरपर्सन प्रियांक कानूनगो कह रहे हैं। उन्होंने मदरसा बोर्ड को भंग करने की मांग की है साथ ही इस बात आशंका भी जताई है कि, मदरसों में हिन्दू बच्चों को भी दाखिला दिया गया।

एनसीपीसीआर के चेयरपर्सन ने बताया कि, 'बिहार राज्य में सरकारी फ़ंडिंग से चलने वाले मदरसों में तालिमुल इस्लाम व ऐसी ही अन्य किताबें पढ़ाई जा रहीं हैं,इस किताब में ग़ैर इस्लामिकों को काफ़िर बताया गया है। इन मदरसों में हिंदू बच्चों को भी दाख़िला दिए जाने की सूचना मिली है परंतु बिहार सरकार संख्या अनुपात की अधिकारिक जानकारी नहीं दे रही है।

 

यूनिसेफ ने तैयार किया पाठ्यक्रम :

कानूनगो ने बताया कि, 'हिंदू बच्चों को मदरसों से स्कूल में स्थान्तरित करने के सवाल पर बिहार मदरसा बोर्ड ने बताया कि मदरसे का पाठ्यक्रम यूनिसेफ (UNICEF India) ने तैयार किया है। यह यूनिसेफ व मदरसा बोर्ड द्वारा किए जा रहे तुष्टिकरण की पराकाष्ठा है।

बच्चों के संरक्षण के नाम पर दान में मिले और सरकारों से ग्रांट मिले पैसे से कट्टरवादी पाठ्यक्रम बनाना यूनिसेफ़ का काम नहीं है। RTE के इतर गतिविधि में फंड का दुरुपयोग भारत के संविधान व UNCRC का प्रत्यक्ष उल्लंघन है। यूनिसेफ इंडिया को इसकी जाँच करना चाहिए। इसके अलावा यूएन को भी इसकी निगरानी करनी चाहिए।

मदरसों के लिए प्रिस्क्राइब्ड पाठ्यक्रम में शामिल अनेक किताबें पाकिस्तान में छपवाई जाती हैं,इनके कांटेंट पर शोध जारी है। मदरसा किसी भी रूप में बच्चों की बुनियादी शिक्षा का स्थान नहीं है,बच्चों को स्कूल में पढ़ना चाहिए और हिंदू बच्चों को तो मदरसों में होना ही नहीं चाहिए, मदरसा बोर्ड भंग कर देने चाहिए। - ऐसा प्रियांक कानूनगो का कहना है।

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